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किसान मामले में दिल्ली पुलिस के सुझाए वकील ही होंगे पेश, LG ने पलटा केजरीवाल कैबिनेट का फैसला

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि 19 जुलाई को केजरीवाल कैबिनेट ने फैसला किया था कि किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर जो केस बने हैं, उसमें दिल्ली सरकार के चयनित वकील ही पब्लिक प्रॉसिक्यूटर बनेंगे, दिल्ली पुलिस के नहीं. लेकिन उपराज्यपाल ने फैसला पलट दिया.

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उपराज्यपाल ने पलटा दिल्ली सरकार का फैसला (फाइल फोटो)
उपराज्यपाल ने पलटा दिल्ली सरकार का फैसला (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार का फैसला पलटा
  • किसान मामले में दिल्ली सरकार के वकील नहीं होंगे पेश

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक बार फिर से उपराज्यपाल पर दिल्ली सरकार के कामकाज में दखलअंदाजी करने का आरोप लगाया है. उन्होंने हमला तेज करते हुए कहा कि "कैबिनेट निर्णयों को इस तरह पलटना दिल्ली वालों का अपमान है. दिल्ली के लोगों ने ऐतिहासिक बहुमत से “आप” सरकार बनायी और भाजपा को हराया. भाजपा देश चलाये, “आप” को दिल्ली चलाने दे. आए दिन हर काम में इस तरह की दख़ल, दिल्ली के लोगों का अपमान है. भाजपा जनतंत्र का सम्मान करे..."

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वहीं दिल्ली के उपराज्यपाल ने किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर बने केस के लिए दिल्ली पुलिस के सुझाये स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर की लिस्ट पर मुहर लगा दी है. उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार को चिट्ठी भेजकर बताया कि मामला राष्ट्रपति के पास भेज दिया गया है लेकिन क्योंकि यह अर्जेंट मामला है, इसलिए संविधान में दी गई शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए दिल्ली पुलिस के सुझाये 11 वकीलों को किसानों के मामले में सरकारी वकील नियुक्त किया गया है. 


केजरीवाल कैबिनेट ने किया था ये फैसला- 

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि 19 जुलाई को केजरीवाल कैबिनेट ने फैसला किया था कि किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर जो केस बने हैं, उसमें दिल्ली सरकार के चयनित वकील ही पब्लिक प्रॉसिक्यूटर बनेंगे, दिल्ली पुलिस के नहीं. लेकिन उपराज्यपाल ने केजरीवाल कैबिनेट के फैसले को खारिज़ करते हुए दिल्ली पुलिस के पैनल पर मुहर लगा दी.

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और पढ़ें- 'दिल्ली सरकार के कामकाज में दखल दे रहे हैं LG', सिसोदिया ने लिखी बैजल को चिट्ठी

26 जनवरी को दिल्ली में किसानों ने मार्च निकाला था. जिसके दौरान हिंसा हुई थी. इसी मामले में किसानों पर बहुत से केस दर्ज हुए हैं. इन्हीं मामलों में दिल्ली पुलिस अपने सुझाये हुए वकीलों को स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर बनाना चाहती थी. जबकि दिल्ली सरकार का कहना था कि जो सरकारी वकील कोर्ट में सरकार की तरफ से नियुक्त होते हैं वही इस मामले में पब्लिक प्रॉसिक्यूटर होंगे.


वकीलों की नियुक्ति में केंद्र सरकार की क्या दिलचस्पी: सिसोदिया

अब उपराज्यपाल के इस आदेश के बाद दिल्ली पुलिस के सुझाए हुए वकील ही किसान मामले में पेश होंगे. मनीष सिसोदिया ने निशाना साधते हुए कहा कि वकीलों की नियुक्ति में केंद्र सरकार की क्या दिलचस्पी है? दिल्ली की चुनी हुई सरकार की नहीं चलने देंगे, बल्कि केंद्र सरकार के वकील मामले को देखेंगे? केंद्र सरकार किसानों के खिलाफ ऐसा क्या करना चाह रही है?

मनीष सिसोदिया ने कहा कि अगर वकीलों की नियुक्ति भी उपराज्यपाल करेंगे तो संविधान में चुनी हुई सरकार का मतलब क्या रह जाएगा? सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच ने संविधान की व्याख्या करते हुए यह साफ कहा है कि दिल्ली सरकार के पास वकील चुनने का अधिकार है. यह बात भी सही है कि उपराज्यपाल के सामने भी एक प्रॉब्लम है कि अगर दिल्ली सरकार के किसी फैसले से वह खुश नहीं है या सहमत नहीं है तो वह उसको राष्ट्रपति के पास भेज सकते हैं और जब तक वहां पर आदेश साफ ना आए तब तक के लिए आदेश दे सकते हैं.

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...लेकिन हर मामले में एलजी ऐसा नहीं कर सकते

उन्होंने कहा कि संविधान के इस अधिकार के बारे में सुप्रीम कोर्ट की कॉन्स्टिट्यूशनल बेंच ने अपने जजमेंट में कहा है कि अगर किसी मामले पर एलजी सहमत नहीं होते तो उसको राष्ट्रपति के पास भेज सकते हैं लेकिन हर मामले में एलजी ऐसा नहीं कर सकते. यह अपनी इस ताकत का इस्तेमाल आए दिन और हर मामले में करते रहते हैं.'

सिसोदिया ने कहा कि अगर यही सब करना है तो केंद्र सरकार संविधान को ठीक से पढ़े और सोचे कि फिर दिल्ली में चुनाव क्यों करवाए जा रहे हैं और दिल्ली में सरकार का मतलब क्या है? 

 

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