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Loksabha Election 2024: विपक्षी खेमे में 5 नेता 5 मोर्चे, कौन बनेगा 2024 में अगुआ?

लोकसभा चुनाव 2024 अब सिर्फ साल भर की दूरी पर है. जहां एक ओर भाजपा हैट्रिक लगाने की तैयारी कर रही है तो वहीं कांग्रेस समेत विपक्षी दल भाजपा के इस विजय अभियान को रोकने की कोशिश में जुट गए हैं. इसके लिए विपक्षी दलों में गुट बनने लगे हैं, खेमा बंटने लगा है. कांग्रेस, सीएम ममता, केसीआर, शरद पवार और अरविंद केजरीवाल तक विपक्षी गुट का नेतृत्व करने की चाहत रखते दिख रहे हैं.

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शरद पवार, अरविंद केजरीवाल, सोनिया गांधी, ममता बनर्जी, केसीआर (फाइल फोटो)
शरद पवार, अरविंद केजरीवाल, सोनिया गांधी, ममता बनर्जी, केसीआर (फाइल फोटो)

जितनी तेजी से कैलेंडर की एक-एक तारीख 2024 की तरफ बढ़ रही है, सत्ता के गलियारे की हलचल भी बढ़ती जा रही है. लोकसभा चुनावों के मद्देनजर हर पार्टी तैयारी में जुट गई है. लेकिन एक सवाल लगातार उठ रहा है कि इस आने वाले चुनाव में बीजेपी को जोरदार टक्कर किससे मिलेगी, कौन गैर बीजेपी दलों का प्रतिनिधि बनकर सामने आएगा या फिर अगर कोई नया मोर्चा साकार हो तो उसका अगुआ कौन होगा? 

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यह सवाल अभी बहुविकल्पीय प्रश्न बनकर खड़ा है, जिसके हर विकल्प (कांग्रेस, टीएमसी, आप, बीआरएस और एनसीपी) अलग-अलग दौड़ते नजर आ रहे हैं. माहौल ऐसा बना हुआ है कि पांचों ही दलों के सुप्रीमो, अलग-अलग पार्टियों से हाथ मिलाकर भाजपा के खिलाफ माहौल तैयार करने में जुटे हुए हैं.

ममता बनर्जी बना रही हैं नया गठबंधन

टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी इसमें सबसे आगे दिख रही हैं. वह गुरुवार को भुवनेश्वर में ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक से मुलाकात करने जा रही हैं. उनकी इस मुलाकात को उनकी 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर शुरू कई गई मुहिम का एक और पड़ाव की तरह देखा जा रहा है, जहां वह पटनायक को अपने बनाए जा रहे नए गठबंधन में शामिल होने का न्योता दे सकती हैं. पटनायक इस गठबंधन में शामिल होंगे या नहीं, ये मुलाकात के बाद ही साफ होगा, लेकिन बीते 17 मार्च को सपा प्रमुख अखिलेश यादव, टीएमसी के साथ हाथ मिला चुके हैं. अखिलेश यादव का कहना है कि वह भाजपा और कांग्रेस दोनों से ही दूरी बनाकर रहेंगे. वहीं उन्होंने सीएम ममता पर भरोसा जताते हुए कहा कि भगवा खेमे को हराने के लिए वह टीएमसी के साथ हैं. 

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ताकत बटोरने के लिए निकला ममता का यह रथ भुवनेश्वर तक ही नहीं रुकेगा, आगे उनका प्लान है कि शुक्रवार को वह कालीघाट में पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी देवेगौड़ा के बेटे कुमार स्वामी से मुलाकात करेंगी. कुमार स्वामी ममता के कालीघाट स्थित आवास पर बैठक के लिए आ रहे हैं. इस तरह जिस नए गठबंधन में अभी टीएमसी और सपा हैं, उसमें बीजद और कर्नाटक के पूर्व सीएम कुमार स्वामी की पार्टी भी शामिल हो सकती है. 

