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बिहार में नीतीश-तेजस्वी की यारी, नगालैंड में आमने-सामने चुनावी लड़ाई की तैयारी

नगालैंड विधानसभा चुनाव में कुल 13 पार्टियां किस्मत आजमा रही हैं. इसके अलावा निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनावी ताल ठोंक रहे हैं. इस तरह से राज्य की 60 विधानसभा सीटों पर कुल 225 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया है. यहां नाम वापस लेने की आखिरी तिथि शुक्रवार है. नगालैंड की सत्तारूढ़ नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) 40 सीटों पर और उसकी सहयोगी बीजेपी ने 20 सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं.

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बिहार में सीएम नीतीश कुमार की पार्टी जदयू और तेजस्वी यादव की पार्टी आरजेडी की गठबंधन सरकार है. (फाइल फोटो)
बिहार में सीएम नीतीश कुमार की पार्टी जदयू और तेजस्वी यादव की पार्टी आरजेडी की गठबंधन सरकार है. (फाइल फोटो)

बिहार की सियासत में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव मिलकर सरकार चला रहे हैं. आरजेडी और जेडीयू के बीच भले ही राजनीतिक यारी हो, लेकिन पूर्वोत्तर के चुनावी रण में आमने-सामने की लड़ाई लड़ रहे हैं. नगालैंड के विधानसभा चुनाव में आरजेडी और जेडीयू ही नहीं बल्कि चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी भी किस्मत आजमा रही है. इस तरह से बिहार के तीनों क्षेत्रीय दल चुनावी रण में उतरे हैं, लेकिन देखना है कि किसके सितारे बुलंद होते हैं?

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नगालैंड विधानसभा चुनाव में कुल 13 पार्टियां किस्मत आजमा रही हैं. इसके अलावा निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनावी ताल ठोंक रहे हैं. इस तरह से राज्य की 60 विधानसभा सीटों पर कुल 225 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया है. यहां नाम वापस लेने की आखिरी तिथि शुक्रवार है. नगालैंड की सत्तारूढ़ नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) 40 सीटों पर और उसकी सहयोगी बीजेपी ने 20 सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं.

जेडीयू ने 9 उम्मीदवार उतारे

नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने इस बार नगालैंड विधानसभा चुनाव में 9 उम्मीदवार उतारे हैं जबकि 2018 के चुनाव में 13 प्रत्याशी उतारे थे और एक जीतने में सफल रहा था. जेडीयू ने बिहार के तेजतर्रार मंत्री संजय झा, अफाक आलम, राज्यसभा सद्सय अनिल हेगड़े के साथ नागालैंड में कैंप कर रहे हैं. पूर्वोत्तर के प्रभारी आफाक आलम को बना रखा है और वो राज्य में जेडीयू के दो दशक से पार्टी की उपस्थिति पर चुनाव जीतने की उम्मीद लगाए हुए हैं. जेडीयू 2003 के चुनाव में नगालैंड में तीन सीटें जीती थी, जिसमें एक मंत्री भी बने  2008, 2013 और 2018 के चुनाव में जेडीयू के टिकट पर एक विधायक बनने में सफल रही थी. राज्य में पार्टी के पास साढ़े चार फीसदी वोट भी है. 

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आरजेडी पांच सीटों पर लड़ रही चुनाव

बिहार में जेडीयू की सहयोगी आरजेडी भी नगालैंड विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमा रही है, लेकिन जेडीयू के खिलाफ चुनावी मैदान में है. आरजेडी नगालैंड विधानसभा चुनाव में पांच सीटों पर चुनावी मैदान में उतरी है. पार्टी ने घोषणा कर रखी है कि यदि वह कोई भी सीट जीतती है, तो वह किसी भी ऐसे गठबंधन सरकार में शामिल नहीं होगी जिसमें बीजेपी शामिल है. आरेजेडी ने 2018 का चुनाव नहीं लड़ा था जबकि 2013 में दो सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. 2008 में आरजेडी ने चुनाव लड़ा था और उसे 6.7 फीसदी वोट मिले थे, लेकिन उसके बाद से पार्टी का ग्राफ गिरा है. 

नगालैंड के रण में एलजेपी भी उतरी

नगालैंड चुनाव में चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी पहली बार चुनावी मैदान में उतरी है. एलजेपी ने कुल 19 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. ऐसे में एनडीपीपी ने अपने जिन पांच विधायक के टिकट काटे हैं, उन्हें एलजेपी ने चुनावी मैदान में टिकट दिया है. इस तरह से एलजेपी ने मजबूती के साथ चुनावी रण में उतरी है. एलजेपी दलित और आदिवासी वोटों के दम पर जीत दर्ज करने की कवायद है. 

राष्ट्रीय पार्टी बनने की जुगत में बिहार के दल 

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नगालैंड के चुनावी रण में उतरे बिहार के तीनों प्रमुख दल, जेडीयू, आरजेडी और एलजेपी की मंशा खुद को राष्ट्रीय पार्टी के रूप में स्थापित करने का है. इसीलिए बिहार में जेडीयू-आरजेडी की भले ही यारी हो, लेकिन नगालैंड में एक दूसरे विरोधी के रूप में आमने-सामने चुनाव लड़ रहे हैं. इसी तरह से रामविलास पासवान के निधन के बाद उनकी सियासी विरासत संभाल रहे चिराग पासवान भी अपने पार्टी के राजनीतिक आधार बढ़ाना चाहते हैं. ऐसे में देखना है कि बिहार के तीनों क्षेत्रीय दलों में से किसका राष्ट्रीय पार्टी बनने का सपना साकार होता है?

 

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