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उद्धव ठाकरे गुट के सांसद संजय राउत एक बार फिर चर्चा में हैं. वजह उनका वह बयान, जिसमें उन्होंने दावा किया है कि महाराष्ट्र में शिंदे-फडणवीस सरकार सिर्फ 15-20 दिनों में गिर जाएगी. संजय राउत जब-जब चर्चा में रहते हैं, महाराष्ट्र में बड़ा सियासी उलटफेर देखने को मिलता है. चाहे महाराष्ट्र में 2019 विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद उद्धव का बीजेपी से नाता तोड़कर एनसीपी-कांग्रेस के साथ आना हो या फिर जून 2022 में एकनाथ शिंदे द्वारा तख्ता पलट, हर बार राउत की ओर से खूब बयानबाजी देखने को मिली.
अब सवाल उठता है कि आखिर संजय राउत ने ऐसा दावा किस आधार पर किया. दरअसल, राउत ने कहा, ''महाराष्ट्र में शिंदे-फडणवीस सरकार का डेथ वारंट जारी हो चुका है, सिर्फ तारीख का ऐलान होना बाकी है. मैंने पहले ही कहा था कि शिंदे सरकार फरवरी में गिर जाएगी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले में देरी के कारण इस सरकार की लाइफलाइन बढ़ गई. यह सरकार अगले 15-20 दिनों में गिर जाएगी.''
यानी राउत और उद्धव गुट को सुप्रीम कोर्ट से उम्मीदें हैं. सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने पिछले दिनों उद्धव और शिंदे गुटों और राज्यपाल दफ्तर की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. इस फैसले के साथ ही साफ हो जाएगा कि महाराष्ट्र में सियासी ऊंट किस करवट बैठेगा? भले ही शिंदे गुट ने राउत को 'फर्जी ज्योतिष' करार दिया हो, लेकिन सुप्रीम कोर्ट का फैसला एकनाथ शिंदे और उनके गुट के विधायकों का भी भविष्य तय करेगा. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से महाराष्ट्र में जारी सियासी अनिश्चितता भी खत्म हो जाएगी.
1- क्या शिंदे को इस्तीफा देना पड़ेगा, उद्धव ठाकरे के सीएम के रूप में यथास्थिति बहाल हो सकेगी?
- अगर सुप्रीम कोर्ट राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के जून 2022 के उस आदेश को रद्द करता है, जिसमें उद्धव ठाकरे से विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए कहा था, तो यह शिंदे के लिए बड़ा झटका होगा. हो सकता है कि उन्हें सीएम पद से इस्तीफा देना पड़े और राज्य में उद्धव ठाकरे के सीएम के रूप में यथास्थिति बहाल हो .
उद्धव गुट को अरुणाचल पर सुप्रीम कोर्ट के 2016 के फैसले से उम्मीद है. SC में सुनवाई के दौरान भी इस केस का जिक्र हुआ था. दरअसल, फरवरी 2016 में कालिखो पुल कांग्रेस से बगावत कर भाजपा के समर्थन से अरुणाचल के मुख्यमंत्री बने थे. लेकिन चार महीने बाद जुलाई में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उन्हें पद से हटना पड़ा था.
2- क्या एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने रहेंगे और राज्य में मौजूदा स्थिति बरकरार रहेगी?
- सुप्रीम कोर्ट अगर पूरे सियासी घटनाक्रम में राज्यपाल की भूमिका को सही मानता है, तो शिंदे के पक्ष में फैसला सुना सकता है. यानी राज्य में अभी जैसे सरकार चल रही, वैसे ही चलती रहेगी.
- इससे पहले चुनाव आयोग से उद्धव गुट को बड़ा झटका लगा था. आयोग ने शिंदे गुट को ही असल शिवसेना मानते हुए धनुष बाण वाला चुनाव चिन्ह दिया था. इस फैसले को उद्धव गुट ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. कोर्ट ने सभी पक्षों से उनका जवाब मांगा था.
3- क्या शिंदे गुट के विधायक अयोग्यता का सामना करेंगे?
- शिंदे गुट के विधायकों की अयोग्यता को लेकर भी सुप्रीम कोर्ट का फैसला आना है.
4- क्या राज्य में दोबारा चुनाव होंगे?
सुप्रीम कोर्ट राज्य में दोबारा चुनाव कराने का भी आदेश दे सकता है.
