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पशुपति-चिराग से शरद पवार-अजित तक... जानें चाचा-भतीजे की सियासी लड़ाई में कौन पड़ा किस पर भारी

पशुपति पारस और चिराग पासवान जब एनडीए की बैठक में आमने-सामने पड़े, भतीजे ने चाचा के पैर छू लिए. चाचा ने भी भतीजे को गले लगाया. बीजेपी दोनों की पार्टियों का विलय कराने की कोशिश में है. पशुपति-चिराग से शरद पवार और अजित पवार तक, चाचा-भतीजे की सियासी लड़ाई में कौन किस पर भारी पड़ा?

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चाचा-भतीजे की जंग में कौन पड़ा किस पर भारी
चाचा-भतीजे की जंग में कौन पड़ा किस पर भारी

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की बैठक में लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान और राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष पशुपति पारस का आमना-सामना हुआ. रामविलास पासवान की बनाई लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के दो हिस्से हो जाने के दो साल बाद जब चाचा-भतीजे का आमना-सामना हुआ तो भतीजे ने चाचा के पैर छू लिए तो चाचा ने भी उठाकर गले से लगा लिया. चाचा-भतीजे के मिलन की तस्वीरों ने एलजेपी में बगावत और चाचा-भतीजे के बीच सियासी अदावत के मामलों की याद दिला दी.

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पशुपति पारस-चिराग पासवान, शरद पवार-अजीत पवार, गोपीनाथ मुंडे-धनंजय मुंडे, शिवपाल यादव-अखिलेश यादव, बाल ठाकरे-राज ठाकरे और केसीआर-हरीश राव. देश के अलग-अलग प्रदेशों की राजनीति के ये वो नाम हैं जिन्होंने भले ही सियासी पारी आगे पीछे शुरू की हो, कई सालों तक साथ रहे हों लेकिन जैसे ही सियासी विरासत बेटे या बेटी को देने की बात आई, नाराज भतीजों ने बगावत की राह पकड़ ली.

कुछ भतीजों ने अलग पार्टी बना ली तो कुछ ने दूसरे दलों का दामन थाम लिया. कुछ भतीजे ऐसे भी हैं जिन्होंने मान-मनौव्वल के बाद चाचा का फैसला स्वीकार किया और मूल पार्टी में ही बने रहे. पिछले दो दशकों में चाचा-भतीजे की सियासी लड़ाई के कई मामले सामने आए हैं. चाचा-भतीजे के बीच विरासत की जंग में कौन किस पर भारी रहा?

बिहार- पशुपति पारस बनाम चिराग पासवान

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रामविलास पासवान के निधन के बाद लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख चिराग की नीतीश से ठन गई. चिराग ने एनडीए में अपने सहयोगी नीतीश के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. 2020 के बिहार चुनाव में चिराग ने जेडीयू के खिलाफ उम्मीदवार उतार दिए और जब परिणाम आए, नीतीश की पार्टी सीटों के लिहाज से आरजेडी और बीजेपी के बाद तीसरे नंबर पर जा चुकी थी.

नीतीश से अदावत एलजेपी को भारी पड़ी और उसे एनडीए से बाहर आना पड़ा. रामविलास पासवान के छोटे भाई पशुपति पारस ने छह में से पांच सदस्यों के समर्थन से चिराग को लोकसभा में पार्टी के नेता, संसदीय दल के अध्यक्ष पद से हटा दिया. चिराग को अध्यक्ष पद से हटाकर पशुपति पारस खुद अध्यक्ष बन बैठे. मामला चुनाव आयोग तक भी गया.

पशुपति पारस एनडीए में शामिल हो गए और केंद्र में मंत्री भी बन गए. इधर नीतीश एनडीए छोड़कर महागठबंधन में चले गए. नीतीश कुमार और बीजेपी के बीच बढ़ती दूरियों का फायदा चिराग पासवान ने उठाया और बीजेपी के करीब आते गए. अब चाचा और भतीजा, दोनों ही एक ही गठबंधन में आ चुके हैं और बीजेपी दोनों की पार्टियों का विलय कराने की कोशिश में है.

