कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने का शुक्रवार को आखिरी दिन था. कुल तीन नेताओं ने अध्यक्ष पद के लिए दावा ठोका है. कांग्रेस के केंद्रीय चुनाव अथॉरिटी के अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में मल्लिकार्जुन खड़गे ने 14 फॉर्म, शशि थरूर ने 5 और केएन त्रिपाठी ने 1 फॉर्म जमा किए गए हैं.
खड़गे के गांधी परिवार, खासकर राहुल गांधी से अच्छे रिश्ते हैं. अभी तक माना जा रहा है कि तीनों नेताओं में मल्लिकार्जुन खड़गे को एक मजबूत उम्मीदवार माना जा रहा है. इस अगर चुनाव में खड़गे जीत जाते हैं तो कांग्रेस को 51 साल बाद एक दलित अध्यक्ष मिलेगा.
बाबू जगजीवन राम के बाद खड़गे कांग्रेस में दूसरे दलित अध्यक्ष होंगे. जनजीवन राम 1970 से 1971 तक कांग्रेस के अध्यक्ष थे. 1970 में बाबू जगजीवन राम आजादी के बाद कांग्रेस के पहले दलित अध्यक्ष बने थे.
अपने जन्मदिन पर केंद्र के खिलाफ सड़कों पर थे खड़गे
मल्लिकार्जुन खड़गे अभी राज्यसभा में विपक्ष के नेता हैं. जिस दिन उनका 80वां जन्मदिन था, उस दिन वो संसद से सड़क पर उतर आए थे. केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन और नारेबाजी कर रहे थे. बाद में दिल्ली पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया. तब कांग्रेस के एक सीनियर नेता ने कहा, 'ये मल्लिकार्जुन खड़गे हैं, जो एक ठोस कांग्रेसी हैं. वो सड़क पर लड़ रहे हैं और कांग्रेस की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत हैं.'
मल्लिकार्जुन खड़गे गांधी परिवार के वफादार नेताओं में से एक माने जाते हैं. वह जमीनी स्तर से संगठन में उभरकर सामने आए हैं. यूपीए सरकार में खड़गे की अहम भूमिका रही है. संगठन में भी उनकी भूमिका काफी अहम है. यूपीए-2 में मई 2009 से जून 2014 तक खड़गे श्रम और रोजगार मंत्री रहे हैं. जून 2013 से मई 2014 तक उन्होंने रेल मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली.
मल्लिकार्जुन खड़गे कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं. खड़गे का लगातार 10 चुनाव जीतने का ट्रैक रिकॉर्ड है. वह 8 बार विधायक और 2 बार लोकसभा सांसद रहे हैं. अभी राज्यसभा के सदस्य हैं. अपने राजनीतिक जीवन में वो सिर्फ एक बार 2019 में लोकसभा चुनाव हारे हैं.
8 अक्टूबर नामांकन वापसी का अंतिम दिन
कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए 22 सितंबर को अधिसूचना जारी की गई. 24 सितंबर से नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए प्रक्रिया शुरू हुई थी, जो 30 सितंबर को खत्म हो गई. नामांकन पत्र वापसी की प्रक्रिया 4 अक्टूबर से शुरू होगी. नामांकन वापसी की अंतिम तिथि आठ अक्टूबर है. इसके बाद एक से अधिक उम्मीदवार होने पर 17 अक्टूबर को मतदान होगा और परिणाम 19 अक्टूबर को घोषित किये जाएंगे.
1939 में पहली बार अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुआ
- रिकॉर्ड से पता चलता है कि कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए पहला सीरियस कंटेस्ट 1939 में सुभाष चंद्र बोस और पट्टाभि सीतारामय्या के बीच हुआ था. बाद में गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने समर्थन दिया, लेकिन बोस जीत गए.
- 1950 में फिर से इस पद के लिए चुनाव नासिक अधिवेशन से पहले जेबी कृपलानी और पुरुषोत्तम दास टंडन के बीच लड़ा गया था. टंडन विजयी रहे लेकिन बाद में उन्होंने तत्कालीन पीएम जवाहरलाल नेहरू के साथ मतभेदों के बाद इस्तीफा दे दिया. नेहरू ने 1951 और 1955 के बीच पार्टी प्रमुख और पीएम के दो पदों पर कार्य किया. नेहरू ने 1955 में कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ दिया और यूएन ढेबर उनके उत्तराधिकारी बने.
- 1947 और 1964 के बीच और फिर 1971 से 1977 तक ज्यादातर पार्टी अध्यक्ष प्रधानमंत्री के उम्मीदवार थे. 1997 में सीताराम केसरी ने प्रतिद्वंद्वियों शरद पवार और राजेश पायलट को
हराकर कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव जीता.
- बाद में केसरी को मार्च 1998 में CWC के प्रस्ताव के जरिए कुर्सी से हटा दिया गया और एक साल पहले ही AICC की प्राथमिक सदस्य बनी सोनिया गांधी को पद संभालने का ऑफर किया गया. सोनिया 6 अप्रैल 1998 को औपचारिक रूप से अध्यक्ष चुनी गईं. बाद में 2017-2019 में एक ब्रेक लिया. सोनिया सबसे लंबे समय तक सेवा देने वालीं पार्टी नेता हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद राहुल गांधी ने पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था.
- 2000 में जितेंद्र प्रसाद ने सोनिया को चुनौती दी और हार गए. 22 साल से इस पद के लिए कोई मुकाबला नहीं हुआ है. राहुल 2017 में सर्वसम्मति से चुने गए थे.
(आजतक ब्यूरो)