बिहार की सियासत को लेकर इन दिनों दिल्ली तक हड़कंप मचा हुआ है. सियासी गलियारों में जेडीयू के अंदर दो फाड़ होने की सुगबुगाहट चल रही है. दिल्ली में जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक होनी है. सबसे बड़ा सवाल यह है कि अब तक राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक का एजेंडा सामने नहीं आया है. सियासी सुगबुगाहट है कि आरजेडी प्रमुख लालू यादव और तेजस्वी यादव के साथ ललन सिंह की बढ़ती करीबियों के कारण नीतीश, ललन सिंह को पार्टी अध्यक्ष के पद से हटाने का फैसला ले सकते हैं. इस बीच आइए जानते हैं कि कब-कब नीतीश कुमार ने अचानक चौंकाने वाले फैसले लेकर लोगों को अचंभे में डाल दिया है.
1. आज लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के साथ मिलकर बिहार में सरकार चला रहे नीतीश कुमार ने ही 1994 में बिहार में जनता दल पर लालू यादव के नियंत्रण के खिलाफ विद्रोह किया था. उन्होंने समता पार्टी बनाने के लिए जॉर्ज फर्नांडीस के साथ गठबंधन किया, जो अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाले गठबंधन में भागीदार बनी.
2. साल 2013 में भारतीय जनता पार्टी ने जब नरेंद्र मोदी को लोकसभा चुनाव समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया तब नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जेडीयू एनडीए से अलग हो गई. तब नीतीश कुमार ने एक झटके में भाजपा के साथ अपना 17 साल पुराना गठबंधन खत्म कर दिया था.
3. एनडीए से अलग होने के महज दो साल बाद साल 2015 में बिहार का विधानसभा चुनाव बिहार की राजनीति में एक और बड़ा बदलाव लेकर आया. तब नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और कांग्रेस के साथ 'महागठबंधन' बनाया.
4. एक तरफ कांग्रेस और राजद महागठबंधन को लेकर नए सपने बुन रहे थे तभी जेडीयू ने राजद से असहमति के कारण बिहार की महागठबंधन सरकार छोड़ दी. अगस्त 2017 में एक बार फिर नीतीश की जेडीयू एनडीए में शामिल हो गई.
5. लालू परिवार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद नीतीश ने एक बार फिर 2022 में 'अंतरात्मा की आवाज' सुनी और भाजपा से असहमति के कारण एनडीए छोड़ दिया. इसके बाद नीतीश ने महागठबंधन के साथ मिलकर फिर सरकार बनाई. तब नीतीश के NDA के साथ कई मुद्दों पर मतभेद हो गए थे. उनकी राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा भी इससे प्रभावित हो रही थी.