राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत से हाल ही में मुस्लिम बुद्धिजीवियों के एक पांच सदस्यीय दल ने मुलाकात की. संघ प्रमुख के साथ दो घंटे चली बैठक के दौरान देश में सांप्रदायिक सौहार्द मजबूत करने और हिंदू-मुस्लिमों के बीच गहरी हो रही खाई को पाटने की जरूरत पर बल दिया गया. मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ मिलकर काम करने के लिए भागवत ने संघ के चार सदस्यों को नियुक्त करने की बात कही.
संघ प्रमुख मोहन भागवत से मिलने वालों में पूर्व सांसद शाहिद सिद्दीकी, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी, पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति जमीरुद्दीन शाह और कारोबारी सईद शेरवानी शामिल थे. ये मुलाकात पिछले महीने 22 अगस्त को दिल्ली में हुई थी.
मोहन भागवत से मिलने की पहल मुस्लिम बुद्धिजीवियों की ओर से की गई थी. ये पहल उस समय हुई है जब बीजेपी प्रवक्ता नुपुर शर्मा के पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी से स्थिति बिगड़ी थी.
पत्र लिखकर भागवत से मांगा था वक्त
शाहिद सिद्दीकी ने aajtak.in को बताया कि देश में बिगड़ रहे सांप्रदायिक सौहार्द पर चिंतन करने के लिए पहले हम पांचों सदस्यों ने आपस में बात की. इस दौरान सभी ने तय किया कि संघ प्रमुख मोहन भागवत से मिला जाए और उनके साथ सारे मुद्दे पर मंथन किया जाए, क्योंकि संघ का प्रभाव जिस तरह हिंदू समुदाय के बीच बढ़ा है, ऐसे में उसे दरकिनार कर आगे नहीं बढ़ा जा सकता. इसके बाद ही संघ प्रमुख को पत्र लिखकर मिलने का समय मांगा गया, जिस पर उन्होंने काफी दिनों के बाद 22 अगस्त को वक्त दिया था.
22 अगस्त को संघ प्रमुख से मुलाकात दिल्ली के झंडेवालान स्थित संघ के अस्थायी कार्यालय उदासीन आश्रम में हुई थी. बैठक करीब 2 घंटे चली. शाहिद सिद्दीकी ने बताया कि इस दौरान देश में सांप्रदायिक सौहार्द को मजबूत करने और अंतर-सामुदायिक संबंधों में सुधार पर व्यापक चर्चा हुई. संघ प्रमुख ने बैठक के दौरान साफ तौर पर कहा कि हमें न तो इस्लाम से कोई दिक्कत है, न कुरान से और न ही मुसलमानों से. ऐसे में हमें भी गलतफहमी को दूर करना चाहिए और एक दूसरे के लिए अपने-अपने दिलों के दरवाजे खोलने चाहिए ताकि माहौल अच्छा हो सके.
शाहिद सिद्दीकी ने बताया कि संघ प्रमुख के साथ बैठक के दौरान इस बात पर सहमति बनी कि हिंदू-मुस्लिम समुदाय के बीच सांप्रदायिक सद्भाव और आपसी एकता को मजबूत किए बिना देश प्रगति नहीं कर सकता. तय हुआ कि दोनों ही पक्ष अपने-अपने समाज के बीच इसे लेकर काम करेंगे.
सिद्दीकी ने बताया कि संघ प्रमख मोहन भागवत ने संघ के चार सदस्यों को इस काम के लिए नियुक्त करने की बात कही थी, जो मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ आगे मिलकर काम करेंगे. उन्होंने कहा कि हम अब जल्द ही मुस्लिम समुदाय के रहनुमाओं के साथ बातचीत का सिलसिला शुरू करेंगे ताकि मुल्क में एकता व सद्भावना कायम की जा सके.
गोहत्या-काफिर-जिहादी शब्द पर चर्चा
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने एक न्यूज एजेंसी के बताय है कि संघ प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात के दौरान कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई है. कुरैशी ने कहा कि मोहन भागवत ने हमें बताया कि लोग गोहत्या और काफिर (गैर-मुस्लिमों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाला शब्द) से नाखुश थे. इस पर हमने संघ प्रमुख से साफ तौर पर कहा कि अगर कोई गोहत्या में शामिल है तो उसे कानून के तहत मिलनी चाहिए. इसके अलावा काफिर शब्द पर कहा कि इसका इस्तेमाल अविश्वासियों के लिए किया जाता है. यह कोई मुद्दा नहीं है, जिसे सुलझाया नहीं जा सकता.
एसवाई कुरैशी ने कहा कि हमने भागवत से कहा कि हमें भी इस बात पर बहुत दुख होता है जब किसी भारतीय मुसलमान को पाकिस्तानी या जेहादी कहा जाता है. कुरैशी ने कहा कि इस बात को भी हमने रखा कि लगातार मुसलमानों बदनाम किया जाता है. विशेष रूप से मुस्लिम समुदाय की आबादी और बहुविवाह की प्रथा के बारे में प्रचार किया जाता, समुदाय के बारे में नकारात्मक रूढ़ियों को मजबूत करने पर भी सवाल उठाया.
हालांकि, एसवाई कुरैशी ने यह भी कहा कि भागवत से मिलने के बाद उनसे प्रभावित हुए हैं. उन्होंने बताया कि हमने महसूस किया है कि भागवत इतने शक्तिशाली होने के बाद भी वह बहुत ही साधारण और सरल जीवन जी रहे हैं. कुरैशी ने कहा कि हमने चर्चा के दौरान इस बात को भी रखा कि 99 फीसदी मुस्लिम बाहर से नहीं आए हैं बल्कि यहीं के रहने वाले हैं. इस पर भागवत ने भी कहा कि जहां हम मूर्तियों की पूजा करते हैं तो भारतीय मुसलमान कब्रों पर प्रार्थना करते हैं. देश की प्रगति के लिए सांप्रदायिक सद्भाव जरूरी है.
गौरतलब है कि सितंबर 2019 में संघ प्रमुख मोहन भागवत से जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना सैयद अरशद मदनी से भी दिल्ली में मुलाकात की थी. उनकी यह मुलाकात उस समय हुई थी जब बाबरी मस्जिद और राममंदिर विवाद की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही थी. इस दौरान उनके बीच हिंदुओं और मुसलमानों के बीच एकता को मजबूत करने और मॉब लिंचिंग की घटनाओं सहित कई मुद्दों पर चर्चा की गई थी. अरशद मदनी की भागवत से मुलाकात संघ के रामलाल ने कराई थी.