
सरकार गठन के बाद अब लोकसभा स्पीकर के चुनाव की बारी है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की अगुवाई वाले सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की कोशिश आम राय बनाने की है. बीजेपी ने इसके लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को जिम्मेदारी दी है कि वो सहयोगी पार्टियों के साथ ही विपक्षी दलों से बात कर स्पीकर को लेकर आम सहमति बनाने का प्रयास करें. वहीं, विपक्ष इसे पिछली लोकसभा में रिक्त रहे डिप्टी स्पीकर पद के लिए सरकार पर दबाव बनाने के लिए मौके की तरह देख रहा है. विपक्षी इंडिया ब्लॉक के नेता बार-बार ये कह रहे हैं कि डिप्टी स्पीकर का पद विपक्षी गठबंधन की किसी पार्टी को नहीं मिला तो हम स्पीकर के लिए चुनाव में उम्मीदवार उतारेंगे.
विपक्ष बार-बार इस बात पर भी जोर दे रहा है कि स्पीकर पद के लिए चंद्रबाबू नायडू की अगुवाई वाली तेलुगु देशम पार्टी (टीडी) और नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) को कोशिश करनी चाहिए. शिवसेना (यूबीटी) के राज्यसभा सांसद संजय राउत कह चुके हैं कि स्पीकर के लिए टीडीपी अगर उम्मीदवार उतारती है तो हम यह सुनिश्चित करने की कोशिश करेंगे कि इंडिया ब्लॉक की पार्टियों का समर्थन उसे मिले. अब सवाल ये उठ रहे हैं कि स्पीकर चुनाव के लिए टीडीपी को इंडिया ब्लॉक के ऑफर से क्या बीजेपी का गणित उलझेगा? स्पीकर चुनाव में विपक्ष के लिए कितनी संभावनाएं हैं और लोसकसभा का नंबरगेम क्या है?
टीडीपी को इंडिया ब्लॉक के ऑफर के पीछे क्या
सबसे पहले बात टीडीपी को इंडिया ब्लॉक के ऑफर की. ऐसी चर्चा थी कि टीडीपी स्पीकर का पद चाहती है. हालांकि, बीजेपी ने साफ संदेश दे दिया है कि स्पीकर की कुर्सी पार्टी अपने पास ही रखेगी. अब विपक्ष की रणनीति चंद्रबाबू नायडू की महत्वाकांक्षा को हवा देकर यह नैरेटिव सेट करने की है कि एनडीए में सरकार बनते ही फूट शुरू हो गई. चंद्रबाबू की टीडीपी और नीतीश कुमार की जेडीयू इन चुनावों में किंगमेकर बनकर उभरे हैं. विपक्षी पार्टियों को शायद यह लगता है कि नायडू छिटक आए तो मोदी सरकार 3.0 का संख्याबल 293 से घटकर 277 पर आ जाएगा जो बहुमत के लिए जरूरी 272 से महज पांच अधिक है.
स्पीकर चुनाव में विपक्ष के लिए कितनी संभावनाएं
लोकसभा स्पीकर के चुनाव में विपक्षी गठबंधन को भी पता है कि उसके लिए कितनी संभावनाएं हैं. विपक्ष की मंशा मजबूती का संदेश देने की है. विपक्ष बार-बार डिप्टी स्पीकर का पद किसी विपक्षी पार्टी को देने की मांग कर रहा है. लोकसभा में यह परंपरा भी रही है कि स्पीकर की पोस्ट सत्ताधारी दल या गठबंधन के पास रही है तो वहीं डिप्टी स्पीकर की कुर्सी विपक्षी पार्टी या विपक्षी गठबंधनों के हिस्से जाता रहा है. पिछली लोकसभा के कार्यकाल में पूरे पांच साल तक डिप्टी स्पीकर का पद खाली रहा था. अब विपक्ष की रणनीति सरकार को इस बात के लिए तैयार करने की है कि अगर वह आम सहमति से स्पीकर चुनना चाहती है तो उसे डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को देने की परंपरा का भी पालन करना होगा.
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एनडीए और इंडिया, लोकसभा के नंबरगेम में कौन कहां खड़ा है
लोकसभा के नंबरगेम की बात करें तो बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए के 293 सांसद हैं. बीजेपी 240 सीटों के साथ एनडीए की सबसे बड़ी पार्टी है तो वहीं टीडीपी के 16, जेडीयू के 12, शिवसेना (शिंदे) के सात, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के पांच सांसद हैं. बाकी 10 पार्टियों के 13 सांसद हैं. वहीं, विपक्षी इंडिया ब्लॉक की बात करें तो गठबंधन को चुनाव में 234 सीटों पर जीत मिली थी.
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लोकसभा की 99 सीटों पर जीत के साथ कांग्रेस इंडिया ब्लॉक की सबसे बड़ी पार्टी बनी तो वहीं 37 सीटों पर जीत के साथ समाजवादी पार्टी (सपा) गठबंधन में दूसरे नंबर पर है. ममता बनर्जी की अगुवाई वाली तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) को 29, डीएमके को 22 सीटों पर जीत मिली थी. स्पीकर चुनाव के लिहाज से देखें तो टीडीपी अगर उम्मीदवार देती है और उसे इंडिया ब्लॉक में शामिल दलों का समर्थन मिल भी जाता है तो पार्टी 250 तक ही पहुंच पाएगी जो जीत के लिए जरूरी 272 के आंकड़े से काफी कम है. दूसरी तरफ, एनडीए के पास टीडीपी के बिना भी 277 सांसदों का समर्थन रहेगा जो जीत सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त है.