देश की सत्ता पर नरेंद्र मोदी पहली बार 26 मई 2014 को काबिज हुए थे और 30 मई 2019 को दूसरी बार प्रधानमंत्री बने. इस तरह से नरेंद्र मोदी ने बतौर प्रधानमंत्री आठ साल पूरे कर लिए हैं. पीएम मोदी ने अपने आठ साल के कार्यकाल में जता दिया है कि राजनीतिक इच्छाशक्ति वाली सरकार अपने फैसलों से कैसे राजनीति की दशा-दिशा बदल सकती है. वहीं, मोदी सरकार के दूसरे टर्म के पूरे होने में महज दो साल बचे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि मोदी सरकार का अगले दो साल में किस पर मुख्य फोकस रहने वाला है?
दो सालों में 11 राज्यों का चुनाव
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में दो साल बचे हैं और उससे पहले 11 राज्यों में विधानसभा चुनाव है. गुजरात, हिमाचल, में इसी साल आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं. साल 2023 में कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगना, त्रिपुरा, मेघालय, नागालैंड और मिजोरम में विधानसभा चुनाव हैं. इनमें पांच राज्यों में बीजेपी के मुख्यमंत्री हैं तो तीन राज्यों की सत्ता में भागीदार है. वहीं, दो राज्यों में कांग्रेस और एक में टीआरएस की सरकार है. ऐसे में बीजेपी का पूरा फोकस अगले साल में होने वाले चुनाव पर होगा. इन चुनाव के नतीजों का असर लोकसभा चुनाव पर पड़ना लाजिमी है. ऐसे में 2024 के लिटमस टेस्ट के तौर पर भी विधानसभा चुनाव को देखा जा रहा है, जिसके चलते बीजेपी का फोकस अगले दो सालों में होने वाले राज्यों के चुनाव में जीत पर रहने वाला है.
राष्ट्रपति का चुनाव पर फोकस
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल जुलाई 2022 में समाप्त हो रहा है. ऐसे में यह तय माना जा रहा है कि चुनाव आयोग जून में राष्ट्रपति चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है. ऐसे में बीजेपी का फोकस एक बार फिर से अपना राष्ट्रपति को जिताने का है. राष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग करने वाले निर्वाचन मंडल में राजनीतिक गठबंधनों की बात करें तो कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए के पास फिलहाल 23 फीसदी वोट है जबकि बीजेपी के अगुवाई वाले एनडीए के पास 49 फीसदी वोट हैं. यूपीए के मुकाबले में तो बीजेपी को बड़ी बढ़त हासिल है लेकिन अगर सभी विपक्ष ने संयुक्त उम्मीदवार खड़ा कर दिया तो बीजेपी उम्मीदवार के लिए समस्या खड़ी हो सकती है. क्योंकि संयुक्त विपक्षी दलों के वोट मिलकर 51 फीसदी होता है. बीजेपी और पीएम मोदी का फोकस राष्ट्रपति के चुनाव पर रहने वाला है.
राज्यसभा में मजबूती पर फोकस
मोदी सरकार देश की सत्ता पर आठ साल रहने और देश के 18 राज्यों में सरकार होने के बाद भी बीजेपी राज्यसभा में अपने दम पर 100 का आंकड़ा पार नहीं सकी है. इतना ही नहीं एनडीए अभी भी बहुमत के आंकड़े से दूर है. मोदी सरकार को अपने बिल को पास कराने के लिए क्षेत्रीय दलों के ऊपर निर्भर रहना होगा. ऐसे में बीजेपी को अपना पूरा फोकस उच्च सदन में खुद को मजबूत करने की दिशा में रखना होगा, जिसके लिए तमाम क्षेत्रीय दलों के साथ संतुलन को बनाए रखना है ताकि लोकसभा की तरह राज्यसभा में भी आसानी के बिल को पास करा सकें.
महंगाई-बेरोजगारी पर नियंत्रण
मोदी सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती मौजूदा समय में आर्थिक मोर्चे पर है. दूसरे कार्यकाल के पहले साल में ही कोरोना के कहर ने आर्थिक मंदी ला दी. ऐसा तब हुआ, जब देश की अर्थव्यवस्था पहले से ढलान पर थी. लॉकडाउन के कारण माना गया कि देश की इकॉनमी काफी पीछे चली गई और रूस-यूक्रेन युद्ध ने हालत और खराब कर दी. इसके चलते पेट्रोल और खाने-पीने की कीमतों में बड़ी उछाल है. मोदी सरकार को पहली बार महंगाई के मोर्चे पर इतना जूझना पड़ रहा है और देश में ऊपर से बेरोजगारी का संकट भी खड़ा हो गया है. ऐसे में मोदी सरकार का पूरा फोकस बढ़ती महंगाई पर नियंत्रण और रोजगार की दिशा में उचित कदम उठाने पर रखना होगा.
जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने पर जोर
मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर के लिए विशेष रूप से बनाई गई धारा 370 तथा अनुच्छेद 35-ए के प्रावधानों को निरस्त कर उसे केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा जरूर दे दिया है, लेकिन अब वहां पर चुनाव कराने की दिशा में कदम बढ़ाने होंगे. राज्य में सीटों के परिसीमन हो चुका है, जिसके बाद अब चुनाव की दिशा में सरकार कदम बढ़ा सकती है. ऐसे में मोदी सरकार की नजर जम्मू-कश्मीर के चुनाव पर भी रहेगा. बीजेपी 2015 में दूसरे नंबर की पार्टी बनी थी और अब उसकी कोशिश नंबर वन बनने की होगी.
सीएए-NRC-एनपीआर-जनगणना
मोदी सरकार ने पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए 6 समुदायों (हिन्दू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध तथा पारसी) के शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने के लिए नागरिकता (संशोधन) कानून लेकर जरूर आ गई है, लेकिन अब उसे जमीन पर उतारने की दिशा में कदम बढ़ाने की है. सरकार देश में जनगणना कराने कराने का ऐलान हो चुका है. जनगणना के साथ एनपीआर का भी काम होना है. ऐसे में जातीय जनगणना की मांग भी तेजी से उठ रही है और रोहिणी कमिशन की रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग की जा रही है. ऐसे में सरकार को अब सीएए की प्रक्रिया को बनाने और जनगणना कराने की दिशा में मुख्यतौर से फोकस रहेगा.
2024 के चुनाव पर रहेगा मुख्य फोकस
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के तीन साल पूरे हो चुके हैं, जिसके बाद 2024 के चुनाव के लिए अभी से सियासी बिसात बिछाई जाने लगी है. ऐसे में मोदी सरकार और बीजेपी का फोकस 2024 के चुनाव पर रहने वाला है. बीजेपी 144 लोकसभा की उन सीटों पर अपना फोकस रखा है, जहां पर दूसरे नंबर पर रही थी. 2024 के चुनाव के लिए मोदी सरकार अपने पक्ष में माहौल को हरहाल में बनाए रखने के लिए किसी तरह की कोई चूक नहीं करना चाहेगी. ऐसे में उसके लिए जनकल्याणकारी नीतियों को जमीन पर उतारकर उसके सियासी लाभ उठाने पर काम करना होगा ताकि सत्ता की हैट्रिक लगाने में सफल हो सके.