मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में बुधवार को पहला मंत्रिमंडल विस्तार किया गया. मोदी कैबिनेट में कुल 43 नेताओं ने मंत्री पद की शपथ ली, जिसमें 36 नए चेहरों को जगह मिली है जबकि, 7 पुराने मंत्रियों को बेहतर काम का पुरस्कार मिला और उन्हें राज्यमंत्री से कैबिनेट मंत्री बना दिया गया है. वहीं, मोदी मंत्रिमंडल में जगह पाने की उम्मीद लगाए कई नेताओं को निराश होना पड़ा है.
केंद्रीय मंत्री बनने की रेस में सबसे आगे नजर आने वाले नेताओं को मोदी कैबिनेट में जगह नहीं मिल सकी. बिहार से बीजेपी नेता सुशील मोदी और जेडीयू के सासंद ललन सिंह के मंत्री बनाने जाने की चर्चा थी, लेकिन इन दोनों ही नेताओं को जगह नहीं मिल सकी है. ऐसे ही यूपी से बीजेपी सांसद प्रवीण निषाद और पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी के बेटे वरुण गांधी एक बार फिर मोदी कैबिनेट में जगह पाने से चूक गए. प्रवीण निषाद के पिता और निषाद पार्टी अध्यक्ष संजय निषाद ने बीजेपी के खिलाफ मोर्चा ही खोल लिया है.
सुशील मोदी को कैबिनेट में नहीं मिली जगह
बिहार में पिछले साल आखिर में नीतीश कुमार के अगुवाई में बीजेपी-जेडीयू की सरकार बनी तो सुशील मोदी की जगह पार्टी ने डिप्टी सीएम की कुर्सी तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी को सौंप दी. बीजेपी ने सुशील मोदी को राज्यसभा सदस्य बनाकर बिहार से केंद्रीय राजनीति लाया गया. इसके बाद से कयास लगाए जा रहे थे कि सुशील मोदी को केंद्र की मोदी सरकार में अहम जिम्मेदारी सौंपी जाएगी.
हालांकि, सुशील मोदी ने न तो कभी सार्वजनिक रूप से केंद्र में मंत्री बनने की इच्छा जाहिर की और न ही बीजेपी ने कभी कोई तस्वीर साफ की. ऐसे में बिहार में मोदी कैबिनेट के विस्तार की बातें सामने आई तो सुशील मोदी के मंत्री बनने की संभावना जताई जाने लगी, लेकिन पीएम मोदी की टीम में उन्हें जगह नहीं मिल पाई. ऐसे में सवाल खड़े हो रहे हैं आखिर क्या वजह थी कि जिसकी चलते सुशील मोदी को मोदी कैबिनेट में शामिल नहीं किया गया?
ललन सिंह मंत्री बनने से चूके
वहीं, जेडीयू कोटे से केंद्रीय मंत्री बनने की वाले संभावित नामों में मुंगेर से सांसद ललन सिंह की चर्चाएं थी. इसकी वजह यह भी है कि ललन सिंह को नीतीश कुमार का करीबी और जेडीयू में आरसीपी सिंह के बराबर के नेता माना जाता है. जेडीयू के रणनीतिकारों के तौर पर भी उनका नाम आता है. इसके बावजूद मोदी कैबिनेट में जगह बनाने से चूक गए और जेडीयू कोटे से आरसीपी सिंह केंद्रीय मंत्री बनाए गए हैं.
दरअसल, मोदी सरकार की तरफ से जेडीयू को केवल एक कैबिनेट मंत्री की कुर्सी मिली है. इसी के चलते आरसीपी सिंह से ललन सिंह पीछे रह गए. साल 2019 में मोदी सरकार के गठन के दौरान भी बीजेपी की ओर से जेडीयू को एक ही मंत्री का पद दिया जा रहा था, जिसके पर नीतीश राजी नहीं हुए थे. उस वक्त कहा गया था कि नीतीश कुमार जेडीयू से आरसीपी सिंह और ललन सिंह दोनों नेताओं को मोदी कैबिनेट में मंत्री बनाना चाहते थे, लेकिन एक मंत्री पद के चलते उन्होंने इस ठुकरा दिया था. हालांकि, अब मंत्रिमंडल के विस्तार में भी जेडीयू को एक ही मंत्री पद दिया गया, जो आरसीपी सिंह खाते में गया और ललन सिंह की उम्मीदों पर पानी फिर गया.
वरुण गांधी मंत्री बनने से फिर चूक गए
बीजेपी के तीन बार के सांसद वरुण गांधी एक बार फिर मोदी कैबिनेट में जगह पाने से चूक गए. पिछले कई दिनों से सोशल मीडिया पर सांसद वरुण गांधी को मंत्री बनाए जाने को लेकर शोर मचा था. मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में मेनका गांधी को भी कैबिनेट में जगह नहीं मिली थी और बरेली से सांसद संतोष गंगवार को मंत्री पद से इस्तीफा के बाद वरुण गांधी के मंत्री बनने की संभावना जतायी जा रही थी.
मोदी कैबिनेट विस्तार में बुधवार को यूपी से सात मंत्रियों को शामिल किया गया है. इसमें रुहेलखंड से बीजेपी के राज्यसभा सांसद बीएल वर्मा को भी राज्यमंत्री बनाया गया है. माना जा रहा है कि इसी के चलते वरुणा गांधी को शामिल नहीं किया गया है. वरुण गांधी तीसरी बार सांसद हैं. वो दो बार पीलीभीत और एक बार सुल्तानपुर सीट से लोकसभा सदस्य निर्वाचित हो चुके हैं.
बता दें कि 2014 से 2019 तक वरुण गांधी की मां मेनका गांधी मोदी सरकार में महिला एवं बाल विकास मंत्री रहीं. 2019 में मोदी सरकार दोबारा से केंद्र में आई तो मेनका गांधी को कैबिनेट में शामिल नहीं किया गया और न ही वरुण गांधी को जगह मिली. अब इस बार भी कैबिनेट विस्तार के बाद वरुण गांधी को जगह नहीं मिली है. इतना ही नहीं वरुण गांधी को बीजेपी संगठन में खोई खास जगह नहीं दी गई है जबकि वह पहले पार्टी के महासचिव रह चुके हैं.
प्रवीण निषाद नहीं बन सके केंद्र में मंत्री
पूर्वांचल के संतकबीरनगर सीट से बीजेपी सांसद प्रवीण निषाद के भी केंद्र की मोदी सरकार में मंत्री बनने की चर्चाएं खूब थी, लेकिन उनके भी अरमानों पर पानी फिर गया है. पिछले दिनों प्रवीण निषाद ने अपने पिता संजय निषाद के साथ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी. ऐसे में माना जा रहा था कि यूपी में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए प्रवीण निषाद को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है.
वहीं, पीएम मोदी ने यूपी के सात मंत्रियों सहित अपना दल की अनुप्रिया पटेल को जगह दी, लेकिन प्रवीण निषाद को शामिल नहीं किया गया. प्रवीण निषाद 2018 में सपा के टिकट पर गोरखपुर सीट से सांसद बने थे, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उन्होंने सपा छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया. बीजेपी ने उन्हें गोरखपुर के बजाय संतकबीर नगर सीट से टिकट दिया और वो जीतकर सांसद आए. प्रवीण निषाद को मंत्री न बनाए जाने का दर्द संजय निषाद ने बयां किया. उन्होंने कहा कि अनुप्रिया पटेल मंत्री बन सकती है तो प्रवीण निषाद क्यों नहीं?