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महुआ मोइत्रा का विवादित बयान, संसद की प्रिवलेज कमेटी ने थमाया नोटिस

तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा अक्सर अपने बयानों और लोकसभा में जोरदार भाषण को लेकर चर्चा में रहती हैं. लेकिन संसद में दिया गया उनका एक विवादित बयान उनके लिए मुश्किलें पैदा करने वाला बन गया है. संसद की प्रिवलेज कमेटी ने उन्हें नोटिस थमाकर जवाब मांगा है, जबकि भाजपा के एक सांसद ने उनकी सदस्यता खत्म करने की मांग की है. जानें क्या पूरा मामला.

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महुआ मोइत्रा (फाइल फोटो)
महुआ मोइत्रा (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • नए सांसदों को नहीं नियम कानूनों का ज्ञान- निशिकांत
  • निशिकांत की महुआ की सदस्यता खत्म करने की मांग

तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा अक्सर अपने बयानों और लोकसभा में जोरदार भाषण को लेकर चर्चा में रहती हैं. लेकिन उनका एक ऐसा ही भाषण उनके लिए फांस की तरह बन गया है. संसद की प्रिवलेज कमेटी ने उन्हें नोटिस थमाकर जवाब मांगा है, जानें क्या पूरा मामला

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पूर्व सीजेआई पर विवादित बयान
संसद के बजट सत्र के पहले चरण के दौरान राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान महुआ मोइत्रा ने सरकार को कृषि कानूनों पर घेरा था. इसी भाषण के दौरान उन्होंने देश के पूर्व सीजेआई तरुण गोगोई को लेकर विवादित बयान दिया था जिस पर सत्ता पक्ष के सांसदों ने कड़ी आपत्ति जताई थी.

महुआ ने अपने भाषण की शुरुआत में ही कहा था कि वह अपने सांसद होने के विशेषाधिकार का इस्तेमाल कर ये बात सदन में कहने जा रही हैं. 
उनकी ही पार्टी के वरिष्ठ सांसद सौगत राय ने तब महुआ का यह कहते हुए बचाव किया था कि उन्होंने सदन में किसी का नाम नहीं लिया.

निशिकांत दुबे ने दाखिल किया था प्रिवलेज नोटिस
भाजपा की ओर से महुआ के बयान पर तत्काल कड़ी आपत्ति जताई गई थी. सदन में अर्जुन राम मेघवाल ने उनके इस आचरण पर माफी की मांग भी की थी. लेकिन भाजपा के ही सांसद निशिकांत दुबे ने 10 फरवरी को प्रिवलेज नोटिस दाखिल किया था. इस पर प्रिवलेज कमेटी ने विचार करने के बाद महुआ मोइत्रा को नोटिस देकर सदन में उनकी टिप्पणी पर जवाब मांगा है. 

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सदस्यता खत्म करने की मांग
निशिकांत दुबे ने अपने प्रिवलेज नोटिस में महुआ मोइत्रा की सदस्यता खत्म करने की मांग की है. 

'नए सांसदों को नहीं नियम कानूनों का ज्ञान'
इससे पहले दिन में भाजपा के सांसद निशिकांत दुबे ने तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा को विशेषाधिकार नोटिस मिलने पर कहा कि एक सांसद के तौर पर हम सभी को कुछ विशेषाधिकार मिले हैं. लेकिन हम सबकी कुछ जिम्मेदारियां भी हैं. कुछ नए चुन कर आए सांसद नियम और प्रक्रियाओं को नहीं जानते और ओछे आरोप लगाते हैं. यह अच्छी बात कि उन्हें नोटिस मिला है. उन्होंने अयोध्या मामले में फैसला देने के लिए देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ आरोप लगाए थे.

सांसदों को सदन में अपनी बात रखने के लिए कुछ विशेषाधिकार मिलते हैं. ताकि वह बिना किसी कानूनी भय के देशहित में अपनी बात रख सकें. लेकिन इस विशेषाधिकार की अपनी एक लंबी परिपाटी है.

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