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संसद के मॉनसून सत्र का आज 6वां दिन है. संसद के दोनों सदनों में मणिपुर हिंसा को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच गतिरोध बना हुआ है. इसी बीच विपक्षी गठबंधन 'INDIA' ने गुरुवार को बड़ी बैठक बुलाई. बैठक में विपक्षी दलों के सांसद काले कपड़ों में पहुंचे. विपक्षी सांसदों ने मणिपुर पर चर्चा की अनुमति न देने और अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा शुरू न होने को लेकर केंद्र सरकार के विरोध में काले कपड़े पहने.
यह बैठक विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के चेंबर में हुई. बताया जा रहा है कि बैठक में अविश्वास प्रस्ताव पर विपक्ष ने अपनी रणनीति बनाई. विपक्ष सरकार से अविश्वास प्रस्ताव पर तत्काल चर्चा की मांग करेगा.
सरकार के खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव
दरअसल, मणिपुर में 3 मई से हिंसा जारी है. यहां अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. मणिपुर हिंसा को लेकर दोनों सदनों में संग्राम छिड़ा हुआ है. विपक्ष की मांग है कि इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान के साथ विस्तृत चर्चा हो. जबकि सरकार गृह मंत्री अमित शाह के बयान के साथ चर्चा कराना चाहता है.
ऐसे में बुधवार को कांग्रेस सांसद गौरव गोगाई ने लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया. इसे स्पीकर ओम बिरला ने स्वीकार कर लिया है. हालांकि, इस पर चर्चा के लिए अगले हफ्ते का समय तय किया गया है.
क्यों लाया गया अविश्वास प्रस्ताव?
मोदी सरकार बहुमत में है. ऐसे में ये साफ है कि विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव गिर जाएगा. सवाल यह उठता है कि पूर्ण बहुमत की मोदी सरकार होने के बावजूद विपक्ष यह अविश्वास प्रस्ताव क्यों ला रहा है? दरअसल, विपक्षी पार्टियों का यह मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मणिपुर के मामले पर सदन में कोई जवाब नहीं दे रहे हैं लेकिन जब अविश्वास प्रस्ताव लाया जाएगा, तब प्रधानमंत्री को इस पर सदन के अंदर जवाब देना होगा. यही वजह है कि सभी विपक्षी पार्टियां यह जानती हुए कि उनके पास आंकड़ा नहीं है. बावजूद इसके यह प्रस्ताव लोकसभा में लाया जा रहा है.
लोकसभा और राज्यसभा में कौन कितना ताकतवर?
लोकसभा में मोदी सरकार बहुमत में है. बीजेपी के पास 301 सांसद हैं. एनडीए के पास 333 सांसद हैं. वहीं पूरे विपक्ष के पास कुल 142 सांसद हैं. सबसे ज्यादा 50 सांसद कांग्रेस के हैं.
वहीं, राज्यसभा की बात करें तो एनडीए गठबंधन के पास 105 सांसद हैं. जबकि I.N.D.I.A गठबंधन के पास 93 सांसद हैं.
अविश्वास प्रस्ताव का क्या है प्रोसेस?
सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को नियम 198 के तहत लोकसभा में पेश किया जा सकता है. इस अविश्वास प्रस्ताव को पेश करने के लिए ही करीब 50 विपक्षी सांसदों का समर्थन होना जरूरी है. लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव एक अहम कदम माना जाता है. अगर संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाया जाए और सदन के 51% सांसद अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करते हैं, तो यह पारित हो जाता है और माना जाता है कि सरकार ने बहुमत खो दिया है और उसे पद से इस्तीफा देना होगा. सरकार को या तो विश्वास मत लाकर सदन में अपना बहुमत साबित करना होता है या विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाने के बाद सरकार से बहुमत साबित करने के लिए कह सकता है.
हालांकि यह जरूरी नहीं है कि विपक्षी दल सिर्फ सरकार गिराने के उद्देश्य से ही अविश्वास प्रस्ताव पेश करते हैं, कई बार विपक्ष सरकार को राष्ट्रीय महत्व के किसी मुद्दे पर चर्चा करने के लिए मजबूर करने के लिए भी अविश्वास प्रस्ताव लाता है.
प्रस्ताव लाने का नियम क्या?
जो भी सांसद सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाता है उसे ऐसा प्रस्ताव देने के लिए सदन की अनुमति मांगनी होगी और जिस दिन वह प्रस्ताव लाएगा उस दिन सुबह 10 बजे तक लोकसभा के महासचिव को प्रस्ताव की लिखित सूचना देनी होगी.