लोकसभा के इतिहास में सोमवार को तीसरी बार प्रश्नकाल के दौरान 20 मौखिक प्रश्नों को लिया गया, लेकिन इस दौरान बीजेपी के 9 सांसद सवाल पूछने के लिए मौजूद ही नहीं थे. इन सांसदों के सवाल लिस्ट में शामिल थे. लोकसभा स्पीकर ने प्रश्न पूछने के लिए नाम पुकारे, लेकिन सांसद सदन में नहीं थे.
पिछले हफ़्ते ही बीजेपी संसदीय दल की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सांसदों को संसद में उपस्थित रहने के साथ साथ "अपने तरीके सुधारने" के लिए कहा था.
सोमवार को लोकसभा में बीजेपी मुख्य सचेतक राकेश सिंह, बंगलुरु (दक्षिण) के सांसद तेजस्वी सूर्या, पश्चिम चंपारण (बिहार) के सांसद संजय जायसवाल, कौशाम्बी (उत्तर प्रदेश) के सांसद विनोद कुमार, बालूरघाट (पश्चिम बंगाल) के सांसद और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार और पाली (राजस्थान) के सांसद पीपी चौधरी उन नौ सांसदों में शामिल थे, जो प्रश्नकाल के समय उपस्थित नहीं थे.
अन्य सांसदों ने भी नहीं निभाई संसदीय परंपरा
बीजेपी के लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान अनुपस्थित रहने वाले एक सांसद कहना था कि उन्होंने प्रश्न इसलिए नहीं पूछे, क्योंकि वे दिए गए उत्तर से संतुष्ट थे. पूरक के साथ आगे बढ़ने की आवश्यकता महसूस नहीं की.
संसदीय परम्पराओं के अनुसार, जब सांसद पूरक नहीं पूछना चाहते हों तो भी परम्पराओं के हिसाब से जब सांसद का नाम पुकारा जाए तो खड़े हो जाएं और कहें कि आप अपना पूरक नहीं रखना चाहते हैं, लेकिन इन सांसदों ने भी ऐसा नहीं किया. लोकसभा में इससे पहले के प्रश्नकाल के दौरान 20 मौखिक प्रश्न 14 मार्च 1972 और 27 नवंबर 2019 को पूरे हुए थे.