कोरोना वायरस संकट के बीच 14 सितंबर से संसद का मॉनसून सत्र शुरू हो रहा है. इस बार काफी बदलाव हैं और प्रश्नकाल को स्थगित कर दिया गया है. विपक्ष की ओर से इसपर काफी विवाद खड़ा किया गया, जिसपर अब सरकार की ओर से मंत्री वीके सिंह ने जवाब दिया है. लगातार कई ट्वीट करते हुए वीके सिंह ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, ऐसे में तथ्यों को जांच लें.
केंद्रीय मंत्री ने लिखा कि COVID-19 के चलते कुछ ऐसे निर्णय लेने पड़े हैं जो अनचाहे हैं लेकिन आवश्यक हैं. जिनको भी लग रहा है कि संसद में प्रश्नकाल को अस्थायी रूप से स्थगित करने से लोकतंत्र की हत्या हो गई है, उनके लिए सामान्य ज्ञान के कुछ प्रश्नोत्तर हैं. मंत्री ने अपने ट्वीट में कई सवाल किए और जवाब रखे.
वीके सिंह द्वारा किए गए ट्वीट...
1. 2015-19 के दौरान संसद में विपक्ष ने प्रश्नकाल का कुल कितना समय हो-हल्ला एवं विघ्न उत्पन्न कर के व्यर्थ किया?
जवाब: 60%
2. क्या प्रश्नकाल का स्थगित होना अभूतपूर्व है?
जवाब: नहीं, अलग-अलग कारणों से ऐसा 1962, 1975, 1976, 1991, 2004 और 2009 में हुआ. 1975 और 1976 में देश में आपातकाल लगा हुआ था, प्रश्नकाल में प्रश्न पूछने के लिए विपक्षी नेता को जेल या अज्ञातवास से बुलाना पड़ता.
3. क्या यह निर्णय एकतरफा है?
जवाब: सर्वदल मंत्रणा के उपरांत यह निर्णय लिया गया है, सिर्फ एक राजनैतिक दल ने आपत्ति जाहिर की.
4. क्या संसद में सरकार से प्रश्न पूछने के अवसर अब समाप्त हो गए?
जवाब: नहीं, अतारांकित प्रश्न, विशेष उल्लेख, ध्यानाकर्षण सूचना, अल्पकालिक चर्चा इत्यादि से सरकार से प्रश्न पूछे जा सकते हैं.
5. इसका विरोध करने वाले अपने राज्य में विधानसभा का संचालन कैसे कर रहे हैं?
जवाब: केरल-कोई प्रश्नकाल नहीं, राजस्थान-4 दिन विधानसभा चली, कोई प्रश्नकाल या शून्यकाल नहीं. 13 विधेयक बिना पर्याप्त चर्चा के पारित महाराष्ट्र, 2 दिन का सत्र प्रस्तावित है लेकिन कोई प्रश्नकाल या शून्यकाल नहीं.
अंत में वीके सिंह ने लिखा कि तर्क और तथ्य, पहले इस्तेमाल करें, फिर विश्वास करें. बता दें कि विपक्ष के विरोध के बाद सरकार की ओर से सदन में लिखित सवाल-जवाब की मंजूरी दी गई है.