पंजाब में सत्ता परिवर्तन के बाद भी कांग्रेस में सियसी कलह जारी है. हालांकि इसी शांति करने की लगातार कोशिश भी की जा रही है. गुरुवार को नवजोत सिंह सिद्धू ने एक बार फिर पार्टी आलाकमान पर भरोसा जताया. उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ही मेरे नेता हैं, मुझे उनके नेतृत्व पर भरोसा है. आलाकमान का हर फैसला मंजूर है. वहीं, हरीश रावत ने कहा कि अब साफ हो गया है कि सिद्धू पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष बने रहेंगे और संगठन को मजबूत करेंगे. सिद्धू के मान जाने के बाद अब नजरें राजस्थान कांग्रेस में जारी खींचतान को सुलझाने की है.
कांग्रेस की सीडब्लूसी की बैठक कल
16 अक्टूबर यानी शनिवार को दिल्ली में होने वाली कांग्रेस की सीडब्लूसी की बैठक में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आज दिल्ली आ रहे हैं. सीएम के इस कार्यक्रम से प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार और फेरबदल की चर्चा एक बार फिर से शुरू हो गई है. दिल्ली दौरे के दौरान मुख्यमंत्री पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात कर सकते हैं. इस मुलाकात के जरिए ही प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार फेरबदल और राजनीतिक नियुक्तियों का फॉर्मूला निकल सकता है.
दिवाली बाद गहलोत दे सकते हैं तोहफा
दिवाली के बाद पार्टी के नेताओं विधायकों और कार्यकर्ताओं को गहलोत तोहफा दे सकते हैं. अशोक गहलोत कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य नहीं हैं, लेकिन अब तक की बैठकों में कांग्रेस शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री शामिल होते रहे हैं, इसलिए मुख्यमंत्री के तौर पर वे बैठक में शामिल हो सकते हैं. इस बार कार्यसमिति की बैठक में गुजरात के प्रभारी की हैसियत से राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा भी शामिल होने दिल्ली जा रहे हैं.
लंबे समय से रुका हुआ है मंत्रिमंडल विस्तार
दरअसल, इस साल गहलोत का यह दूसरा दिल्ली दौरा होगा. इससे पहले गहलोत 27 फरवरी को दिल्ली गए थे. गहलोत की इस यात्रा से लंबे समय से अटके मंत्रिमंडल फेरबदल, राजनीतिक नियुक्तियों और संगठन विस्तार पर हाईकमान से चर्चा हो सकती है. गहलोत की कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात होने पर इन लंबित मुद्दों को हरी झंडी मिलने के पूरे आसार हैं. प्रदेश में चाहे गहलोत खेमा हो सचिन पायलट या बसपा से आने वाले विधायक सभी लंबे समय से मंत्रिमंडल विस्तार राजनीतिक नियुक्तियों की मांग कर रहे हैं. प्रदेश प्रभारी अजय माकन कई बार डेडलाइन दे चुके, लेकिन अब तक न मंत्रिमंडल फेरबदल हुआ और न ही राजनीतिक नियुक्तियों और संगठन विस्तार पर काम आगे बढ़ा.
इससे पहले टल गया था गहलोत का दिल्ली दौरा
माना यह गया कि जब तक सोनिया गांधी से अशोक गहलोत की वन टु वन चर्चा नहीं होगी तब तक मंत्रिमंडल विस्तार फेरबदल पर मोहर नहीं लग पाएगी. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कोरोना काल से पहले हर महीने दो से तीन बार दिल्ली जाते थे, लेकिन कोरोना काल में यह सिलसिला रुक गया.
फरवरी 2020 के बाद गहलोत के दिल्ली दौरों पर ब्रेक लग गया. गहलोत कोरोना की पहली और दूसरी लहर में दिल्ली नहीं गए. 10 महीने बाद पिछले दिसंबर में दिल्ली गए थे. उसके बाद अब 7 महीने बाद ही दिल्ली दौरा होगा. गहलोत का 27 अगस्त को भी दिल्ली दौरे पर जाने का कार्यक्रम था. उनकी एंजियोप्लास्टी होने के कारण दौरा रद्द हो गया था. उस दिन हार्ट में ब्लॉकेज आने से उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा. ऐसे में एक बार फिर से अशोक गहलोत के दिल्ली दौरे के कार्यक्रम की चर्चाओं के बीच प्रदेश के विधायकों पार्टी नेताओं कार्यकर्ताओं की उम्मीदें भी फिर से जवां हो गई है.