राहुल गांधी ने एक ट्वीट में कहा, किसान का मोदी सरकार से विश्वास उठ चुका है क्योंकि शुरू से मोदी जी की कथनी और करनी में फ़र्क़ रहा है- नोटबंदी, ग़लत GST और डीज़ल पर भारी टैक्स. जागृत किसान जानता है- कृषि विधेयक से मोदी सरकार बढ़ाएगी अपने ‘मित्रों’ का व्यापार और करेगी किसान की रोज़ी-रोटी पर वार.
शिवसेना नेता संजय राउत के बयान पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि हम राज्यसभा में सभी नेताओं से बात करेंगे. सरकार साफ नियत के साथ बिल को लेकर आई है. यह किसानों के हित में है और हम किसानों की माली हालत सुधारने वाले हैं. जिनको राजनीति करना है, वह राजनीति कर सकते हैं. भारत सरकार, किसानों के हित के लिए प्रतिबद्ध है.
किसान पंचायत में गुजरात के हिम्मतनगर के किसान ने कहा कि हम चाहते हैं कि सरकार एक्ट में यह जोड़ दे कि मंडी के बाहर जो भी खरीदारी होगी, वह MSP से शुरू होगी, MSP से नीचे खरीद होगी, अगर ये नहीं करते हैं तो ये हर हाल में किसानों के लिए बुरा है. कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग में छोटे-छोटे किसान अपने ही खेत में मजदूर बनकर रह जाएंगे. महाराष्ट्र के ओजार के एक किसान ने कहा कि कब तक इन बिल को लागू किया जाएगा.
इस पर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि MSP पर हर साल खरीद नहीं होती है. इस पर शंका करने की जरूरत नहीं है. यह अध्यादेश पूरे देश में लागू हो गया है. अब यह अधिनियम बन रहा है. लोकसभा से पास हो गया है, राज्यसभा में जाएगा, फिर राष्ट्रपति के पास जाएगा. इसके बाद यह अधिनियम बन जाएगा.
किसान पंचायत में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार अपने विधेयक के माध्यम से किसी को समाप्त नहीं करना चाहती है, हम इन विधेयकों के माध्यम किसानों की माली हालत को सुधारना चाहते हैं, खेती को उन्नत खेती बनाना चाहते हैं, इसलिए यह विधेयक लेकर आए हैं.
किसान पंचायत में जयपुर के किसान ने कहा कि अभी तो MSP पर ही 30 से 40 फीसदी खरीद नहीं हो पा रही है, ऐसे में नए बिल में क्या गारंटी है कि MSP पर खरीद होगी. वहीं, बिहार के सोनपुर के किसान ने कहा कि अगर मैं अपना उपज दिल्ली में बेचता हूं, तो उसका दर क्या होगा.
इस पर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि नए एक्ट में किसान को रोज-रोज के भाव से अवगत कराने की योजना है, जिससे किसान को मंडी जाकर भाव पता करने की जरूरत नहीं होगी. कृषि क्षेत्र में निजी निवेश गांव और खेत तक नहीं पहुंचता है, हम लोगों ने कोशिश की है कि देश में 86 फीसदी छोटे किसान हैं, इसलिए निवेश और इंफ्रास्ट्रक्चर की व्यवस्था की जा रही है. इससे किसानों को फायदा मिलेगा. मोदी सरकार ने एक लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया है.
किसान पंचायत में भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार MSP से नीचे खरीद न होने के लिए कानून बनाए. इसके साथ ही मंडियों को टैक्स फ्री किया जाए और व्यापारियों के भंडारण पर लिमिट लगाने की जरूरत है. इस पर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि MSP के बारे में कोई शंका नहीं होनी चाहिए, ये कानून का हिस्सा कभी नहीं रहा है. उन्होंने कहा कि स्टाक लिमिट हटाने से नए निवेश होंगे, नए गोदाम होंगे, अनाज बर्बाद नहीं होंगे. जब माल प्रचुर मात्रा में है तो कालाबाजारी का सवाल नहीं है. किसानों को दो अवसर देने से प्रतिस्पर्धा शुरू होगी. जब प्रतिस्पर्धा होगी, तब किसानों को अधिक फायदा मिलेगा. राज्य सरकारों ने मंडियों के टैक्स को फ्री कर देना चाहिए.
