मॉनसून सत्र के दौरान राज्यसभा में कुपोषित बच्चों को लेकर अहम जानकारी दी गई है. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से बताया गया कि देश में 9.3 लाख (6 महीने से 6 साल के बीच) से अधिक 'गंभीर कुपोषित' बच्चों की पहचान की गई है. इसमें उत्तर प्रदेश से करीब 4 लाख बच्चे हैं.
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि ICSD-RRS पोर्टल (30 नवंबर, 2020 तक) के अनुसार, देश में 9,27,606 गंभीर रूप से कुपोषित (SAM) बच्चों (6 महीने से 6 वर्ष) की पहचान की गई है, जिनमें से 3, 98,359 उत्तर प्रदेश से हैं.
इतने करोड़ रुपये जारी किए गए
उन्होंने कहा कि Integrated Child Development Services के तहत 6 माह से 6 वर्ष के आयु वर्ग के गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों को पूरक पोषाहार प्रदान किया जाता है. कुपोषण को कम करने के उद्देश्य से मंत्रालय ने 2017-18 से 2020-21 तक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 5,312.7 करोड़ रुपये जारी किए हैं, जिसमें से 31 मार्च तक 2,985.5 करोड़ रुपये का उपयोग किया गया है.
ये है टारगेट
पोषण अभियान के तहत वर्ष 2022 तक 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के स्टंटिंग को 38.4% से 25% तक कम करने का लक्ष्य है. कुपोषण के विषय से संबंधित एक अन्य प्रश्न पर मंत्रालय ने बताया कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 (2015-16) के अनुसार, पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अल्पपोषण की व्यापकता 22.9% थी, जो अब (20.2%) हो गई है.
इसके अलावा मंत्रालय ने वास्तविक समय की निगरानी के लिए आईसीटी आधारित एप्लिकेशन पोशन ट्रैकर के माध्यम से गुणवत्ता डेटा संग्रह की दिशा में प्रयास शुरू किए हैं.