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बंगाल: दुर्गा पूजा के लिए ममता के चुनावी पिटारे से निकलीं सौगात पे सौगात

इस त्योहारी सीजन में मतदाताओं को लुभाने के लिए तमाम राजनीतिक दल कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते. तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस त्योहारी सीजन के लिए बड़ी लोकलुभावन योजना बनाई है. 

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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (फाइल फोटो)
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • ममता बनर्जी ने त्योहारी सीजन के लिए लोकलुभावन योजना बनाई
  • बिजली और नगर निगम के करों में भारी छूट का ऐलान
  • अगले साल से पूजा पंडालों के लिए मुफ्त फायर ब्रिगेड सर्विस

पश्चिम बंगाल में चुनाव अगले साल होने हैं. ऐसे में इस त्योहारी सीजन में मतदाताओं को लुभाने के लिए तमाम राजनीतिक दल कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते. तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस त्योहारी सीजन के लिए बड़ी लोकलुभावन योजना बनाई है. 

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बता दें कि कोविड-19 महामारी का प्रकोप जारी रहने की वजह से देश में इस साल सभी त्योहार बहुत सादा तरीके से मनाए जा रहे हैं. पश्चिम बंगाल का सबसे बड़ा त्योहार ‘दुर्गा पूजा’ भी इससे अछूता नहीं है. दुर्गा पूजा को बेशक सादा तरीके से मनाया जाए लेकिन राज्य में चुनाव से पहले ये आखिरी त्योहारी सीजन है. ऐसे में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अगले साल से पूजा पंडालों के लिए मुफ्त फायर ब्रिगेड सर्विस के अलावा बिजली और नगर निगम के करों में भारी छूट देने का एलान किया है. 

ममता बनर्जी ने कहा, "मैं अपनी ओर से 3 चीजें कर सकती हूं. मैं आपकी स्थिति को समझ सकती हूं. इस वर्ष स्पॉन्सरशिप हासिल करना मुश्किल हो सकता है. यह एक खराब स्थिति है. पूजा कमेटियां काफी परेशानी में हैं. फायर ब्रिगेड मुक्त होगी, निगम या पंचायत किसी तरह का टैक्स नहीं लेंगे कलकत्ता इलेक्ट्रिक सप्लाई कॉरपोरेशन (CESC) की बिजली 50% मुप्त होगी. पश्चिम बंगाल बिजली आपूर्ति निगम भी 50% बिजली मुफ्त देगा. जिन जगहों पर पूजा करने के लिए 10 साल की अनुमति नहीं मिल रही है, अब पूजा कर सकेंगे. मैं पुलिस से उन्हें अनुमति देने के लिए कहूंगी. मुझे पता है कि पूजा समितियों को बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. हम हर साल आपको बुनियादी सहायता प्रदान करते हैं. लेकिन इस साल समस्याएं अधिक गहरी हैं, इसलिए राज्य सरकार की ओर से सभी पूजा कमेटियों को 50,000 रुपए का भुगतान किया जाएगा." 

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फेरीवालों से सिविल वर्कर्स तक, सभी के लिए कुछ न कुछ 

ममता बनर्जी ने कहा, "सिविल पुलिस को पहले  3,000 रुपये मिलते थे, फिर हमने इसे बढ़ाकर 8,000 रुपये किया. उनके लिए तीन लाख रुपये की पेंशन का इंतजाम भी किया. फेरीवाले (हॉकर्स) बहुत गरीब हैं. हमें 81000 फेरीवालों की एक लिस्ट मिली है. पूजा के दौरान हमने उन फेरीवालों के परिवारों को 2000 रुपये भुगतान करने का फैसला किया है, ताकि उनके बच्चे पूजा के लिए नए कपड़े खरीद सकें." 

त्योहारी सीजन में कोरोना सुरक्षा प्रोटोकॉल 

इसके अलावा पूजा कमेटियों को कोरोना सुरक्षा सावधानियों का पूरी तरह से पालन करने के लिए कहा गया है. सोशल डिस्टेंसिंग के पालन के साथ पंडालों में मास्क और सेनिटाइजर्स की पर्याप्त व्यवस्था अहम है. अधिक संख्या में स्वयंसेवकों को नियुक्त किया जाए और उनके लिए फेसशील्ड पहनना भी जरूरी हो. अंजलि/अर्पण के दौरान डिस्टेंसिंग के नियम को बनाया रखा जाए. 

मुख्यमंत्री ने साफ किया कि सावधानियों के पालन के लिए अकेले सरकार ही जिम्मेदार नहीं है. पूजा आयोजकों के दो से ज्यादा वाहनों को पंडाल के अंदर नहीं जाने दिया जाए.  

उद्घाटन पर अधिक तामझाम नहीं किया जाए. एकादशी तक पंडाल लोगों के लिए खोले जाए. कहीं भी अधिक लोग न जुटने दिए जाएं. पंडाल में अधिक जगह होनी चाहिए और वे सभी दिशाओं से खुले रहने चाहिए. इसके अलावा विसर्जन के दौरान कई लोगों की ओर से सिंदूर नहीं लगाया जाना चाहिए. 

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ममता जिस वक्त घोषणाएं कर रही थीं, उस वक्त धार्मिक नेता भी मंच पर मौजूद थे. इस मौके पर ममता ने बीजेपी पर अशांति फैलाने की कोशिश का आरोप भी लगाया. 

मुख्यमंत्री ने कहा, "बहुत से लोग समुदायों के बीच दंगे पैदा करना चाहते हैं लेकिन यह हमारा बंगाल है. हमारी मिट्टी अलग है, यह एकता की मिट्टी है. हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सभी यहां सौहार्द के साथ रहते हैं. हम बंगाल की पवित्र मिट्टी में सभी मिल कर साथ काम करते हैं. बंगाल में, हम विश्व के सबसे बड़े सार्वजनिक उत्सव को मनाते हैं. इस साल, लगभग 37,000 पूजा आयोजन किए जा रहे हैं. ये उनके अतिरिक्त है जो घरों के अंदर पूजा होती हैं. हम शांतिपूर्ण ढंग से इसे मनाएंगे.” 

बंगाल के लिए बीजेपी के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने पलटवार में देर नहीं लगाई और ट्वीट किया. इसमें उन्होंने कहा- “ममता सरकार ने 9 साल तक मदरसों और मौलवियों का खास ध्यान रखा!... लेकिन, दसवें साल उन्हें माँ दुर्गा और पुजारी (ब्राह्मण) याद आने लगे! बात सही भी है 'अंत समय में भगवान याद आते ही हैं!' 

आखिर यह उत्सव की शुरुआत है और फंड विशेष रूप से राज्य पुरोहित भत्ता में दिए गए है, जिससे पुजारियों को अलग से लाभ मिलेगा. वास्तव में यह सिर्फ दुर्गा पूजा की घोषणाएं हीं नहीं है बल्कि चुनाव से पहले वोटरों को दी जाने वाली सौगातों का ट्रेलर भी है.   

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(ज्योतिरमय दत्ता के इनपुट्स के साथ)

 

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