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राज्यसभा में विपक्षी दल एकजुट हों, कृषि बिलों को हराएं, किसान यही चाहते हैं: केजरीवाल

दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने भी कृषि बिलों का विरोध किया है और इनके खिलाफ राज्यसभा में गैर बीजेपी दलों से वोट करने का आह्वान किया है.

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दिल्ली के सीएम और आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल (फोटो-PTI)
दिल्ली के सीएम और आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल (फोटो-PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कृषि बिल के विरोध में उतरे केजरीवाल
  • विपक्षी दलों से एकजुट होने का आह्वान
  • राज्यसभा में पेश किए गए दो कृषि बिल

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020 और कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020 आज राज्यसभा में पेश कर दिया. उन्होंने कहा कि ये बिल किसानों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाले हैं. लेकिन वहीं विपक्षी दल इन विधेयकों का विरोध कर रहे हैं. 

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दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने भी कृषि बिलों का विरोध किया है और इनके खिलाफ राज्यसभा में गैर बीजेपी दलों से वोट करने का आह्वान किया है. अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया, 'आज पूरे देश के किसानों की नजर राज्य सभा पर है. राज्य सभा में भाजपा अल्पमत में है. मेरी सभी ग़ैर भाजपा पार्टियों से अपील है कि सब मिलकर इन तीनों बिलों को हरायें, यही देश का किसान चाहता है.'

 

अरविंद केजरीवाल से पहले यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीम मायावती ने भी कृषि बिलों के खिलाफ विरोध जताया था. मायावती ने कहा था कि लोकसभा में किसानों से जुड़े दो बिल, उनकी सभी शंकाओं को दूर किए बिना ही पास कर दिए गए हैं. उससे बसपा कतई भी सहमत नहीं है. पूरे देश का किसान क्या चाहता है? इस ओर केंद्र सरकार जरूर ध्यान दे तो यह बेहतर होगा.

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वहीं तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने राज्यसभा में कृषि बिलों का विरोध किया. उन्होंने कहा कि एनडीए सरकार 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का वादा करती है. लेकिन मैं बता दूं कि किसानों की आय 2028 तक दोगुनी नहीं हो सकती है. ये सरकार सिर्फ वादा करती है. दो करोड़ नौकरी कहां हैं?

कांग्रेस के सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस बिल का विरोध करती है. पंजाब और हरियाणा के किसानों का मानना ​​है कि ये बिल उनकी आत्मा पर हमला है. इन विधेयकों पर सहमति किसानों के डेथ वारंट पर हस्ताक्षर करने जैसा है. किसान एपीएमसी और एमएसपी में बदलाव के खिलाफ हैं.


 

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