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महायुति बनाम महाविकास अघाड़ी... विधानसभा से संसद तक किसके पास कितनी ताकत, 2024 से पहले कितना बदला नंबरगेम?

अजित पवार रविवार को शरद पवार से बगावत कर महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल हो गए. उन्होंने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली. अजित पवार के साथ 8 और विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली. अजित पवार के साथ मिलकर अब महाराष्ट्र में महायुति सरकार बनी है. महायुति सरकार के बाद अब महाराष्ट्र में नंबर गेेम भी पूरी तरह से बदल गया है.

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महाराष्ट्र में अजित पवार की बगावत से बदला नंबर गेम
महाराष्ट्र में अजित पवार की बगावत से बदला नंबर गेम

महाराष्ट्र में अब मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में 'महायुति' सरकार है. इस सरकार में दो डिप्टी सीएम अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस हैं. 'महायुति' में बीजेपी, एकनाथ शिंदे गुट की शिवसेना और अजित पवार गुट और अन्य सहयोगी दल शामिल है. 2024 लोकसभा चुनाव से पहले शरद पवार से बगावत कर भतीजे अजित पवार का एनडीए के साथ आना बीजेपी के लिए किसी कामयाबी से कम नहीं है. अजित पवार ने यह कदम ऐसे वक्त पर उठाया, जब हाल ही में पटना में बीजेपी के खिलाफ विपक्षी दलों का महाजुटान हुआ था. ऐसे में अब अगले लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी vs महायुति की लड़ाई देखने को मिलेगी. 

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उधर, महाराष्ट्र के महाविकास अघाड़ी गठबंधन में एक साल में यह दूसरी बड़ी फूट है. इससे पहले जून 2022 में एकनाथ शिंदे ने 40 विधायकों के साथ शिवसेना से बगावत कर दी थी. इसके बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास अघाड़ी सरकार गिर गई थी. इतना ही नहीं शिंदे की बगावत के बाद उद्धव ठाकरे को पार्टी और पार्टी के निशान से भी हाथ धोना पड़ा. 

महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी का उदय 

दरअसल, महाराष्ट्र में 2019 में विधानसभा चुनाव हुए थे. इस चुनाव में बीजेपी और शिवसेना ने साथ चुनाव लड़ा था. जबकि कांग्रेस और एनसीपी साथ मिलकर मैदान में उतरे थे. बीजेपी और शिवसेना गठबंधन ने बहुमत हासिल किया था. लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर दोनों पार्टियों में विवाद हो गया था. इसके बाद शिवसेना ने बीजेपी से 3 दशक पुराना अपना रिश्ता तोड़ दिया था. 

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इसके बाद शिवसेना कांग्रेस और एनसीपी के साथ महाराष्ट्र में सरकार बनाने की कोशिश में जुटी थी, तभी एनसीपी नेता अजित पवार ने शरद पवार से बगावत कर बीजेपी को समर्थन दे दिया था. बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री और अजित पवार ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली थी. लेकिन तब शरद पवार ने अजित पवार की कोशिशों को नाकाम कर दिया था और एनसीपी को टूटने से बचा लिया था. इसके बाद महाराष्ट्र में अलग अलग विचारधाराओं वाले दल शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी एक साथ आए थे और महाविकास अघाड़ी सरकार बनाई थी. उद्धव ठाकरे इस सरकार में सीएम बने थे. वे 2019 से 2022 तक मुख्यमंत्री रहे. 

महाविकास अघाड़ी को एक साल में दो झटके

- जून 2022: जून 2022 में महाविकास अघाड़ी को पहला और सबसे बड़ा झटका तब लगा, जब उद्धव ठाकरे के करीबी एकनाथ शिंदे ने बगावत कर दी. उनके साथ 40 विधायक भी बागी हो गए. इसके बाद उद्धव के नेतृत्व वाली महाविकास अघाड़ी सरकार गिर गई. शिंदे ने 30 जून 2022 को बीजेपी के समर्थन से सरकार बनाई. इसके बाद पार्टी के 12 सांसद और अन्य कई बड़े नेता भी शिंदे के खेमे में आ गए. 

- जुलाई 2023: 2024 लोकसभा चुनाव को 1 साल से कम समय रह गया, इससे पहले महाविकास अघाड़ी को दूसरा बड़ा झटका लगा है. अब एनसीपी खेमे में बगावत हुई है. पार्टी के मुखिया शरद पवार के भतीजे अजित पवार एनडीए में शामिल हो गए हैं. उन्होंने शिंदे सरकार में डिप्टी सीएम पद की शपथ ली. इसके साथ ही एनसीपी के 8 और विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली है. 

