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चिट्ठी विवाद के 4 महीने बाद सीनियर नेताओं की सोनिया संग बैठक कांग्रेस के लिए क्यों अहम?

सोनिया गांधी शनिवार को होने वाली बैठक में कांग्रेस के उन असंतुष्ट नेताओं से भी मुलाकात करेंगी, जिन्होंने चार महीने पहले कांग्रेस अध्यक्ष को चिट्टी लिखकर पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठाए थे. इस चिट्टी के बाद कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में भी जमकर सियासी घमासान मच गया था. यह बैठक कांग्रेस के लिए काफी अहम मानी जा रही है.

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सोनिया गांधी, गुलाम नबी आजाद, राहुल गांधी (फाइल फोटो)
सोनिया गांधी, गुलाम नबी आजाद, राहुल गांधी (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सोनिया गांधी शनिवार को असंतुष्ट नेताओं से मुलाकात करेंगी
  • सोनिया ने पार्टी के शीर्ष नेताओं की बैठक शनिवार को बुलाई
  • कांग्रेस के नए अध्यक्ष के चुनाव को लेकर मंथन करेंगे वरिष्ठ नेता

कांग्रेस के अंदरूनी घमासान को रोकने और पार्टी के नए अध्यक्ष के चुनाव की चुनौतियों का हल निकालने के लिए सोनिया गांधी ने शीर्ष नेताओं की एक बैठक शनिवार को बुलाई है. सोनिया गांधी इस बैठक में पार्टी के उन असंतुष्ट नेताओं से भी मुलाकात करेंगी, जिन्होंने चार महीने पहले कांग्रेस अध्यक्ष को चिट्टी लिखकर पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठाए थे. इस चिट्टी के बाद कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में भी जमकर सियासी घमासान मच गया था. 

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कांग्रेस के अंदर उस वक्त और ज्यादा हालात बिगड़ गए थे, जब चिट्ठी लिखने वाले नेताओं को पार्टी के दूसरे नेताओं ने निशाने पर ले लिया था. इस बाद आरोप-प्रत्यारोप दोनों खेमे की ओर से लगाए जाने लगे थे. ऐसे में सोनिया गांधी के द्वारा बुलाई गई यह बैठक कांग्रेस के नए अध्यक्ष के चुनाव और पार्टी में घमासान को थामने के लिहाज से काफी अहम मानी जा रही है. इसके अलावा हाल ही में कांग्रेस का प्रदर्शन निकाय चुनाव में काफी खराब रहा है और देश के पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव सिर पर हैं, जहां पार्टी के वजूद को बचाए रखने की चुनौती है.

कमलनाथ ने की थी सोनिया से मुलाकात

बता दें कि हाल ही में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की थी. माना जा रहा है कि कमलनाथ ने मिलकर कांग्रेस अध्यक्ष को सलाह दी थी कि उन्हें खुद पार्टी के उन  असंतुष्ट वरिष्ठ नेताओं से मिलना और उनकी नाराजगी दूर करनी चाहिए, क्योंकि ये सभी पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं और उनका अपना राजनीतिक कद है. इसी तरह से कमलनाथ ने बागी नेताओं और सोनिया की इस बैठक को करवाने में अहम भूमिका निभाई है. 

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कुछ नेताओं से मिलेंगी सोनिया

हालांकि, सोनिया गांधी के आवास दस जनपथ पर शनिवार को होने वाली बैठक में चिट्ठी लिखने वाले सारे 23 नेता बैठक में शामिल नहीं होंगे बल्कि पांच से छह नेताओं से कांग्रेस अध्यक्ष मिलेंगी. इसके अलावा कांग्रेस के बाकी वरिष्ठ नेता इस बैठक में शामिल हों, जिनमें सबसे प्रमुख एजेंडा कांग्रेस के नए अध्यक्ष को लेकर है. पार्टी अध्यक्ष का चुनाव जनवरी महीने के अंत तक होना है, जिसकी पुष्टि पार्टी के कई नेता सार्वजनिक रूप से कर चुके हैं. 

माना जा रहा है कि सोनिया इस बैठक में पार्टी से नाराज चल रहे वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात और बातचीत करेंगी ताकि आपसी गिले-शिकवे मिटाकर पार्टी को आगे की दिशा में बढ़ाया जा सके. कांग्रेस में एक गुट राहुल गांधी को दोबारा से अध्यक्ष बनाने की मांग कर रहा है और आम सहमति के जरिए. पार्टी का दूसरा गुट गांधी परिवार से बाहर किसी को पार्टी अध्यक्ष बनाने की बात कर रहा है. इतना ही नहीं, अध्यक्ष के साथ कांग्रेस संगठन के लिए चुनावी प्रक्रिया आजमाने की बात कर रहे हैं. 

निराशाजनक रहा पार्टी का प्रदर्शन

दरअसल, मौजूदा समय में पहले पार्टी नेताओं के बीच घमासान और फिर बिहार विधानसभा चुनाव और हैदराबाद, गोवा, केरल व राजस्थान के निकाय चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन काफी निराशजनक रहा है. वहीं, पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में अगले साल शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने हैं. इन पांचों राज्यों में कांग्रेस के लिए अपना वजूद को बचाए रखने की चुनौती है. 

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केरल में कांग्रेस सत्ता की वापसी की राह देख रही थी, लेकिन निकाय चुनाव में मिली हार के बाद से पार्टी के लिए गंभीर चुनौती बन गई है. केरल के वायनाड से ही राहुल गांधी सांसद हैं, जिससे चलते उनकी भी प्रतिष्ठा दांव पर है.

ऐसे ही असम में कांग्रेस का चेहरा रहे तरुण गोगोई का निधन हो गया है, जिसके बाद पार्टी के सामने संकट है कि किसे आगे कर चुनावी मैदान में उतरे. इसके अलावा बंगाल में कांग्रेस की सियासी जमीन पर बीजेपी ने कब्जा कर लिया है और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस महज एक सीट ही पा सकी थी. 

ऐसे समय में कांग्रेस की बैठक काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है. हालांकि, देखना होगा कि असंतुष्ट नेताओं की सोनिया गांधी से मुलाकात में क्या कोई रास्ता निकल सकता है. क्या पार्टी लगातार मिल रही हार पर गंभीर चिंतन कर किसी नतीजे पर पहुंच सकेगी? 


 

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