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लोकतंत्र के मुद्दे पर केंद्र की मोदी सरकार कई बार विपक्ष के निशाने पर आ चुकी है. विपक्ष आरोप लगाता रहा है कि सरकार लोगों की आवाज को दबा रही है. इस मुद्दे पर आजतक और कार्वी इनसाइट्स ने जनता की नब्ज टटोलने की कोशिश की और सवाल किया कि उनको क्या लगता है, नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ज्यादा लोकतांत्रिक है या मनमोहस सिंह के नेतृत्व वाली पिछली सरकार. सर्वे में शामिल 12,232 लोगों में से 48 फीसदी लोगों ने माना कि मोदी सरकार ज्यादा लोकतांत्रिक है. वहीं, 25 फीसदी लोग मोदी सरकार को कम लोकतांत्रिक मानते हैं.
लोगों से ये भी सवाल किया गया कि भारत में लोकतंत्र की क्या स्थिति है. इस पर 42 फीसदी लोगों ने माना है कि लोकतंत्र खतरे में है, जबकि 47 फीसदी लोग इसके विपरीत मानते हैं. उनका कहना है कि लोकतंत्र खतरे में नही है. वहीं, 11 फीसदी ऐसे लोग हैं जो कोई जवाब नहीं दे सके.
क्षेत्रवार बात करें तो उत्तर भारत के 45 फीसदी, पूर्वी भारत के 36 फीसदी, दक्षिण भारत के 51 फीसदी और पश्चिम भारत के 36 फीसदी लोग मानते हैं कि लोकतंत्र खतरे में है. धार्मिक आधार पर बात करें तो 42 फीसदी हिंदू, 46 फीसदी मुस्लिम और 38 फीसदी अन्य धर्म के लोगों का मानना है कि लोकतंत्र खतरे में है. वहीं शहरी क्षेत्र के 42 फीसदी और इतने ही ग्रामीण क्षेत्र के लोग भी मानते हैं कि लोकतंत्र खतरे में है.
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वहीं, उत्तर भारत के 42 फीसदी, पूर्वी भारत के 48 फीसदी, दक्षिण भारत के 43 फीसदी और पश्चिम भारत के 56 फीसदी लोग मानते हैं कि लोकतंत्र खतरे में नहीं है. धार्मिक आधार पर बात करें तो 47 फीसदी हिंदू और 38 फीसदी मुस्लिम मानते हैं कि लोकतंत्र खतरे में नहीं है. वहीं, अन्य धर्म के 59 फीसदी लोगों का मानना है कि लोकतंत्र खतरे में नहीं है.
सर्वे में 12 हजार से ज्यादा लोग शामिल
मूड ऑफ द नेशन पोल मार्केट रिसर्च एजेंसी कार्वी इनसाइट्स ने किया. लोगों की राय 3 जनवरी से 13 जनवरी, 2021 के बीच ली गई. सर्वे में कुल 12,232 लोगों को शामिल किया गया. इसमें ग्रामीण क्षेत्रों के 67 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों के 33 प्रतिशत लोग थे. 19 राज्यों के 97 संसदीय क्षेत्र और 194 विधानसभा क्षेत्र में ये सर्वे किए गए.