उत्तर-प्रदेश- शिवपाल यादव बनाम अखिलेश यादव

साल 2012 के यूपी चुनाव में समाजवादी पार्टी को पूर्ण बहुमत मिला और मुलायम सिंह यादव ने मुख्यमंत्री पद के लिए बेटे अखिलेश का नाम आगे बढ़ा दिया. शिवपाल यादव ने इसका सीधे विरोध नहीं किया लेकिन ये भी कहते रहे कि कम से कम लोकसभा चुनाव तक मुलायम को ही सीएम बनना चाहिए. 2017 आते-आते चाचा-भतीजे के बीच दूरियां इतनी बढ़ गईं कि अखिलेश ने अपने पिता को ही राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटा दिया. अखिलेश खुद अध्यक्ष बन बैठे. लड़ाई चुनाव आयोग तक पहुंची और अखिलेश वहां भी शिवपाल पर भारी पड़े. शिवपाल यादव ने अलग पार्टी बनाई. हालांकि, अब दोनों फिर से सपा के बैनर तले साथ आ चुके हैं.

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महाराष्ट्र- बाल ठाकरे बनाम राज ठाकरे

बाल ठाकरे के बाद सियासी वारिस कौन होगा? उद्धव राजनीति से दूर थे तो राज ठाकरे में शिवसेना के समर्थकों को बाल ठाकरे की झलक नजर आती थी. बाल ठाकरे ने उद्धव ठाकरे को शिवसेना का कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर ये साफ कर दिया कि बेटा ही उनका सियासी वारिस होगा. राज ठाकरे ने इसके बाद 2005 में शिवसेना छोड़ दी और 2006 में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना नाम से अपनी अलग पार्टी बना ली. शिवसेना के मामले में चाचा, भतीजे पर भारी पड़ गए.

महाराष्ट्र- गोपीनाथ मुंडे बनाम धनंजय मुंडे

बीजेपी नेता गोपीनाथ मुंडे रिश्ते में प्रमोद महाजन के बहनोई थे. गोपीनाथ मुंडे ने अपनी राजनीतिक विरासत बेटियों प्रीतम और पंकजा को सौंपने के संकेत क्या दिए, भतीजे धनंजय मुंडे ने अपनी राहें अलग कर लीं. धनंजय मुंडे ने बीजेपी छोड़कर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) जॉइन कर ली. धनंजय महा विकास अघाड़ी की सरकार में मंत्री भी रहे और अब अजित पवार के साथ एनडीए की सरकार में मंत्री हैं.

महाराष्ट्र- अजीत पवार बनाम शरद पवार

शरद पवार ने पहले इस्तीफा देकर पार्टी में अपनी ताकत दिखाई उसके बाद बेटी को कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया. अजित पवार पार्टी में अपने लिए बड़ी भूमिका चाह रहे थे और दूसरी तरफ शरद पवार कुछ और ही सोच रहे थे. अजित पवार ने चाचा से बगावत कर दी और एनडीए के साथ चले गए. अजित ने शरद पवार को एनसीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से भी हटा दिया. चाचा-भतीजे की ये लड़ाई अब चुनाव आयोग की चौखट पर है.

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तेलंगाना- केसीआर बनाम हरीश राव

तेलंगाना के मुख्यमंत्री और भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) प्रमुख केसीआर के परिवार में भी बगावत के बीज तो पनपे लेकिन आकार नहीं ले पाए. केसीआर ने अपने बेटे एनटी रामाराव को सियासी वारिस के रूप में प्रोजेक्ट कर दिया तो भतीजे हरीश राव नाराज हो गए. केसीआर ने हालात संभाल लिए और हरीश को वित्त जैसा भारी-भरकम विभाग देकर किसी तरह मना लिया.

 

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