उत्तर प्रदेश उपचुनाव के जरिए 2024 के लोकसभा चुनाव की सियासी बिसात बिछाई जा रही है. मुलायम सिंह यादव के निधन से खाली हुई मैनपुरी लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी ने डिंपल यादव को उतारा है तो बीजेपी ने पूर्व सांसद रघुराज शाक्य को. अखिलेश यादव मैनपुरी सीट से अपनी पत्नी डिंपल यादव को जिताने के लिए एक-एक जाति को साथ लाने की जो कोशिश कर रहे हैं, वो सपा के भविष्य की सोशल इंजीनियरिंग का लिटमस टेस्ट मानी जी रही है.
मुलायम सिंह यादव की कर्मभूमि मैनपुरी के उपचुनाव में अखिलेश यादव ने अपने प्रचार का अंदाज पूरी तरह से बदल दिया है. सपा के कोर वोटबैंक यादव-मुस्लिम (M+Y) को साधने का जिम्मा चाचा शिवपाल यादव ने संभाल रखा है. अखिलेश यादव का पूरा फोकस दलित-गैर यादव ओबीसी, ब्राह्मण और ठाकुर समुदाय पर है. सपा मैनपुरी सीट पर रिकॉर्ड मतों से जीती तो इस फॉर्मूले को आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ मजबूत हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर सकती है.
मैनपुरी सीट पर उपचुनाव
सैफई परिवार का ये पहला चुनाव है जो नेताजी के बिना हो रहा है. यह उपचुनाव अखिलेश यादव के लिए अग्निपरीक्षा से कम नहीं है. इस उपचुनाव से तय हो जाएगा कि जिस मैनपुरी ने मुलायम पर भरपूर प्यार लुटाया, उसने मुलायम के बाद अखिलेश और सैफई परिवार को कितना अपनाया. इसीलिए अखिलेश ने मुलायम की सीट से अपनी पत्नी डिंपल यादव को उतारा है.
'नेताजी' की कर्मभूमि मैनपुरी से उपचुनाव लड़ रहीं डिंपल यादव को जिताने के लिए अखिलेश यादव घर-घर दस्तक दे रहे हैं और सपा का सियासी समीकरण मजबूत कर रहे हैं. अखिलेश यादव मैनपुरी में दलित और ओबीसी कार्यकर्ताओं को जनसभा में नाम लेकर बुला रहे हैं, उनसे अपने और मुलायम सिंह के पुराने संबंधों को भी याद दिला रहे हैं. अखिलेश यादव ने अपना पूरा फोकस दलित, ओबीसी, ब्राह्मण और ठाकुर समुदाय पर केंद्रित कर रखा है.
जातियों को ऐसे साध रहे अखिलेश
अखिलेश यादव को लगता है कि मैनपुरी के यादव और मुसलमान वोट तो उनके साथ लगभग सौ फीसदी हैं. इसीलिए वे अपनी ज्यादातर सभाएं दूसरी जातियों के वोटों को साधने के लिए कर रहे हैं. वे चुनाव प्रचार के दौरान अलग-अलग जातियों के साथ अपने संबंध जोड़ रहे हैं ताकि बीजेपी के गैर-यादव जातियों को एकजुट करने के दांव को फेल किया जा सके. अखिलेश ने यादव-ब्राह्मणों के सम्मेलन में कहा कृष्ण और सुदामा के संबंध हजारों साल पुराने हैं. ऐसे में ब्राह्मण और यादवों के बीच कोई मतभेद पैदा ही नहीं कर सकता. वहीं, जब ओबीसी के पाल समुदाय के बीच अखिलेश यादव ने अपनी जनसभा की तो कहा कि हमारा और आपका संबंध तो बड़े और छोटे जानवरों का है यानी यादव गाय-भैंस पालते हैं तो पाल बिरादरी भेड़ बकरियां पालती रही है.
मैनपुरी सीट का समीकरण
मैनपुरी लोकसभा सीट पर मुलायम सिंह यादव का जादू चलता रहा है, जिसके आगे सारे समीकरण ध्वस्त हो जाते थे. इस सीट पर सवा चार लाख यादव, करीब सवा तीन लाख शाक्य, दो लाख ठाकुर और एक लाख के करीब ब्राह्मण मतदाता हैं. वहीं, दलित दो लाख हैं, जिनमें से 1.20 लाख जाटव और बाकी धोबी और कटारिया समुदाय के हैं. एक लाख लोधी, 70 हजार वैश्य और एक लाख मतदाता मुस्लिम हैं.
