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कृषि संबंधी बिल लोकसभा से पास, विपक्ष का विरोध और हरसिमरत का इस्तीफा बेअसर

बिल के फायदे गिनाते हुए नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि ये विधेयक खेती को मुनाफे में लाने वाले, किसानों को आजादी दिलाने वाले हैं. इस विधेयक से किसानों को अपनी उपज किसी भी स्थान से किसी भी व्यक्ति को बेचने का अधिकार होगा.

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नरेंद्र सिंह तोमर और पीएम मोदी (फोटो- PTI)
नरेंद्र सिंह तोमर और पीएम मोदी (फोटो- PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कृषि से संबंधित दो बिल लोकसभा से पास
  • शिरोमणि अकाली दल ने किया विरोध
  • हरसिमरत कौर बादल ने दिया इस्तीफा

विपक्ष और सहयोगी शिरोमणि अकाली दल के विरोध के बीच कृषि से संबंधित दो बिल को लोकसभा से पास कराने में मोदी सरकार को सफलता मिली है. कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य विधेयक, 2020 और कृषक कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020 गुरुवार को निचले सदन से पारित हो गया. हालांकि, सरकार को नुकसान भी उठाना पड़ा है. शिरोमणि अकाली दल के कोटे से मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है. वह केंद्रीय खाद्य एवं प्रसंस्करण उद्योग मंत्री थीं. 

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कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि मोदी सरकार ने कृषि क्षेत्र के लिए सबसे बड़ा बजटीय आवंटन किया है. उन्होंने कहा कि साल 2009-10 में यूपीए सरकार के दौरान कृषि मंत्रालय का बजट 1200 करोड़ रुपये था और अब प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में इसे बढ़ा कर 1,34,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है. 

बिल के फायदे गिनाते हुए नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि ये विधेयक खेती को मुनाफे में लाने वाले, किसानों को आजादी दिलाने वाले हैं. इस विधेयक से किसानों को अपनी उपज किसी भी स्थान से किसी भी व्यक्ति को बेचने का अधिकार होगा. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इससे निजी निवेश गांव तक पहुंचेगा और रोजगार बढ़ेगा. किसान अच्छी फसलों की तरफ आकृषित होगा. कृषि निर्यात को बढ़ावा मिलेगा. 

शिरोमणि अकाली दल ने किया विरोध

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शिरोमणि अकाली दल शुरू से ही बिल का विरोध कर रही है. सांसद सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि हम इस बिल का विरोध करते हैं. इससे 20 लाख किसानों पर असर पड़ेगा. आजादी के बाद हर राज्य ने अपनी योजना बनाई. पंजाब की सरकार ने पिछले 50 साल खेती को लेकर कई काम किए. पंजाब में किसान खेती को अपना बच्चा समझता है. पंजाब अपना पानी देशवासी को कुर्बान कर देता है.

सुखबीर बादल ने कहा कि हमारी पार्टी किसानों की पार्टी है. किसानों के लिए बड़ी लड़ाइयां लड़ी है. बिल में बहुत सारे ऐसे बिन्दु हैं जिसमें बदलाव करना चाहिए. हमारी पार्टी किसानों के साथ है. उन्होंने कहा कि हमने नरेंद्र सिंह तोमर को शंकाएं दूर करने को कहा था, लेकिन हमारी बात सुनी गई. 

वहीं, हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि मैंने किसान विरोधी अध्यादेशों और कानून के विरोध में केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है. किसानों के साथ उनकी बेटी और बहन के रूप में खड़े होने का गर्व है. 

सपा के एसटी हसन ने कहा कि यह बात कई दिन से सुन रहे हैं कि किसान की आय दोगुनी होगी, लेकिन जब उसके हाथ में कुछ नहीं है तो आमदनी दोगुनी कैसे होगी. हसन ने कहा कि सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है लेकिन उसे यह भी जवाब देना चाहिए कि किसान आत्महत्या क्यों कर रहे हैं.

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जनता दल(यू) के संतोष कुमार ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि इस विधेयक को लेकर जो आशंकाएं जताई जा रही हैं वो निराधार हैं. उन्होंने कहा कि किसानों के लिए यह एक तोहफा है और उनकी तकदीर बदलने वाला है. वहीं, बीजेपी के वी राघवेंद्र ने कहा कि यह विधेयक किसानों को आत्मसम्मान दिलाने वाला साबित होगा. 

कांग्रेस ने किया प्रदर्शन

विधेयक के खिलाफ कांग्रेस ने संसद भवन में गांधी स्टैचू पर धरना दिया.  कांग्रेस सांसदों का कहना है कि यह काला कानून है. किसान के पेट पर लात मारने वाला कानून है. इससे किसान को नुकसान होगा. किसान हमारा अन्नदाता है, हमारा पेट भरता है. लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि मोदी सरकार किसान विरोधी सरकार है. समय-समय पर वह ऐसे काले कानून लाकर जनता के पेट पर लात मारती रहती है. अब किसानों के साथ धोखा किया गया है. किसानों को उनकी फसलों के उचित दाम नहीं मिलेंगे. यह तो हम कभी बर्दाश्त नहीं कर सकते.

कांग्रेस का कहना है कि इन तीनों बिलों में कहीं भी एमएसपी की गारंटी नहीं दी गई है. मंडी कुछ बड़े लोगों के कब्जे में होगी और अपनी मनमर्जी से वह फसलों के दाम तय करेंगे और किसान मारा जाएगा. बीजेपी किसान विरोधी काम कर रही है. जिसको बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. कांग्रेस की ओर से कहा गया कि जहां तक होगा हम इसकी खिलाफत करेंगे. पूरे देश में किसान सड़कों पर है. बीजेपी को किसानों की कोई परवाह नहीं है. 

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