शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' की ओर से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) अध्यक्ष शरद पवार को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की कमान सौंपने की वकालत के बाद दिल्ली में हलचल तेज हो गई है. शरद पवार आज अलग-अलग पार्टियों के नेताओं से मुलाकात करेंगे. हालांकि, मीटिंग का एजेंडा अभी साफ नहीं है, लेकिन इसे सामना के लेख से जोड़कर देखा जा रहा है.
आपको बता दें कि शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' ने राहुल गांधी पर टिप्पणी करते हुए लिखा था कि वे काम तो पर्याप्त कर रहे हैं, लेकिन उनके नेतृत्व में अभी कुछ कमी है. कांग्रेस को एक फुलटाइम अध्यक्ष की जरूरत है. साथ ही यूपीए में गड़बड़ है और विपक्ष को एकजुट करने के लिए नेतृत्व की जरूरत है. यूपीए में केवल शरद पवार ही नजर आते हैं. उनके अनुभव का लाभ पीएम नरेंद्र मोदी तक लेते हैं.
'सामना' में यूपीए को एनजीओ जैसा बताते हुए कहा गया कि किसान आंदोलन पर कांग्रेस और यूपीए, मोदी सरकार पर दबाव बनाने में नाकाम रहे. साथ ही शरद पवार को यूपीए अध्यक्ष बनाने का इशारा किया गया. 'सामना' के इस लेख के बाद कांग्रेस भड़क गई थी और उसके नेता, शिवसेना को यूपीए पर टिप्पणी न करने की हिदायत देने लगे.
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महाराष्ट्र कांग्रेस नेता नसीम खान ने कहा था कि कांग्रेस पार्टी ने कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के आधार पर महाराष्ट्र में शिवसेना को समर्थन दिया है. शिवसेना यूपीए का हिस्सा नहीं है, इसलिए यूपीए के बारे में शिवसेना को अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार नहीं है और शिवसेना को यह ध्यान रखना चाहिए.