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पूर्वोत्तर में भाजपा मालामाल, कांग्रेस को नुकसान... जानिए 2024 के लिए 26 सीटों का समीकरण

त्रिपुरा, मेघलाय और नगालैंड विधानसभा चुनाव के नतीजे को 2024 के लोकसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है. पूर्वोत्तर के आठ राज्यों में 26 लोकसभा सीटें आती है, जो गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे प्रदेशों के बराबर है.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

पूर्वोत्तर के त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड में बीजेपी गठबंधन अपना दबदबा बनाए रखने में सफल रहा है. तीनों ही राज्यों में बीजेपी गठबंधन की सरकार में वापसी हो गई है जबकि कांग्रेस के लिए सियासी जमीन सिकुड़ती जा रही है. तीनों राज्यों के चुनाव नतीजे ऐसे समय आए हैं जब 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर सियासी तपिश गर्म है. ऐसे बीजेपी के लिए सियासी तौर चुनावी नतीजे 2024 के लिए टानिक से कम नहीं है. इतना ही नहीं महाराष्ट्र और बिहार में एनडीए में हुए बदलाव से होने वाले सियासी नुकसान की भरपाई में पूर्वोत्तर अहम भूमिका अदा कर सकता है? 

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पूर्वोत्तर के तीन राज्य का सियासी गेम

बता दें कि विधानसभा चुनाव के नतीजों का तो लोकसभा चुनाव से कोई सीधा नाता तो नहीं होता, पर सियासी नब्ज का अंदाजा हो जाता है. त्रिपुरा, मेघालय, नगालैंड तीनों राज्यों के चुनाव नतीजों को 2024 के लोकसभा चुनाव के लिटमस टेस्ट की तरह देखा जा रहा है. पूर्वोत्तर के तीनों राज्यों में कुल 180 विधानसभा सीटें है, जिनमें बीजेपी गठबंधन को 71 सीटें मिली हैं जबकि अकेले बीजेपी को 46 सीटें जीती हैं. बीजेपी ने मेघालय में एनपीपी के साथ मिलकर सरकार बनाई है. एनपीपी की सीटें अगर बीजेपी गठबंधन में जोड़ लेते हैं तो यह आंकड़ा 97 सीटों पर पहुंच जाता है. 

वहीं, कांग्रेस पूर्वोत्तर में महज 8 विधानसभा सीटें ही जीती है, जिसमें त्रिपुरा में 3 सीटें लेफ्ट के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का फायदा मिला है. मेघलाय में कांग्रेस 21 सीटों से घटकर 5 पर आ गई है तो नगालैंड में खाता नहीं खोल सकी. त्रिपुरा में ढाई दशक तक राज करने वाली लेफ्ट अब तीसरे नंबर की पार्टी बन गई है, उसे महज 11 सीटें मिली है. टीएमसी को पांच सीटों से संतोष करना पड़ा है. इसके अलावा बाकी सीटें अन्य छोटे और क्षेत्रीय दलों को मिली है. विधानसभा चुनाव के नतीजों ने बीजेपी के हौसले को बुलंद कर दिया है तो विपक्षी दलों के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है. 

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2024 में बीजेपी के लिए पूर्वोत्तर क्यों अहम
बीजेपी के लिए 2024 के लोकसभा चुनाव के सियासी गणित में पूर्वोत्तर बहुत महत्व रखता है, क्योंकि आठ राज्यों में कुल 26 लोकसभा सीटें हैं, जो बाकी देश के किसी मध्य आकार के एक राज्य के बराबर है. बीजेपी भी इस बात को बाखूबी तरह से जानती है कि अगर लोकसभा चुनाव में अन्य राज्यों में उसके खिलाफ सत्ता विरोधी रुझान होता है तो लिहाजा उन राज्यों में होने वाले नुकसान की भरपाई की दृष्टि के लिए पूर्वोत्तर बीजेपी के लिए अहम साबित हो सकता है. 

