पिछले कई दिनों से किसानों पर अलग से चर्चा की मांग को लेकर विपक्ष के साथ सरकार का गतिरोध चला आ रहा था. सरकार की ओर से संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने भी कई बार विपक्ष से सदन चलने देने अपील और कहा कि आप जो भी बात रखना चाहते हैं सदन में रख सकते हैं. लेकिन विपक्ष अपनी मांग पर अड़ा रहा कि अलग से चर्चा के बिना वह सदन नहीं चलने देगा. इतना ही नहीं लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी बार-बार सदस्यों से सदन चलने देने अपील की. लेकिन विपक्ष नहीं माना.
जबकि दूसरी तरफ राज्यसभा में विपक्ष ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा करके धन्यवाद प्रस्ताव भी पारित कर दिया. लेकिन लोकसभा में मामला फंसा रहा, जबकि अमूमन लोकसभा में प्रधानमंत्री का राष्ट्रपति के अभिभाषण पर जवाब पहले हो जाता है. राज्यसभा में बाद में होता है लेकिन इस बार उल्टा हुआ. राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा पहले हुई और प्रधानमंत्री का जवाब हुआ. इसके बाद लोकसभा का नंबर आया.
इस गतिरोध को तोड़ने के लिए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भूमिका निभाई. लेकिन उससे पहले दोपहर को राहुल गांधी की विपक्ष के नेताओं के साथ बैठक हुई. इसमें तय हुआ कि अगर सरकार की ओर से कोई बड़ा मंत्री सदन चलाने की अपील करेगा, तो विपक्ष राष्ट्रपति के अभिभाषण के चर्चा में शामिल होगा. इसका मैसेज सरकार के पास गया और फिर सरकार की ओर से तय किया गया कि राजनाथ सिंह 5 बजे लोकसभा में विपक्ष से सदन चलाने की अपील करेंगे.
इसके बाद विपक्ष चर्चा में शामिल होने के लिए तैयार हो जाएगा. लेकिन इसी बीच 4:00 बजे जैसे ही लोकसभा की कार्यवाही शुरू हुई और प्रश्नकाल शुरू हुआ तो विपक्ष ने हंगामा करना शुरू कर दिया. इसकी वजह से 5:00 बजे तक के लिए लोकसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी. इसी दौरान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सभी पार्टी के नेताओं की बैठक बुलाई जिसमें गतिरोध तोड़ने पर सहमति बन गई.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 5:00 बजे लोकसभा में आकर विपक्षी पार्टी के नेताओं से अपील की कि राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा प्रारंभ होनी चाहिए और धन्यवाद प्रस्ताव पारित होना चाहिए. यह हमेशा से परंपरा रही है और लोकतंत्र की परंपरा को टूटने नहीं देना चाहिए. विपक्ष को जो भी बात कहनी है जैसे भी कहनी है. वह इस चर्चा के दौरान कह सकते हैं.
इस पर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा को लेकर जो परंपरा रही है, हम भी उसका सम्मान करते हैं. उसको टूटने नहीं देना चाहते हैं, लेकिन हमारी किसानों को लेकर जो मांग रही है, उस पर हम चाहते हैं कि राष्ट्रपति के अभिभाषण पर प्रस्ताव पारित होने के बाद किसानों के मुद्दे पर 2-4 घंटे के लिए चर्चा होनी चाहिए. यह हमारी कोई व्यक्तिगत मांग नहीं थी, देश के किसानों को लेकर मांग थी कि उनकी स्थिति कैसी है. उस पर चर्चा होनी चाहिए हम इतना ही चाहते थे. जहां तक राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव की बात है हम उसका सम्मान हमेशा से करते रहे हैं. यह परंपरा सालों से चली आ रही है. उसको हम टूटने नहीं देना चाहते हैं. इसके बाद राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लोकसभा में चर्चा शुरू हो गई.