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उद्धव के हिन्दू वोट बैंक पर नजर, अपने बड़बोले नेताओं पर लगाम... क्या है महाराष्ट्र में BJP का मिशन 45?

इस समय बीजेपी के सामने कई चुनौतियां खड़ी हैं. एक तरफ सबसे पहले उसे पुणे जिले की दो सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तैयारी करनी है, वहीं इसके बाद लोकसभा और विधानसभा चुनाव के लिए अपनी रणनीति पर काम करना है.

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डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस
डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस

महाराष्ट्र की राजनीति में पिछले कुछ सालों में काफी कुछ बदल गया है. पहले शिवसेना का बीजेपी से अलग होना, फिर शिवसेना का कांग्रेस-एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाना, फिर बीजेपी का एकनाथ शिंदे को अपने साथ लाना और सत्ता परिवर्तन करवा देना. ये तमाम वो राजनीतिक मोड़ हैं जिन्होंने जमीन पर सभी पार्टियों के लिए समीकरण बदल दिए हैं. एक तरफ उद्धव ठाकरे अब अपनी पार्टी शिवसेना के अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं तो दूसरी तरफ वो बीजेपी खड़ी है जिसे एकनाथ शिंदे का साथ तो मिला है, लेकिन शिवसेना के कोर वोटर ने उसे कितना स्वीकार किया, इस पर संशय है.

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हिंदू वोट पर उद्धव की नजर, बीजेपी ने बनाई रणनीति

इस समय बीजेपी के सामने कई चुनौतियां खड़ी हैं. एक तरफ सबसे पहले उसे पुणे जिले की दो सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तैयारी करनी है, वहीं इसके बाद लोकसभा और विधानसभा चुनाव के लिए अपनी रणनीति पर काम करना है. बीजेपी के लिए ये चुनौती इसलिए है क्योंकि एकनाथ शिंदे के साथ आने के बावजूद भी उसे हाल में हुए चुनावों में हार का सामना करना पड़ा. सबसे बड़ा झटका तो पार्टी को नागपुर और नासिक में लगा जहां पर उसकी पकड़ मजबूत मानी जाती है. ऐसे में अब पार्टी अपनी सभी कमजोरियों को दूर करने पर फोकस कर रही है. उसकी नजर शिवसेना के उस हिंदू वोटर पर भी है जो वो मानकर चल रही है कि इस समय उद्धव से नाराज है. इस बारे में बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव विनोद तावड़े ने कहा कि बाला साहेब ठाकरे के साथ जो कोर वोटर जुड़ा हुआ था, उद्धव के हिंदुत्व को लेकर लिए गए स्टैंड से वो नाराज है.

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महाराष्ट्र में बीजेपी की दो दिवसीय प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में इस रणनीति पर विस्तार से बात की गई है. हिंदू वोटर को कैसे एकजुट किया जाए, किस तरह से उन्हें पूरी तरह पार्टी के पक्ष में लाया जाए, इस पर जोर है. पिछले चुनाव के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि बीजेपी को हिंदुओं का 28 फीसदी वोट मिला था, शिवसेना को 19 फीसदी, कांग्रेस को 18 और एनसीपी के खाते में 17 फीसदी गया. अब अगर बीजेपी हिंदू वोट को पूरी तरह अपने पाले में लाना चाहती है, उसके लिए उसे 50 फीसदी वाला मिशन तय करना पड़ेगा. यानी कि बीजेपी को कम से कम 45 से 50 प्रतिशत के बीच में हिंदू वोट अपने पाले में लाना होगा.

मिशन 45 तैयार, 288 में से 200 सीटें जीतने का टारगेट

अब हिंदू वोट जीतने की कोशिश तो बीजेपी करने ही वाली है, इसके साथ-साथ आगामी लोकसभा चुनाव में उसकी सीटों में भी इजाफा हो, इस पर खास ध्यान दिया जा रहा है. पार्टी 'महा विजय 2024 मिशन' शुरू करने जा रही है. इस मिशन के तहत पार्टी लोकसभा चुनाव में 48 में से 45 सीटें जीतने का टारगेट रखेगी. वहीं विधानसभा में भी वो 288 में से 200 सीटें जीतने की कोशिश रहेगी. यानी कि महाविकास अघाड़ी के सामने कैसे प्रचंड बहुमत के साथ वापस आया जाए, इसका रोडमैप तैयार किया जा रहा है. इस रोडमैप की एक अहम कड़ी वो हारी हुईं सीटें हैं जिस पर पार्टी इस बार बाजी पलटना चाहती है. इसी वजह से मीटिंग में ये फैसला हुआ है कि बड़े मंत्री एक-एक सीट का जिम्मा उठाएंगे और पार्टी की वहां पर जीत करवाएंगे. गृह मंत्री अमित शाह खुद 18 और 19 फरवरी को कोल्हापुर आने वाले हैं.

