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जातिगत जनगणना के बाद अब 65% आरक्षण का दांव... नीतीश कुमार ने क्लियर कर दी 2024 की लाइन

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जातिगत जनगणना के बाद अब आरक्षण की सीमा 50 से बढ़ाकर 65 फीसदी करने का ऐलान कर दिया है. नीतीश कुमार के इस दांव के बाद अब ये चर्चा शुरू हो गई है कि क्या उन्होंने 2024 चुनाव के लिए लाइन क्लियर कर दी है?

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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (फाइल फोटो)
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (फाइल फोटो)

देश में अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं. लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी पार्टियां जगह-जगह जातिगत जनगणना का मुद्दा जोर-शोर से उठा रही हैं. केंद्र की सत्ता में आने पर, राज्यों में सरकार बनाने पर जातिगत जनगणना कराने के वादे किए जा रहे हैं. इन वादों के बीच इरादे को लेकर सवाल उठ रहे थे. जातिगत जनगणना के मुद्दे को लेकर कम्युनिकेशन गैप की बातें भी हो रही थीं. कहा ये भी जा रहा था कि विपक्ष जातिगत जनगणना की बात तो कर रहा है लेकिन ये नहीं बता पा रहा कि उसके बाद क्या? कर्नाटक जैसे राज्य में कांग्रेस की सरकार रहते हुए जातिगत सर्वे को लेकर भी विपक्ष पर उंगली उठ रही थी.

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अब नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जिस सरकार के जातिगत सर्वे को विपक्ष मॉडल की तरह पेश कर रहा था, उसी नीतीश सरकार ने विधानसभा में पूरी रिपोर्ट पेश करते हुए इन सवालों के जवाब भी दे दिए हैं. नीतीश कुमार ने बिहार विधानसभा में जातिगत जनगणना की रिपोर्ट पेश करने के बाद ये भी कहा कि सरकार आरक्षण की सीमा बढ़ाएगी. आरक्षण की सीमा जिस अनुपात में बढ़ाने की बात सीएम ने कही है, वह जातिगत जनगणना के आंकड़ों के अनुपात के करीब ही नजर आ रहा है. बिहार की जातिगत जनगणना के आंकड़ों पर नजर डालें तो ओबीसी की आबादी 27 और ईबीसी की आबादी 36 फीसदी है. 

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव (फाइल फोटो)
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव (फाइल फोटो)

जातिगत जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक अनुसूचित जाति की आबादी 19% और अनुसूचित जनजाति की 1.68% है. सामान्य वर्ग की जनसंख्या 15 फीसदी के करीब है. अब बिहार सरकार ने विधानसभा में जातिगत, आर्थिक और शैक्षणिक सर्वे की रिपोर्ट रखने के साथ ही उन सवालों पर भी विराम लगा दिया कि इसके बाद क्या? दरअसल, विपक्षी पार्टियां और कांग्रेस बिहार में हुए जातिगत जनगणना का उदाहरण देते हुए सत्ता में आने पर पूरे देश में इसे कराने का वादा कर रही हैं. कांग्रेस ने राजस्थान से लेकर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ तक, जातिगत जनगणना कराने का वादा अपने चुनाव घोषणा पत्र में भी शामिल किया है. हालांकि, कांग्रेस के नेता भी आबादी के अनुपात में हिस्सेदारी की बात तो करते हैं लेकिन ये नहीं बता पा रहे थे कि जातिगत जनगणना के बाद उनका अगला कदम क्या होगा?

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ये भी पढ़ें- नीतीश के जातिगत सर्वे की रिपोर्ट पेश होने से पहले BJP ने तलाश लिया तोड़?

अब नीतीश सरकार ने आरक्षण की सीमा बढ़ाने की बात कर ये भी क्लियर कर दिया है कि जातिगत जनगणना के बाद अगला कदम क्या होगा? कहा जा रहा है कि जातिगत जनगणना के आंकड़े सामने आने के बाद ओबीसी, ईबीसी में भी कोई उत्साह नहीं दिख रहा था. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) भी अति पिछड़ों के हक के मुद्दे को हवा देकर नीतीश सरकार को कठघरे में खड़ा कर रही थी. नीतीश कुमार ने जातिगत जनगणना की डिटेल रिपोर्ट विधानसभा में पेश किए जाने के बाद 50 फीसदी आरक्षण की सीमा को 65 फीसदी तक बढ़ाने का दांव चलकर न सिर्फ 2024 चुनाव से पहले लाइन क्लियर कर दी है, बल्कि बड़ी लकीर भी खींच दी है

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (फाइल फोटोः पीटीआई)
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (फाइल फोटोः पीटीआई)

ऐसा इसलिए भी है क्योंकि कांग्रेस के लिए जातिगत जनगणना के मुद्दे पर कर्नाटक की वजह से भी बैकफुट पर है. दरअसल, कर्नाटक में कांग्रेस की सिद्धारमैया सरकार ने भी जातिगत सर्वे कराया था. हालांकि, इस सर्वे के आंकड़े जारी भी नहीं हो सके. इसको आधार बनाकर भी विरोधी पार्टियां कांग्रेस को घेर रही थीं. कांग्रेस के लिए ये बताना भी मुश्किल हो रहा था कि  जातिगत जनगणना कराएंगे, ठीक है लेकिन उसके बाद क्या करेंगे? इस जनगणना से पिछड़े वर्ग के लोगों को या आम नागरिकों को क्या हासिल होगा? नीतीश सरकार के इस कदम को इन सवालों के जवाब के रूप में भी देखा जा रहा है.

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बिहार में किसके लिए कितना आरक्षण?

बिहार में अभी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10% आरक्षण छोड़ दें तो 50 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था है. पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग के लिए प्रदेश में अभी 30 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था है जिसे नीतीश सरकार ने बढ़ाकर 43 फीसदी करने का ऐलान किया है. इन वर्गों की आबादी 63 फीसदी है. इसी तरह 19 फीसदी आबादी वाले अनुसूचित जाति के लिए आरक्षण 16 से बढ़ाकर 20 करने और करीब डेढ़ फीसदी आबादी वाले अनुसूचित जनजाति के लिए एक से बढ़ाकर दो फीसदी करने का ऐलान भी सरकार की ओर से किया गया है.

बिहार में अभी किसके लिए कितना आरक्षण है और सरकार ने कितना करने का ऐलान किया है
बिहार में अभी किसके लिए कितना आरक्षण है और सरकार ने कितना करने का ऐलान किया है

जातिगत जनगणना में जातियों की आबादी से जुड़े आंकड़े जारी किए जाने के बाद से ही जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी की मांग भी जोर पकड़ रही थी. अब नीतीश सरकार के दांव ने जातिगत जनगणना को झुनझुना बताने वाली बीजेपी को भी फंसा दिया है. बिहार बीजेपी के अध्यक्ष सम्राट चौधरी भी इसे समझ रहे हैं. शायद यही वजह है कि नीतीश सरकार के इस दांव को लेकर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्होंने साफ किया कि बीजेपी आरक्षण बढ़ाने के प्रस्ताव का समर्थन करेगी.

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