किसान पंचायत के दौरान जालंधर के एक किसान ने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से पूछा कि MSP नहीं खत्म होगी, लेकिन MSP की कोई गारंटी नहीं है, सरकार MSP को खत्म करना चाहती है, हमें गारंटी चाहिए. इस पर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि MSP पर खरीद होती थी और होती रहेगी. किसान भाइयों को किसी के कहने पर गुमराह होने की जरूरत नहीं है. MSP रहेगी और हम अभी खरीफ की MSP घोषित करने वाले हैं.
आजतक से बात करते हुए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि इस विधयेक से मंडी के बाहर का इलाका कवर होता है. APMC एक्ट राज्य का एक्ट है, मंडी भी बरकरार रहेगी. किसानों के पास दो विकल्प रहेंगे. अगर वह मंडी में जाकर उपज बेचना चाहते हैं तो बेच सकता है, लेकिन अगर वह किसी और उपज बेचना चाहता है तो वह बेच सकता है. किसानों को अपनी उपज बेचने का अधिकार मिलेगा.
'किसान पंचायत' कार्यक्रम में देश के कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि हम स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट को लागू कर रहे हैं. न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को बढ़ाया जा रहा है, आने वाले समय में भी MSP को बढ़ाया जाएगा. MSP को लेकर किसी को अविश्वास करने की जरूरत नहीं है. एमएसपी कभी भी एक्ट का हिस्सा नहीं रहा है, यह एक प्रशासकीय निर्णय है और इसका इस बिल से कोई तालुक नहीं है.
आजतक के खास कार्यक्रम 'किसान पंचायत' में सोनीपत के किसानों ने कहा कि हमारी बहुत समय से मांग रही है कि लाभकारी मूल्य मिलना चाहिए, आज जो अध्यादेश आया है, उसको हम किसानों ने पढ़ा और समझा है और हम चाहते हैं कि अध्यादेश में किसानों के फसलों को खरीदने की गारंटी सरकार अपने हाथ में लें, उसे कंपनियों के हाथ में न दें. हम चौथे अध्यादेश की मांग करते हैं, जिससे लिखित में मिले कि सरकार MSP को नहीं खत्म करने वाली है.
किसानों से जुड़े तीन विधेयकों को लेकर संसद से सड़क तक बवाल मचा है. केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने इस्तीफा तक दे दिया है. आइए जानते हैं कि क्या है मसला और खासकर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को लेकर इतना हंगामा क्यों है?
पढ़िए रिपोर्ट- Explainer: नए किसान बिल में MSP को लेकर क्यों मचा है बवाल?
कृषि बिल को लेकर विपक्ष ने भी तेवर दिखाए हैं. विपक्ष का आरोप है कि इस बिल से बड़ी कंपनियों को फायदा होगा, किसानों को नहीं, जबकि सरकार का तर्क है कि इससे किसानों की आय बढ़ेगी.
लोकसभा में कल कृषि सुधार से जुड़े दो विधेयक पास हुए. इस बिल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों की किस्मत बदलने वाला बताया. पीएम मोदी ने कहा कि आजादी के बाद किसानों को किसानी में नई आजादी मिली है, लेकिन इस विधेयक पर मोदी सरकार को अपने पुराने सहयोगी की नाराजगी झेलनी पड़ रही है. केंद्रीय मंत्री और शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है. कांग्रेस भी इस बिल पर सरकार को जमकर घेर रही है. अध्यादेश के खिलाफ कई किसान संगठन सड़कों पर है. दिल्ली से अंबाला तक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. भारतीय किसान यूनियन ने भी बिल का विरोध किया है.
कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020, कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020, आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 को गुरुवार को लोकसभा में पारित किया गया है.