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बड़बोले नेता और पार्टी की खराब होती छवि चुनौती

अब बीजेपी की ये रणनीति काम तो कर सकती है, लेकिन उसे अपने उन नेताओं पर लगाम लगाना पड़ेगा जो बड़बोले हैं, जिनकी तरफ से नियमित रूप से विवाद खड़ा कर दिया जाता है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने इसी बात पर चिंता भी जाहिर की है और दो टूक कहा है कि बेकार के विवादों से सभी को दूर रहना है. पार्टी ने ये महसूस किया है कि विवादित बयानों की वजह से आम जनता के बीच में पार्टी की छवि धूमिल हुई है. फिर चाहे वो मंगल प्रभात लोधा का शिवाजी महाराज को लेकर बयान रहा हो या फिर चित्रा वाघ की एक्ट्रेस उर्फी जावेद को लेकर टिप्पणी. सोशल मीडिया की दुनिया में ये बयान ही किरकिरी का सबब बनते हैं, ऐसे में चुनावी मौसम में बीजेपी ये रिस्क नहीं लेना चाहती है.

महत्वकांक्षा ज्यादा, पद की लालसा को करना होगा कंट्रोल

इस समय बीजेपी जमीन पर तैयारी तो पूरी कर रही है, बड़े-बड़े टारगेट भी सेट कर दिए हैं, लेकिन नेताओं की बढ़ती महत्वकांक्षा ने सिरदर्दी को बढ़ाने का भी काम किया है. डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस को इस बात का अहसास है. ऐसे में उन्होंने दो दिवसीय बैठक में कहा है कि अभी सभी शांत रहें, मंथन करें और अगले चुनाव तक इंतजार करें. फडणवीस को विश्वास है कि अगर इस बार जनता का विश्वास जीत लिया गया तो लंबे समय तक पार्टी इस राज्य में अपनी सरकार बना सकती है. अब ये तभी संभव हो पाएगा अगर पार्टी के सभी कार्यकर्ता जमीन पर मेहनत करें. फडणवीस ने जोर देर कहा है कि किसी को भी अपने अंदर के कार्यकर्ता को मरने नहीं देना है. अगर हर कोई नेता बन जाएगा तो फिर कोई कार्यकर्ता नहीं बचेगा.

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गद्दार वाला नेरेटिव करना होगा दूर, विपक्ष के खिलाफ बनी योजना

अब बीजेपी एक तरफ अपनी सीटों को बढ़ाने की कोशिश में लगी है तो दूसरी तरफ उसके सामने वो राजनीतिक नेरेटिव भी मजबूती के साथ खड़ा है जहां पर महा विकास अघाड़ी का हर नेता दावा कर रहा है कि ये सरकार कार्यकाल पूरा होने से पहले गिर जाएगी. ये सरकार असंवैधानिक है. बीजेपी इस नेरेटिव से लड़ना चाहती है, ऐसे में बैठक के दौरान विपक्ष के खिलाफ काउंटर रणनीति क्या रहे, इस पर भी मंथन हुआ है. इस बारे में भी बैठक में फडणवीस ने विस्तार से बात की है. उन्होंने दो टूक कहा है कि वे और उनकी पार्टी का कोई भी कार्यकर्ता गद्दार नहीं है. गद्दारी शिवसेना ने की थी, जब कांग्रेस और एनसीपी के साथ हाथ मिलाया. ऐसे में पार्टी ने हर पहलू पर विस्तार से चर्चा कर ली है, एक रोडमैप भी तैयार है, जमीन पर किस तरह से इसे लागू किया जाता है, ये आने वाले दिनों में साफ हो जाएगा.


 

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