महाराष्ट्र में शिवसेना अब बीजेपी के साथ नहीं है. इसी तरह से बिहार में जेडीयू भी बीजेपी के अगुवाई वाले एनडीए से अलग हो चुकी है. शिवसेना और जेडीयू दोनों ही अब कांग्रेस गठबंधन के साथ हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस नेतृत्व वाले गठबंधन के साथ ही लड़ने की पूरी संभावना है. यूपी में सपा-आरएलडी ने मिलकर 2022 के चुनाव में लड़ा था और बीजेपी के लिए वेस्ट यूपी के मुस्लिम बेल्ट में तगड़ा झटका दिया था. 2024 के चुनाव में अगर इन राज्यों में बीजेपी के लिए ऐसी ही स्थिति रही तो उसके लिए पूर्वोत्तर सियासी भरपाई कर सकता है.   

पूर्वोत्तर में मजबूत होता बीजेपी का किला
2014 में मोदी सरकार केंद्र में आई, तब पूर्वोत्तर के आठ में से पांच राज्यों असम, मेघालय, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर में कांग्रेस की सरकार थी. जबकि त्रिपुरा में सीपीआई(एम) और सिक्किम में एसडीएफ की सरकार थी और नगालैंड में एनपीएफ का राज था, लेकिन 2016 से सरकारें बदलने का जो सिलसिला शुरु हुआ ,उसने 2019 आते-आते पूरी तरह से पूर्वोत्तर का सियासी नक्शा ही बदलकर रख दिया. बीजेपी ने कांग्रेस-लेफ्ट के समीकरण को ध्वस्त करके रख दिया. देखते ही देखते आठ में से सात राज्यों में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों ने सरकार बना ली, जिसके बारे में कांग्रेस या वाम दलों ने कभी सोचा भी नहीं था. 

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पूर्वोत्तर में कुल 26 लोकसभा सीट
पूर्वोत्तर के आठ राज्यों में कुल 26 लोकसभा सीटें आती हैं, जिनमें से 2014 के चुनाव में बीजेपी को महज 8 सीटों पर जीतने में कामयाबी मिली थी. पांच साल के बाद 2019 के चुनाव में बीजेपी इस आंकड़े को बढ़ाने में सफल रही थी. बीजेपी 15 सीटें जीती थी और एनडीए को 18 सीटें मिली थी. कांग्रेस आठ सीटों से घटकर 4 सीटों पर सिमट गई है. इसके अलावा चार सीटें क्षेत्रीय पार्टियों को मिली थी.  

मोदी सरकार बनने के बाद से पूर्वोत्तर के राज्यों का कायाकल्प हुआ है और अपनी कट्टर हिंदुत्व की छवि होने के बावजूद वहां के लोगों ने बीजेपी के प्रति अपना भरोसा जताया है. बीजेपी पूर्वोत्तर में इतनी ताकतवर हो गई कि असम और त्रिपुरा में उसने अकेले दम पर सरकार बनाई, जबकि मेघालय, नगालैंड, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर में क्षेत्रीय दलों के गठबंधन के साथ केवल मिजोरम में एनपीपी गठबंधन के साथ है. 

बीजेपी पूर्वोत्तर के इलाको पर जिस तरह से फोकस कर रही है और तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव में नतीजे उसके पक्ष में आए हैं, उसके चलते बीजेपी के हौसले बुंलद हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी पूर्वोत्तर में किसी तरह कोई भी गुंजाइश नहीं छोड़ रही है. बीजेपी पूर्वोत्तर में अपने सहयोगी दलों के सहारे क्लीन स्वीप करने के लिए राजनीतिक तानाबाना बुन रही है, जिसमें असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा अहम रोल प्ले कर रहे हैं. ऐसे में देखना है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी पूर्वोत्तर की 26 में से कितनी सीटें जीतने में सफल रहती है? 
 

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