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महाराष्ट्र में महायुति बनाम महाविकास अघाड़ी

288 सीटों वाले महाराष्ट्र में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है. बीजेपी के पास 106 विधायक हैं. जबकि शिंदे गुट वाली शिवसेना के पास 40, एनसीपी के पास 53, कांग्रेस के पास 44, उद्धव ठाकरे गुट के पास 16 और 29 विधायक निर्दलीय और अन्य हैं. 

महायुति के पास कितनी ताकत?
 
- अजित पवार का दावा है कि उनके पास 53 में से 40 विधायक हैं. यानी दो तिहाई से ज्यादा. हालांकि, बताया जा रहा है कि अजित पवार के खेमे में कुल 24 विधायक हैं. जबकि 14 विधायक शरद पवार के साथ हैं. पार्टी में 15 विधायक ऐसे हैं, जो अभी किसी भी गुट में नहीं हैं. यानी न तो उन्होंने अभी अजित पवार के साथ जाने का फैसला किया है और न ही शरद पवार के.  

- ऐसे में अगर नंबर गेम की बात करें तो महायुति के पास बीजेपी (106),  शिंदे गुट की शिवसेना (40), अजित पवार (24), बहुजन विकास अघाड़ी 3, प्रहर जनशक्ति पार्टी 2, निर्दलीय 13  और राष्ट्रीय समाज पार्टी और जनसुराज शक्ति पार्टी के 1-1 विधायक हैं. यानी 288 सीटों वाले सदन में एनडीए सरकार के पास 190 विधायकों का समर्थन है. 

संसद में कितनी शक्तिशाली महायुति?

- लोकसभा की बात करें तो महाराष्ट्र में 48 सांसदों में सबसे ज्यादा 22 सांसद बीजेपी के हैं. जबकि शिवसेना शिंदे गुट के पास 12, शिवसेना उद्धव गुट के पास 6, एनसीपी के पास 4 और कांग्रेस के पास 1, AIMIM के पास 1 और 1 निर्दलीय सांसद हैं. 

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-  अजित पवार को बगावत के वक्त दो सांसदों सुनील तटकरे और अमोल कोल्हे ने समर्थन दिया था. हालांकि, बाद में अमोल कोल्हे शरद पवार गुट में पहुंच गए. ऐसे में अजित पवार के पास सिर्फ एक सांसद का समर्थन है. ऐसे में महायुति की बात करें तो अब लोकसभा में 36 सांसदों (बीजेपी-22, शिंदे गुट- 12, अजित पवार गुट-1, निर्दलीय-1) का समर्थन होगा. 

- महाराष्ट्र में राज्यसभा की 19 सीटें हैं. इनमें से 8 बीजेपी के पास, 3 शिवसेना के पास, एनसीपी के पास 4 और कांग्रेस के पास 3 सीटे हैं. अजित पवार के पास एक राज्यसभा सांसद का समर्थन है. ऐसे में महायुति के पास अब महाराष्ट्र से राज्यसभा में 9 सीटों का समर्थन होगा. 
 
महाविकास अघाड़ी के पास कितने विधायक ? 

- जब महाविकास अघाड़ी बनी थी, तब उद्धव सरकार को 153 विधायकों (शिवसेना (अविभाजित) 56, एनसीपी 53 और कांग्रेस 44 ) का समर्थन था. लेकिन शिंदे गुट की बगावत के बाद यह संख्या घटकर 113 रह गई थी. इसके बाद उद्धव सरकार गिर गई थी. 

- अब अगर एनसीपी के 14 विधायक जो शरद पवार के साथ हैं, सिर्फ उन्हें जोड़ा जाए तो महाविकास अघाड़ी के पास 74 विधायक होंगे. वहीं, अगर 15 विधायक जो अभी तटस्थ की भूमिका में हैं, उन्हें भी शरद पवार अपने साथ लाने में सफल होते हैं, तो महाविकास अघाड़ी पर 89 विधायक होंगे. जो महायुति की तुलना में आधे से भी कम हैं. 

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संसद में कितनी मजबूत महाविकास अघाड़ी?

- लोकसभा की बात करें, तो महाविकास अघाड़ी के पास 10 सांसदों का समर्थन है. वहीं, राज्यसभा में 19 सीटों में से 9 सीटें हैं. 

 

 

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