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किसान आंदोलन ने जोर पकड़ा तो उसके समर्थन में राजनीतिक दल, सोशल एक्टिविस्ट, कलाकार भी केंद्र सरकार के खिलाफ लामबंद हो गए. पीएम नरेंद्र मोदी ने संसद में ऐसे लोगों को ‘आंदोलनजीवी’ करार दिया. अब जबकि इस आंदोलन से जुड़ी टूलकिल को लेकर 22 साल की दिशा रवि दिल्ली पुलिस की कस्टडी में है और निकिता जैकब गिरफ्तारी से बचने के लिए कोर्ट पहुंच गई हैं तो हम आपको उन 10 युवा महिला चेहरों के बारे में बता रहे हैं जो पिछले कुछ समय में अलग-अलग मुद्दों को लेकर मुखर हुए और कानूनी के शिकंजे में भी फंसी.
1.दिशा रवि
पर्यावरण से जुड़े मुद्दे पर काम करने वाली एक्टिविस्ट दिशा रवि को दिल्ली पुलिस ने टूलकिट केस में गिरफ्तार किया है. 22 वर्षीय दिशा रवि बेंगलुरू की रहने वाली हैं. रवि बेंगलुरु के एक निजी कॉलेज से बीबीए की डिग्री धारक हैं और वह 'फ्राइडेज फॉर फ्यूचर इंडिया' नामक संगठन की संस्थापक सदस्य भी हैं. दिशा गुड वेगन मिल्क नाम की एक संस्था में काम करती हैं. इस संस्था का मुख्य उद्देश्य प्लांट बेस्ड फूड (वेजिटेरियन) को सस्ता और सुलभ बनाना है. ये लोग जानवरों पर आधारित कृषि को खत्म कर उन्हें भी जीने का अधिकार देना चाहते हैं. फ्राइडेज फॉर फ्यूचर संस्था के भारत में स्वरूप का दिशा शुरुआत से ही हिस्सा रही हैं.
दिल्ली पुलिस ने दिशा रवि पर किसानों के समर्थन में बनाई गई एक विवादित 'टूलकिट' को सोशल मीडिया पर शेयर करने का आरोप लगाया है. पुलिस का आरोप है कि दिशा रवि ने भारत के खिलाफ वैमनस्य फैलाने के लिए अन्य लोगों के साथ मिलकर खालिस्तान-समर्थक समूह 'पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन' के साथ सांठगांठ की. दिल्ली पुलिस के मुताबिक वह टूलकिट का संपादन करने वालों में से एक हैं और दस्तावेज को बनाने एवं फैलाने के मामले में मुख्य साजिशकर्ता हैं.
2.निकिता जैकब
दिल्ली पुलिस ने टूलकिट मामले में एक्टिविस्ट निकिता जैकब के खिलाफ एक गैर-जमानती वारंट जारी किया है. 30 साल की निकिता ने ILS लॉ कॉलेज, पुणे से कानून की पढ़ाई की है और बॉम्बे हाईकोर्ट में वकालत करती हैं. निकिता सामाजिक न्याय और पर्यावरण संरक्षण के मामलों को उठाने वाली कार्यकर्ता हैं. दिल्ली पुलिस ने कहा है कि दिशा रवि, निकिता जैकब और शांतनु ने टूलकिट बनाई और दूसरों के साथ शेयर किया. पुलिस ने गुरुवार के निकिता के घर पर सर्च वारंट किया था.
3.इशरत जहां
नागरिकता कानून के खिलाफ राजधानी के पूर्वी दिल्ली में हुए विरोध प्रदर्शन मामले में इशरत जहां को 26 फरवरी 2020 को पुलिस ने गिरफ्तार किया था. इशरत को 21 मार्च को कड़कड़डूमा कोर्ट से ज़मानत मिल गई थी लेकिन ठीक उसी दिन रिहाई से पहले स्पेशल सेल ने उन्हें तिहाड़ जेल में ही दिल्ली दंगों की साजिश में गिरफ्तार कर उन पर यूएपीए लगा दिया. इशरत जहां पेशे से वकील हैं और कांग्रेस से पार्षद रह चुकी हैं और अभी फिलहाल दिल्ली दंगे के आरोप में तिहाड़ जेल में बंद हैं.
4.सफूरा जरगर
दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में सीएए-एनआरसी के खिलाफ हुए प्रदर्शन में सफूरा जरगर अहम चेहरा रही हैं. दिल्ली दंगे मामले में सफूरा की गिरफ्तारी काफी चर्चा में रही, क्योंकि पुलिस ने जब गिरफ्तार किया था तब वो गर्भवती थीं. जाफराबाद थाने में दर्ज एफआईआर मामले में 10 अप्रैल को सफूरा को पूछताछ के लिए बुलाया गया था और उन्हें उसी दिन गिरफ्तार कर यूएपीए लगा दिया था. सफूरा जामिया की एमफिल की छात्रा हैं और वे जामिया कॉर्डिनेशन कमेटी से भी जुड़ी हुई हैं. दिल्ली हाई कोर्ट से 23 जून को सफूरा ज़रगर को 'मानवीय आधार' पर जमानत मिली थी.
