
लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी पार्टियां पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस यानी इंडिया गठबंधन का कुनबा बढ़ाने की कवायद में जुटी हैं. इस मुहिम की शुरुआत में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ ही राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) भी लीड रोल में नजर आई थी. लालू यादव की पार्टी आरजेडी के लिए अब दक्षिण भारत के राज्य केरल से अच्छी खबर आई है. केरल में आरजेडी के कुनबे का विस्तार हुआ है.
केरल की लोकतांत्रिक जनता दल का आरजेडी में विलय हो गया है. केरल के कोझिकोड में आयोजित कार्यक्रम में एलजेडी अध्यक्ष एमवी श्रेयम्स कुमार के नेतृत्व में आरजेडी में विलय से संबंधित रिजॉल्यूशन अपनाने की घोषणा की. एलजेडी अध्यक्ष एमवी श्रेयम्स कुमार ने आरजेडी में विलय के फैसले को बहुत सोच-समझकर लिया गया फैसला बताया और कहा कि ये फैसला सर्वसम्मति से लिया गया. हमने आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को देखते हुए आरजेडी के साथ जाने का फैसला लिया है.
इस अवसर पर आरजेडी की ओर से बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव भी मौजूद थे. तेजस्वी की मौजूदगी में एलजेडी अध्यक्ष ने बिहार में हुई जातिगत जनगणना की तारीफ की. तेजस्वी यादव ने कार्यक्रम में समानता और सामाजिक न्याय के लिए लड़ने की प्रतिबद्धता व्यक्त की. उन्होंने ये भी दावा किया कि हमारी पार्टी ने पटना में बैठक के लिए विपक्षी पार्टियों को आमंत्रित कर इंडिया गठबंधन की नींव रखी. उन्होंने कहा कि बिहार में जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी किए जाने के बाद बीजेपी ये नहीं समझ पा रही है कि इससे किस तरह निपटा जाए?
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एलजेडी अध्यक्ष श्रेयम्स कुमार हों या आरजेडी के तेजस्वी यादव, दो दलों के विलय के मौके पर इनके संबोधन में फोकस बीजेपी और जातिगत जनगणना पर नजर आया. केरल की सियासत में ये दोनों ही उतने प्रासंगिक नहीं हैं. केरल की राजनीति में कांग्रेस और लेफ्ट, ये दो प्रमुख प्रतिद्वंदी हैं और इंडिया गठबंधन में ये दोनों ही प्रतिद्वंदी एक साथ हैं. ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि क्या केरल की सियासत में कास्ट पॉलिटिक्स के रंग घुलेंगे? ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि बिहार में आरजेडी की राजनीति ओबीसी पॉलिटिक्स की बुनियाद पर खड़ी है.
एलजेडी की संसद-विधानसभा में ताकत कितनी
एलजेडी का आरजेडी का विलय हो जाने के बाद लालू यादव की पार्टी के मिशन साउथ को कितनी धार मिलेगी? इसे लेकर चर्चा शुरू हो गई है. चर्चा इसे लेकर भी हो रही है कि केरल की सियासत में एलजेडी का बेस क्या है, पार्टी के कितने सांसद और विधायक हैं, एलजेडी के सांसद-विधायक हैं भी या नहीं? साल 2018 में शरद यादव और अली अनवर ने जनता दल यूनाइटेड से अलग होने के बाद एलजेडी की स्थापना की थी. एलजेडी केरल के सत्ताधारी लेफ्ट गठबंधन में शामिल है.
एलजेडी ने 2021 के केरल चुनाव में तीन सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. एजेडी को एक सीट पर जीत मिली थी जबकि दो सीटों पर पार्टी के उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहे थे. एलजेडी उम्मीदवारों को कुल मिलाकर 1 लाख 93 हजार 10 वोट मिले थे. पार्टी का वोट शेयर 0.9 फीसदी रहा था. अब सवाल ये भी उठ रहे हैं कि एक फीसदी से भी कम वोट शेयर वाली पार्टी के विलय से आरजेडी को कौन सा बड़ा लाभ मिल जाएगा?
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दरअसल, एलजेडी के विलय से आरजेडी को केरल की सियासत में जीता-जिताया एक विधायक मिल गया है. एलजेडी का बना-बनाया सांगठनिक ढांचा, कैडर, नेता और कार्यकर्ता भी मिल गए हैं. पार्टी को शून्य से शुरुआत नहीं करनी. सियासत में संदेश की बड़ी अहमियत होती है और केरल से दक्षिण की सियासत में आरजेडी की एंट्री से बिहार की सरहदों के भीतर सिमटी आरजेडी के दूसरे प्रदेशों में पैर पसारने की उम्मीदों को भी पंख लग गए हैं.