scorecardresearch
 

क्रिकेट हो या राजनीति, बगावत करने का नवजोत सिंह सिद्धू का है पुराना इतिहास

भारतीय जनता पार्टी में होते हुए सिद्धू अकाली दल-बीजेपी गठबंधन सरकार की आलोचना करते थ. वहीं कांग्रेस में आने के बाद से मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और उनके बीच कई बार खटपट की खबरें भी आईं. आखिरकार कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया. 

Advertisement
X
सिद्धू के बागी तेवर का है पुराना इतिहास (फाइल फोटो)
सिद्धू के बागी तेवर का है पुराना इतिहास (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सिद्धू के इस्तीफे पर कांग्रेस आलाकमान पर उठ रहे सवाल
  • पहले भी बागी तेवर की वजह से रहे हैं सुर्खियों में
  • 1996 के इंग्लैंड दौरे के वक्त भी नवजोत सिंह लौट आए थे स्वदेश

नवजोत सिंह सिद्धू के इस्तीफे के बाद से ही सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या उनको पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी देने का फैसला सही था. क्रिकेट हो या राजनीति, बगावत करने का नवजोत सिंह सिद्धू का पुराना इतिहास रहा है. सिद्धू 2004 में राजनीति में आए. इससे पहले वो भारतीय जनता पार्टी के सांसद रहे और फिर कांग्रेस में विधायक और मंत्री रहे. सिद्धू को जानने वाले लोग बताते हैं कि 1996 के इंग्लैंड दौरे के वक्त नवजोत सिंह सिद्धू कप्तान मोहम्मद अज़हरूद्दीन से बगावत कर बीच दौरे में स्वदेश लौट आए थे.

Advertisement

इतना ही नहीं राजनीतिक जीवन में भी वो जिस पार्टी में रहे उसके खिलाफ ही बोलते रहे. भारतीय जनता पार्टी में होते हुए सिद्धू अकाली दल-बीजेपी गठबंधन सरकार की आलोचना करते थ. वहीं कांग्रेस में आने के बाद से मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और उनके बीच कई बार खटपट की खबरें भी आईं. आखिरकार कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया. 

नवजोत सिंह सिद्धू 2004 में बीजेपी के टिकट पर अमृतसर से लोकसभा पहुंचे. तब उन पर एक पुराना मुकदमा चल रहा था. उनपर कथित तौर पर पाटियाला निवासी गुरनाम सिंह को पार्किंग विवाद को लेकर पीटने का आरोप था. बाद में गुरनाम सिंह की अस्पताल में मौत हो गई. इस मामले में 2006 में नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने तीन साल कैद की सजा सुनाई थी. सिद्धू को तब अमृतसर के सांसद पद से इस्तीफा देना पड़ा था.

Advertisement

इस केस में बीजेपी के वरिष्ठ नेता रहे अरुण जेटली ने सुप्रीम कोर्ट में सिद्धू की ओर से पैरवी की थी. बाद में उन्हें जमानत मिली. इसके बाद अमृतसर में उपचुनाव हुए और सिद्धू दोबारा चुनाव जीतने में कामयाब रहे. इसके बाद सिद्धू और अरुण जेटली के बीच प्रगाढ़ रिश्ते बन गए थे. वहीं 2014 में जब बीजेपी ने अरुण जेटली को अमृतसर सीट से अपना उम्मीदवार बनाया तो सिद्धू ने चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा कर देंगे

नवजोत सिंह सिद्धू हमेशा अकाली सरकार के आलोचक रहे. 2014 में जब केंद्र में बीजेपी की सरकार थी और पंजाब में अकाली दल-बीजेपी गठबंधन की सरकार थी तब सिद्धू ने भ्रष्टाचार, केबल माफिया, खनन माफिया जैसे मुद्दों को लेकर कई मौकों पर अकाली दल पर निशाना साधा था. अप्रैल, 2016 में सिद्धू राज्यसभा के सांसद बनाए गए लेकिन उन्होंने तीन महीने बाद अपना इस्तीफा दे दिया था.

और पढ़ें- सिद्धू के इस्तीफे के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह बोले, 'मैंने कहा था- वो स्थिर आदमी नहीं हैं'

उन्होंने इस्तीफा देने से पहले कहा कि पंजाब, पंजाबी और पंजाबियत के समर्थक होने के नाते उन्होंने बीजेपी छोड़ी. इसके बाद चर्चा चल रही थी कि नवजोत सिद्धू अब आम आदमी पार्टी का दामन थामेंगे और राज्य में पार्टी की तरफ से मुख्यमंत्री का चेहरा होंगे. हालांकि उन्होंने 2017 के विधानसभा चुनावों से कुछ सप्ताह पहले कांग्रेस का दामन थाम लिया.

Advertisement

2017 में कांग्रेस पार्टी पंजाब में चुनकर सत्ता में आयी. नवजोत सिंह सिद्धू कैबिनेट मंत्री बनाए गए. 2019 में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कैबिनेट में बदलाव करते हुए सिद्धू का मंत्रिमंडल बदल दिया, इसके विरोध में सिद्धू ने पदभाग ग्रहण किए बिना ही इस्तीफा दे दिया.
 

Advertisement
Advertisement