5.गुलफिशा फातिमा
सीएए-एनआरसी के खिलाफ दिल्ली में हुए प्रदर्शनों में गुलफिशा फातिमा आगे-आगे रहीं. जिन्हें दिल्ली पुलिस ने उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे में गिरफ्तार किया था. 28 साल की गुलफिशा फातिमा ने गाजियाबाद से एमबीए किया है. 9 अप्रैल को दिल्ली पुलिस ने उन्हें जाफराबाद थाने में दर्ज एफआईआर के आधार पर गिरफ्तार कर तिहाड़ जेल भेज दिया था और उन पर यूएपीए लगा दिया था. हालांकि, दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट ने नवंबर 2020 में उन्हें जमानत दे दी है.
6.नताशा नरवाल
दिल्ली के जाफराबाद और सीलमपुर इलाके में नागरिकता संशोधन कानून और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन के खिलाफ हुए प्रदर्शनों में भूमिका के लिए नताशा नरवाल को गिरफ्तार किया गया था. उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों का आरोपी मानते हुए उन पर यूएपीए लगा दिया गया था. नताशा नरवाल जेएनयू में सेंटर फॉर हिस्टोरिकल स्टडीज की पीएचडी कर रही हैं और महिलावादी संगठन पिंजरा तोड़ की संस्थापक सदस्यों में शामिल हैं. हालांकि, मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अजीत नारायण ने उन्हें ज़मानत देते हुए कहा था कि अभियुक्त केवल एनआरसी और सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर रही थीं और ऐसा करना इस आरोप को साबित नहीं करता कि वे किसी हिंसा में शामिल थीं.
7.देवांगना कलिता
देवांगना कलिता को दरियागंज में एंटी-सीएए प्रदर्शन से जुड़ी हिंसा के एक मामले में गिरफ्तार किया गया था. कलिता पर भी दिल्ली दंगे के आरोपों की वजह से यूएपीए लगा दिया गया था. देवांगना कलिता जेएनयू में सेंटर फॉर वीमेन स्टडीज में एमफिल कर रही हैं और महिलावादी संगठन पिंजरा तोड़ की संस्थापक सदस्यों में शामिल हैं. दिल्ली हाई कोर्ट जज अभिनव पांडे ने देवांगना को जमानत देते हुए कहा था ऐसा कोई सीधा सबूत नहीं है जिसमें अभियुक्त किसी सरकारी कर्मचारी पर हमला करती नज़र आ रही हों. सीसीटीवी फुटेज भी ये नहीं दिखाता कि अभियुक्त हिंसा में शामिल है.
8.अमूल्या लियोना
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ आंदोलन में अमूल्या लियोना दक्षिण भारत के राज्यों में बढ़ चढ़कर भाग लिया था. अमूल्या लियोना का जन्म कर्नाटक के मैसूर में 31 जुलाई, 2000 में हुआ. वो फेसबुक के साथ-साथ सोशल मीडिया पर भी काफी एक्टिव हैं. कर्नाटक के बेंगलुरु में सीएए के खिलाफ चल रही रैली के मंच पर असदुद्दीन ओवैसी की मौजूदगी में अमूल्या लियोना ने 'पाकिस्तान जिंदाबाद' के नारे लगाने शुरू कर दिए थे, जिसके बाद उसके खिलाफ राजद्रोह का केस दर्ज कर जेल भेज दिया गया था.
9. नौदीप कौर
दलित एक्टिविस्ट और मजदूर अधिकारी संगठन की सदस्य नौदीप कौर की गिरफ्तारी को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं. पंजाब के मुक्तसर साहिब के तहत गांव ग्यानंदर की रहने वाली नौदीप के पिता का नाम सुखदीप सिंह है. कौर को 12 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था, जब वह अन्य मजदूरों के साथ कुंडली में विरोध प्रदर्शन में शामिल हुई थी. पुलिस ने उन्हें आईपीसी की धारा 148, 149, 323, 452, 384 और 506 के तहत गिरफ्तार किया गया था. हालांकि, नौदीप कौर की छोटी बहन राजवीर कौर ने कहा कि उनकी बहन को झूठे आरोपों में फंसाया गया है. मेरी बहन मजदूर और दलित अधिकार कार्यकर्ता है. वो फैक्टरी में कुछ मजदूरों की मजदूरी दिलाने के लिए गई थीं, लेकिन कारखाना मालिक ने उल्टा उन्हें फंसा दिया है.
10.शहला रशीद
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ की पूर्व उपाध्यक्ष शहला रशीद फरवरी, 2016 में सुर्खियों में आई थीं. देश विरोधी नारों के आरोप में घिरे कन्हैया को जेल तक जाना पड़ा था, लेकिन शहला राशिद बच गई थीं. वो मोदी सरकार की कट्टर आलोचक मानी जाती हैं और अपने बयानों के चलते लगातार चर्चा में रहती हैं. साल 18 अगस्त 2019 को शहला ने ट्वीट कर भारतीय सेना पर कश्मीरी लोगों पर अत्याचार करने के संगीन आरोप लगाए थे, जिसके चलते उनके खिलाफ दिल्ली पुलिस ने राजद्रोह का केस दर्ज किया था. इसी साल जनवरी में शहला के पिता ने जम्मू-कश्मीर के डीजीपी को पत्र लिखकर अपनी बेटी पर देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के गंभीर आरोप लगाए थे.