दशहरा के मौके पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने जनसंख्या नियंत्रण पर बड़ा बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि जाति-धर्म से ऊपर उठकर सभी को जनसंख्या नियंत्रण के बारे में सोचना पड़ेगा. अब AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने मोहन भागवत पर पलटवार किया है. उनकी तरफ से जोर देकर कहा गया है कि देश में जनसंख्या नियंत्रण की कोई जरूरत नहीं है.
ओवैसी ने ट्वीट कर कहा है कि अगर हिंदू और मुस्लिम का सेम डीएनए है, फिर असंतुलन वाली बात कहा से आती है. अभी जनसंख्या नियंत्रण की कोई जरूरत नहीं है. हमने पहले ही रीप्लेसमेंट रेट हासिल कर लिया है. चिंता तो बूढ़ी होती आबादी की है, बढ़ती बेरोजगारी की है. मुस्लिमों में तो सबसे तेजी से प्रजनन दर में गिरावट देखने को मिली है. ओवैसी ने इस बात पर भी जोर दिया कि मोहन भागवत हर साल दशहरा के मौके पर हेट स्पीच देते हैं, लोगों को बढ़ती जनसंख्या का डर दिखाते हैं. इसी डर की वजह से नरसंहार हुआ है, हेट क्राइम में बढ़ोतरी हुई है.
जानकारी के लिए बता दें कि मोहन भागवत ने बुधवार को दशहरा के मौके पर जनसंख्या नियंत्रण पर विस्तार से बात की थी. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मोहन भागवत ने कहा था कि भारत को गंभीर मंथन कर एक व्यापक जनसंख्या पॉलिसी लाने की जरूरत है. जनसंख्या में प्रमाण का भी संतुलन चाहिए. जनसंख्या असंतुलन का गंभीर परिणाम हम भुगते हैं. ये पचास साल पहले हुआ था लेकिन आज के समय में भी ऐसा हो रहा है. पूर्वी तिमोर नाम का एक नया देश बना, दक्षिण सुड़ान नाम का एक देश बना. कोसोवो बना. जनसंख्या में अंतर आने से नए देश बन गए, देश टूट गए. जन्म दर इसका देश भाग है, लेकिन जोर-जबरदस्ती, छल-कपट और लालच से मतांतरण इसका बड़ा फैक्टर है. और जहां सीमा पार से घुसपैठ होती है वहां घुसपैठ से भी जनसंख्या पैटर्न में बदलाव आता है. इस संतुलन का ध्यान रखना देशहित की दृष्टि से अनिवार्य बात है.