मैनपुरी सीट पर यादवों और मुस्लिमों का एकतरफा वोट सपा को मिलता रहा है. बीजेपी ने शाक्य समुदाय के वोटों को देखते हुए रघुराज शाक्य को उतारा है ताकि गैर-यादव वोटों को एकजुट कर सपा के किले को भेदा जा सके. बीजेपी ने 2019 में इस फॉर्मूले के जरिए मैनपुरी सीट पर कांटे की टक्कर दी थी और जीत-हार का मार्जिन घटकर 94 हजार पहुंच गया था.
बीजेपी की रणनीति को बाखूबी समझते हुए अखिलेश यादव ओबीसी की जातियों को भी गोलबंद करने में जुटे हैं. अपनी हर सभा में उन्हें याद दिला रहे हैं कि उनकी पहली पहचान पिछड़ी जाति है, जिसके बाद ही उनकी बिरादरी आती है. इस तरह से ओबीसी को बीजेपी के खिलाफ लामबंद कर रहे हैं तो दूसरी तरफ सवर्ण मतदाताओं को भी साध रहे हैं.
ब्राह्मण वोटों के लिए ये है स्ट्रेटजी
मैनपुरी सीट पर एक लाख ब्राह्मण मतदाता हैं, जो काफी अहम माने जाते हैं. अखिलेश यादव ब्राह्मणों को अपने पक्ष में करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे. वे याद दिला रहे हैं कि मुलायम सिंह यादव ने ब्राह्मण समाज के लिए कितना काम किया. जनेश्वर मिश्र और नेताजी के करीबी रिश्ते की दुहाई भी दे रहे हैं और बता रहे हैं कि सपा कैसे ब्राह्मणों के साथ मजबूती से रही है.
लखनऊ में सपा सरकार में बने जनेश्वर मिश्र पार्क से लेकर भगवान परशुराम की जयंती पर छुट्टी घोषित करने की बात कह रहे हैं. अखिलेश यादव इशारों-इशारों में अटल बिहारी वाजपेयी का नाम भी ब्राह्मणों की सभाओं में ले रहे हैं. ब्राह्मणों के बीच बोलते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि जो लखनऊ में लोकभवन समाजवादी पार्टी ने बनवाया है, आज उसमें अटल बिहारी वाजपेयी की सबसे ऊंची प्रतिमा लगी है. इकाना स्टेडियम अंतरराष्ट्रीय स्तर का लखनऊ में बना उनका नाम अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखा गया.
अखिलेश कहते हैं कि समाजवादी पार्टी ने अपने शासनकाल में संस्कृत स्कूलों के लिए सबसे ज्यादा पैसा दिया. अखिलेश यादव ने कहा कि यादवों और ब्राह्मणों का संबंध तो हजारों साल पुराना है. इसमें कोई भेद पैदा ही नहीं कर सकता है, क्योंकि भगवान कृष्ण और सुदामा के बीच के संबंध को कोई भुला नहीं सकता और न ही कोई खराब कर सकता है.
ठाकुर परिवार से आती हैं डिंपल
समाजवादी पार्टी ने ब्राह्मण समीकरण को देखते हुए मैनपुरी सीट पर ब्राह्मण विधायक, पूर्व मंत्री, पूर्व सांसद, एमएलसी, पूर्व एमएलसी को लगाया है. ब्राह्मण सम्मेलन अखिलेश यादव ने मैनपुरी में किया, जहां ब्राह्मण नेताओं ने अखिलेश यादव के लिए पलक पांवड़े बिछा दिए. मैनपुरी सीट पर करीब 2 लाख ठाकुर मतदाता हैं, जिन्हें साधने में खुद डिंपल यादव जुटी हैं. डिंपल यादव का जन्म ठाकुर परिवार में हुआ है. उनका मायका पक्ष ठाकुर है तो ससुराल यादव परिवार में है. इस तरह यादव-ठाकुर के साथ संबंध जोड़ा जा रहा है.
मैनपुरी उपचुनाव की लड़ाई में इस बार दोनों पार्टियां जमीन पर जबरदस्त लड़ाई लड़ती दिख रही हैं. बीजेपी ने बूथ मैनेजमेंट से लेकर गांव-गांव में अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं को उतार दिया है. बीजेपी पूरे दमखम के साथ ओबीसी और दलित जातियों. उनकी बिरादरी के नेताओं के जरिए वोट साधने में जुटी है. खासकर हर जाति/बिरादरी के नेताओं को बीजेपी ने गांव-गांव उतार दिया है दूसरी ओर समाजवादी पार्टी ने इस बार बीजेपी के माइक्रोमैनेजमेंट का जवाब सर्वसमाज को जोड़ने की रणनीति से देने का फैसला किया है और इसका बीड़ा खुद अखिलेश यादव ने उठा रखा है.