भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने लोकसभा उपचुनाव के लिए आजमगढ़ से भोजपुरी स्टार दिनेश लाल यादव “निरहुआ” को उम्मीदवार बनाया हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में भी दिनेश लाल यादव को भाजपा ने आजमगढ़ सीट से उतारा था. हालांकि वो चुनाव हार गए थे. इसके अलावा पार्टी ने रामपुर सीट से अपने प्रत्याशी का नाम तय कर दिया है. रामपुर से बीजेपी का चेहरा घनश्याम लोधी होंगे. बता दें कि आजमगढ़ सीट अखिलेश यादव और रामपुर सीट आजम खान के लोकसभा सदस्य पद से इस्तीफे के बाद खाली हुई थी.
शुक्रवार को निरहुआ ने अपनी दावेदारी के लिए ट्विटर पोस्ट भी किया था. इस पोस्टर के माध्यम से दिनेश लाल यादव निरहुआ ने कहा कि जाति धरम न कवनो भरम, न कौवनौ मनबढ़ के लिए, कमल का बटन दबईह भैय्या, अपने आजमगढ़ के लिए. इस तरह के स्लोगन के जरिए निरहुआ ने बाहुबलियों की तरफ इशारा करते हुए उपचुनाव में जिले की जनता से भाजपा को जिताने की अपील की थी.
जाति धरम ना कवनो भरम ना कवनो मनबढ़ के लिए
— Nirahua Hindustani (@nirahua1) June 3, 2022
कमल क बटन दबईह भैया अपने आज़मगढ़ के लिए@BJP4India @BJP4UP @narendramodi @JPNadda @myogiadityanath @kpmaurya1 @swatantrabjp @RadhamohanBJP @ravikishann @ManojTiwariMP pic.twitter.com/6DXoWB0AWY
गौरतलब है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में आजमगढ़ सीट से दिनेश लाल यादव को समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने हराया था. इससे पहले 2014 में भाजपा प्रत्याशी रमाकांत यादव इस सीट से सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव से चुनाव हारे थे.
सपा ने दलित चेहरे पर चला दांव
समाजवादी पार्टी ने रामपुर सीट पर उम्मीदवार के नाम का ऐलान अभी नहीं किया है, जबकि आजमगढ़ से लोकसभा उपचुनाव में दलित चेहरे पर दांव खेला है. सपा ने आजमगढ़ से सुशील आनंद को उम्मीदवार बनाया है. सुशील आनंद बामसेफ के संस्थापक सदस्यों में रहे बलिहारी बाबू के बेटे हैं. इधर, मायावती ने अपना पूरा जोर मुस्लिम चेहरे गुड्डू जमाली पर लगाया है. बता दें कि बीते विधानसभा चुनाव में आजमगढ़ जिले की सभी 10 सीटों पर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की थी.
नकवी को लेकर चल रही अटकलों पर विराम
बीजेपी ने राज्यसभा के लिए अपने किसी भी मुस्लिम नेता को प्रत्याशी नहीं बनाया है जबकि केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी, एमजे अकबर और सैयद जफर इस्लाम का कार्यकाल खत्म हो रहा है. ऐसे में मुख्तार अब्बास नकवी की साख दांव पर है, क्योंकि अगर वो दोबारा से संसद नहीं पहुंचते हैं तो उन्हें छह महीने के भीतर मंत्री पद छोड़ना पड़ सकता है. अटकलें थी कि नकवी को बीजेपी रामपुर से मैदान में उतार सकती है, लेकिन अब इस पर विराम लग चुका है. यहां से बीजेपी घनश्याम लोधी मैदान हैं.