महाराष्ट्र में पिछले साल जून में एकनाथ शिंदे गुट ने बगावत कर दी थी. इसके बाद उद्धव सरकार गिर गई थी. शिंदे ने शिवसेना के बागी विधायकों के साथ बीजेपी के समर्थन में सरकार बनाई. इसके बाद से उद्धव ठाकरे गुट के कई नेता शिंदे गुट में शामिल हो चुके हैं. वहीं लंबी उठापटक के बाद शिवसेना के नाम और पार्टी के सिंबल पर हक को लेकर उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच तनातनी चल रही थी. चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट को शिवसेना का प्रतीक तीर कमान सौंप दिया था.
- 20 जून- एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के बागी विधायकों के साथ बगावत कर दी. 23 जून को शिंदे ने दावा किया कि उनके पास 35 विधायकों का समर्थन है.
- 25 जून- स्पीकर ने शिवसेना के 16 बागी विधायकों की सदस्यता रद्द करने का नोटिस भेजा. बागी विधायक सुप्रीम कोर्ट पहुंचे.
- 26 जून- सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों (शिवसेना, केंद्र, डिप्टी स्पीकर को नोटिस भेजा) बागी विधायकों को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली.
- 28 जून- राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने उद्धव ठाकरे को बहुमत साबित करने के लिए कहा. उद्धव गुट इस फैसले के खिलाफ SC पहुंचा.
- 29 जून- सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसके बाद उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया.
- 30 जून- एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने. भाजपा के देवेंद्र फडणवीस उप मुख्यमंत्री बनाए गए.
- 3 जुलाई- विधानसभा के नए स्पीकर ने शिंदे गुट को सदन में मान्यता दे दी. अगले दिन शिंदे ने विश्वास मत हासिल कर लिया.
महाराष्ट्र में जून में शुरू हुए सियासी उठापटक के बाद एक के बाद एक कर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की गईं. जहां शिंदे गुट के 16 विधायकों ने सदस्यता रद्द करने के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, तो वहीं उद्धव गुट ने डिप्टी स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर, राज्यपाल के शिंदे को सीएम बनने का न्योता देने और फ्लोर टेस्ट कराने के फैसले के खिलाफ याचिकाएं दाखिल की हैं. इतना ही नहीं उद्धव गुट ने शिंदे गुट को विधानसभा और लोकसभा में मान्यता देने के फैसले को चुनौती दी है.
- सुप्रीम कोर्ट में आखिरी सुनवाई के दौरान उद्धव गुट के वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के जून 2022 के आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया, जिसमें मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए कहा गया था. सिब्बल ने कहा था, अगर ऐसा नहीं किया गया तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा.
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, वह महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे सरकार को बहाल कैसे कर सकता है, जब सीएम ने शक्ति परीक्षण का सामना करने से पहले ही इस्तीफा दे दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के फैसले पर सवाल उठाए थे. कोर्ट ने कहा था, राज्यपाल को इस क्षेत्र में प्रवेश नहीं करना चाहिए जहां उनकी कार्रवाई से एक विशेष परिणाम निकलेगा. सवाल यह है कि क्या राज्यपाल सिर्फ इसलिए सरकार गिरा सकते हैं क्योंकि किसी विधायक ने कहा कि उनके जीवन और संपत्ति को खतरा है? क्या विश्वास मत बुलाने के लिए कोई संवैधानिक संकट था? लोकतंत्र में यह एक दुखद तस्वीर है. सुरक्षा के लिए खतरा विश्वास मत का आधार नहीं हो सकता. उन्हें इस तरह विश्वास मत नहीं बुलाना चाहिए था.
महाराष्ट्र में सियासी समीकरण तेजी से बदल रहे हैं. जहां एक ओर संजय राउत शिंदे-फडणवीस सरकार गिरने का दावा कर रहे हैं, तो वहीं एनसीपी चीफ शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने पिछले दिनों दावा किया था कि 15 दिन में दो बड़े सियासी धमाके होंगे, जिसमें एक दिल्ली में तो दूसरा महाराष्ट्र की राजनीति में होगा.