सीएम केजरीवाल की डिनर डिप्लोमेसी

इधर, अपने लेंस को दिल्ली के नक्शे पर लगा कर देखें तो यहां आप प्रमुख और सीएम केजरीवाल की भी पॉलिटिकल किचन से धुआं उठता दिख रहा है. खबर है कि उनके पतीले में 8 लोगों की खिचड़ी पक रही है. सीएम केजरीवाल ने पत्र लिखकर सात गैर-भाजपा व गैर-कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को 18 मार्च को रात्रिभोज के लिए बुलाया था. हालांकि यह पत्र बाद में वायरल हो गया. केजरीवाल के इस पत्र को 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर चुनावी गठबंधन के उनके प्रयासों के रूप में देखा जा रहा है. हालांकि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को कहा कि जी-8 एक ऐसा मंच है, जिसका उद्देश्य शासन संबंधी विषयों पर चर्चा करना है और इसका 2024 के लोकसभा चुनावों से कोई लेना-देना नहीं है.

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शरद पवार के आवास पर भी विपक्षी दलों की मीटिंग

उधर, एनसीपी नेता शरद पवार अभी से EVM का राज अलापना शुरू कर दिया है. उन्होंने इस 'गान' में संगत के लिए उन सभी दलों को बुलाया है, जिन्हें ईवीएम से चुनाव पर दिक्कत रही है या फिर इसे लेकर संदेह रहा है. मीटिंग नई दिल्ली में शरद पवार के आवास पर शाम 6 बजे होगी. उन्होंने राज्यसभा में विपक्षी दलों के नेताओं को मीटिंग के लिए आमंत्रित किया है. इसके लिए उन्होंने सभी राजनीतिक दलों को लेटर लिखा है. माना जा रहा है मीटिंग में लोकसभा चुनाव बैलेट पेपर से कराने पर चर्चा हो सकती है. इस तरह सीएम केजरीवाल और ममता के बाद शरद पवार भी उसी लाइन में लगे हैं, जहां से विपक्ष का लीडर बनने की दौड़ होने वाली है. 

कांग्रेस में विपक्ष का चेहरा बनने की होड़

कांग्रेस को देश की सबसे पुरानी पार्टी होने का तमगा हासिल है. इसलिए उसमें विपक्षी दलों का नेता बनने की तड़प भी अधिक है. इसके लिए कांग्रेस पीएम नरेंद्र मोदी को हर हाल में रोकने के लिए ताना-बाना बुनने लगी है. विपक्षी एकता का झंडा बुलंद किए कांग्रेस समान विचारधारा वाले दलों से गठबंधन के लिए जोर दे रही है. अभी बीते महीने रायपुर मे 85वें अधिवेशन में कांग्रेस ने 2004 वाला ही फॉर्मूला सामने रखा है. देखना ये है कि क्या कांग्रेस का ये फॉर्मूला समान विचारधारा वाले विपक्षी दलों को मान्य होगा. 
 
केसीआर भी अगुआ बनने की कर रहे तैयारी

विपक्ष का अंब्रेला बनने की फड़फड़ाहट तेलंगाना की तरफ भी नजर आ रही है. टीआरएस नेता के चंद्रशेखर राव तो बीते साल के आखिरी महीनों से ही इस मुहिम पर निकले हुए हैं. वह 2022 में बिहार पहुंचे थे और सीएम नीतीश के साथ मिलकर संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी. इसके बाद जनवरी 2023 में केसीआर ने खम्मम में एक जनसभा आयोजित की थी. अपनी पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने के लिए ही उसका नाम तेलंगाना राष्ट्र समिति से भारत राष्ट्र समिति किया गया है. इस रैली की अगुआई तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने खुद की थी.राव के बुलावे पर कई बड़े दलों के नेता पहुंचे थे. दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, केरल के मुख्यमंत्री और सीपीआई (एम) नेता पिनाराई विजयन, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और CPI महासचिव डी. राजा शामिल हुए थे. अब देखना ये है कि सभी विपक्षी दल आखिर किस पार्टी के बैनर के नीचे आकर चुनाव लड़ने वाले हैं.

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