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संसद का शीतकालीन सत्र समाप्त, लोकसभा में 82 तो राज्यसभा में 48 प्रतिशत हुआ कामकाज

संसद का शीतकालीन सत्र (Parliament winter session) का आज 18वां और अंतिम दिन रहा. लोकसभा में स्पीकर ओम बिरला ने शीतकालीन सत्र के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि हंगामे की वजह से 18 घंटे, 48 मिनट बर्बाद हुए. वहीं राज्यसभा के अध्यक्ष वेंकैया नायडू ने भी सदन के कामकाज पर अपनी चिंता और नाराज़गी व्यक्त की.

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शीतकालीन सत्र का आज आखिरी दिन रहा
शीतकालीन सत्र का आज आखिरी दिन रहा
स्टोरी हाइलाइट्स
  • हंगामे की वजह से लोकसभा में 18 घंटे, 48 मिनट बर्बाद हुए
  • व्यवधानों और स्थगन से राज्यसभा में खराब हुए 49 घंटे 32 मिनट

संसद के शीतकालीन सत्र का आज 18वां और अंतिम दिन रहा. संसद के एजेंडे में बहुत सी चर्चाएं और सवाल जवाब होने थे. लेकिन लोकसभा और राज्यसभा में कामकाज शुरू नहीं किया गया. लोकसभा में स्पीकर ओम बिरला ने शीतकालीन सत्र के बारे में विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने इस सत्र के कामकाज का ब्यौरा देते हुए यह भी बताया कि हंगामे की वजह से 18 घंटे, 48 मिनट बर्बाद हुए. राज्यसभा में भी कामकाज की शुरुआत होने से पहले ही सभापति वेंकैया नायडू ने कार्यवाही रोक दी. वंदेमातरम के बाद, दोनों ही सदन अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिए गए.

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लोकसभा में कैसा रहा कामकाज

शीतकालीन सत्र की शुरुआत 29 नवंबर 2021 को हुई थी. सत्र के दौरान 18 बैठक की गईं यानी सत्र 18 दिन तक चला. सत्र के शुरुआत में 3 सदस्यों ने 29 और 30 नवंबर को शपथ ली थी. इस सत्र में कई वित्तीय और विधायिक कार्य किए गए. लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने जानकारी दी कि-

इस सत्र में 12 सरकारी विधेयक पुरः स्थापित किए गए और 9 विधेयक पारित हुए. जो बिल पास किए गए उनमें- कृषि विधि निर्सन विधेयक 2021, द नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (संशोधन) बिल 2021, केंद्रीय सतर्कता आयोग संशोधन विधेयक 2021, दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना संशोधन विधेयक 2021, निर्वाचन विधि संशोधन विधेयक 2021 शामिल थे.

पूरे सत्र में लोकसभा का कामकाज 82 प्रतिशत रहा

20 दिसंबर को अनुपूरक अनुदान मांगों 2021-22 के दूसरे बैच पर चर्चा और मतदान 4 घंटे 49 मिनट तक चला. सत्र के दौरान 91 प्रश्नों के मौखिक उत्तर दिए गए. सदस्यों ने नियम 377 के अधीन 344 लोकहित के विषय सदम में प्रस्तुत किए. शून्य काल के दौरान अविलंब लोक मत के 563 मामलों को उठाया गया. 9 दिसंबर 2021 को सदन में 62 सदस्यों ने देर तक बैठकर शून्यकाल के दौरान विशेष मामले सभा में रखे, इनमें से 29 महिला सदस्य थीं जिन्होंने अपने विचार व्यक्त किए.

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सत्र को दैरान संसदीय समितियों और सभा में 44 प्रतिवेदन प्रस्तुत किए गए. मंत्रियों द्वारा महत्वपूर्ण विषयों पर 50 वक्तव्य दिए गए, जिसमें संसदीय राज्य मंत्रियों द्वारा सरकारी कामकाज से संबंधित 3 वक्तव्य शामिल हैं. इस सत्र के दौरान मंत्रियों ने 2658 पत्रों को सभा पटल पर रखा.

सभा में काविड-19 और जलवायु परिवर्तन को लेकर अल्पकालिक चर्चाएं की गईं. हालांकि, जलवायु परिवर्तन पर चर्चा पूरी नहीं हो सकी. कोरोना महामारी पर 12 घंटे 26 मिनट तक चर्चा की गई, जिसमें 99 सदस्यों ने भाग लिया. जलवायु परिवर्तन पर अभी तक 61 सदस्यों ने अपने विचार रखे. चर्चा 6 घंटे 26 मिनट तक चली. 3 दिसंबर 2021 को गैरसरकारी सदस्यों ने अलग-अलग 145 विधेयक पुनर्स्थापित किए गए.

2 दिसंबर 2021 को सभा का कार्यनिष्पादन 204 प्रतिशत रहा. जबकि पूरे सत्र का कामकाज 82 प्रतिशत रहा. इस सत्र में 18 घंटे 48 मिनट का समय वयवधान के कारण व्यर्थ हुआ. स्पीकर ओम बिरला ने संसदीय कार्यवाही पूरी करने के लिए सभी का आभार व्यक्त किया. उन्होंने वंदेमातरम के बाद सदन को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया. 

राज्यसभा में कैसी रही कार्यवाही

राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने भी संपन्न हुए शीतकालीन सत्र के दौरान सदन के कामकाज पर अपनी चिंता और नाराज़गी व्यक्त की. उन्होंने कहा, 'सदन का शीतकालीन सत्र आज समाप्त हो गया. मुझे आपको यह बताते हुए खुशी नहीं हो रही है कि सदन ने इस बार अपनी क्षमता से बहुत कम काम किया. मैंने आप सभी से सामूहिक और व्यक्तिगत रूप से चिंतन करने और आत्मनिरीक्षण करने का आग्रह करता हूं कि क्या यह सत्र अलग और बेहतर हो सकता था.' 

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उन्होंने कहा, 'मैं इस सत्र पर ज़्यादा बोलना नहीं चाहता क्योंकि इससे मेरा दृष्टिकोण बहुत ही आलोचनात्मक हो जाएगा. इस सत्र के दौरान सदन के कामकाज के अलग-अलग पहलुओं से संबंधित आंकड़े और जानकारी मीडिया को जारी कर दी जाएगी.' 

राज्य सभा के काम काज से खुश नहीं वेंकैया नायडू

उन्होंने आगे कहा कि शीतकालीन सत्र की 18 बैठकें हुईं, जिसमें राज्यसभा में केवल  47.90 प्रतिशत काम हुआ. इन बैठकों के लिए कुल 95 घंटे 6 मिनट का समय निर्धारित था, लेकिन सदन केवल 45 घंटे 34 मिनट ही काम कर सका. व्यवधानों और स्थगन के कारण कुल 49 घंटे 32 मिनट का समय खराब हुआ, जो उपलब्ध समय का 52.08% है.

राज्यसभा द्वारा शीतकालीन सत्र के दौरान 10 विधेयकों को पारित किया गया, जबकि विनियोग विधेयक पर आज अंतिम दिन होने वाली चर्चा नहीं हो सकी. विनियोग विधेयक सहित सरकारी विधेयकों पर चर्चा करने में कुल 21 घंटे 7 मिनट का समय लगा, जो सदन के कामकाज के समय का 46.50% है. 

 

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