सुप्रिया सुले का ये बयान ऐसे वक्त पर आया था, जब अजित पवार के बीजेपी में शामिल होने की चर्चा है. दावा किया जा रहा है कि एनसीपी के 53 विधायकों में से लगभग 30-34 विधायकों के साथ शिंदे-फडणवीस सरकार का हिस्सा बन सकते हैं. इतना ही नहीं दावा ये भी है कि अजित को एनसीपी के प्रफुल्ल पटेल, सुनील तटकरे, छगन भुजबल, धनंजय मुंडे जैसे प्रमुख चेहरों का समर्थन मिला है. हालांकि, शरद पवार एक बार फिर उनके मिशन में रोड़ा बनते दिख रहे हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स में दावा ये भी किया जा रहा है कि अजित पवार वेट एंड वॉच की स्थिति में हैं. दरअसल, वे सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहे हैं. अगर SC से शिंदे गुट को झटका लगता है, तो अजित पवार बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना सकते हैं. ऐसी स्थिति में वे खुद को सीएम प्रोजेक्ट करने की स्थिति में होंगे.
उधर, शरद पवार ने रविवार को एनसीपी में टूट की अटकलों को लेकर पूछे गए एक सवाल पर कहा कि 'अगर कोई अलग होने की कोशिश कर रहा है (एनसीपी से अजित पवार), तो यह उनकी रणनीति है और वे ऐसा कर रहे होंगे. अगर हमें कोई स्टैंड लेना है, तो हम कड़ा स्टैंड लेंगे. इस पर कुछ भी बोलना सही नहीं है क्योंकि हमने इस बारे में कोई चर्चा नहीं की है.
भले ही शरद पवार पार्टी में टूट की अटकलों पर सख्त कार्रवाई का संकेत दे रहे हैं, लेकिन पिछले कुछ दिनों उन्होंने विपक्ष के मुद्दों पर अख्तियार रुख अपना लिया है. उन्होंने सावरकर, अडानी, पीएम की फर्जी डिग्री मामले पर विपक्ष के स्टैंड का विरोध किया है. शरद पवार का ये रुख बीजेपी के लिए राहत भरा माना जा रहा है.
महाराष्ट्र में अक्टूबर 2019 में विधानसभा चुनाव हुआ था. इस चुनाव में बीजेपी और शिवसेना साथ मिलकर चुनाव लड़ी थीं. राज्य की 288 सीटों में से बीजेपी को 105, शिवसेना को 56, एनसीपी को 54, कांग्रेस को 44 सीटें मिली थीं. जबकि 13 निर्दलीय जीते थे.
हालांकि, सीएम पद को लेकर शिवसेना और बीजेपी में विवाद हो गया. इसके बाद शिवसेना ने चुनाव के बाद बीजेपी से गठबंधन तोड़ने का ऐलान कर दिया. इसके बाद बीजेपी ने राज्यपाल के सरकार बनाने के न्योते को स्वीकारने से इनकार कर दिया. राज्यपाल ने दूसरी सबसे बड़ी पार्टी शिवसेना को सरकार बनाने का न्योता भेजा.
- इसके बाद शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के साथ सरकार बनाने की कोशिश में जुट गई. अभी तीनों पार्टियां साथ आने को लेकर चर्चा ही कर रही थीं, कि 23 नवंबर 2019 की सुबह देवेंद्र फडणवीस ने सीएम तो अजित पवार ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ले ली.
हालांकि, शरद पवार ने अजित पवार के सारे खेल पर पानी फेर दिया. अजित एनसीपी के विधायकों को अपने साथ नहीं ला पाए, इसके बाद उन्होंने डिप्टी सीएम तो फडणवीस ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया.
28 नवंबर को उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस और एनसीपी के समर्थन से बनी MVA सरकार में सीएम पद की शपथ ली. हालांकि, जून 2022 में एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा.
महाराष्ट्र विधानसभा की मौजूदा स्थिति
महाराष्ट्र विधानसभा में कुल 288 सदस्य हैं. सियासी समीकरणों और दलीय स्थिति पर नजर डालें तो एनडीए गठबंधन के साथ जो दल हैं उनके विधायकों की संख्या 162 हैं. वहीं विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी (MVA) की बात करें तो उनके पास कुल 121 विधायक हैं.
NDA: भाजपा- 105, शिवसेना (शिंदे गुट)- 40, प्रखर जनशक्ति पार्टी- 2, अन्य दल- 3, निर्दलीय 12
MVA: एनसीपी- 53, कांग्रेस- 45, शिवसेना (उद्धव गुट)- 17, सपा 2, अन्य- 4