मॉनसून सत्र का आज (26 जुलाई) से दूसरा सप्ताह शुरू हुआ है. सत्र का छठा दिन भी हंगामे की भेंट चढ़ा. पेगासस जासूसी कांड के मुद्दे पर दोनों सदनों में विपक्षी दल के नेताओं ने जमकर बवाल काटा. इस दौरान राज्यसभा 5 बार और लोकसभा की कार्यवाही 3 बार स्थगित करनी पड़ी. हालांकि सरकार के लिए राहत की बात ये रही कि दो विधेयक लोकसभा से पास हो गए.
दरअसल, विपक्ष पेगागस और किसान आंदोलन के मुद्दे पर सरकार के खिलाफ हमलावर है. हंगामे की वजह से राज्यसभा में आज भी शून्यकाल नहीं हो पाया. शून्यकाल के तहत कुछ विपक्षी दलों के सदस्यों ने अलग-अलग मुद्दों को लेकर दिए गए अपने नोटिसों का जिक्र किया.
वहीं, सभापति ने कहा कि आज शून्यकाल के तहत अलग-अलग मुद्दे उठाने के लिए उन्हें 12 सदस्यों से नोटिस प्राप्त हुए हैं और विशेष उल्लेख भी है, लेकिन उन्होंने नोटिस को मंजूरी नहीं दी, जिसके बाद सदन में विपक्ष के नेताओं हंगामा खड़ा कर दिया और पूरे दिन किसी मुद्दे पर चर्चा नहीं हो पाई.
वहीं, लोकसभा में कारगिल शहीदों को श्रद्धांजलि और मीराबाई चनू को बधाई देने के बाद ही सदन में हंगामा शुरू हो गया, जिसके बाद लोकसभा स्पीकर कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी. दो बजे जब दोबारा कार्यवाही शुरू हुई तो लोकसभा स्पीकर ने सख्ती दिखाई और कहा, 'नारेबाजी कर जवाब मांगते हैं फिर जवाब सुनते भी नहीं, यह उचित नहीं है. हालांकि इस बीच राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी संस्थान, उद्यमिता और प्रबंधन विधेयक और फैक्टरिंग रेगुलेशन (संशोधन) विधेयक, 2021 बिल पास हो गया. फैक्टरिंग रेगुलेशन (संशोधन) विधेयक, 2021 महज 8 मिनट में पास हुआ. दोनों बिलों को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया था.
लोकसभा स्पीकर अमित शाह से मिले
वहीं, संसद में एक हफ्ते से जारी गतिरोध खत्म करने के लिए लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की. वहीं, संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने कांग्रेस नेता मनीष तिवारी और एनसीपी नेता सुप्रिया सुले के साथ बैठक की, लेकिन इस बावजूद सदन में हंगामा जारी रहा.
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टीएमसी सांसद का नया मुद्दा
बता दें कि 19 जुलाई से शुरू हुए मॉनसून सत्र में अब तक हंगामा ही देखा गया है. बीते सप्ताह पेगासस जासूसी कांड और 'ऑक्सीजन की कमी एक भी मौत नहीं' का मामला गरम रहा. वहीं, शुक्रवार को राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस पार्टी के सांसद शांतनु सेन को मौजूद सत्र के शेष समय के लिए निलंबित किए जाने के सभापति के निर्णय के बाद से विपक्ष को एक और मुद्दा मिल गया है.