पश्चिम बंगाल चुनाव में इस बार एक प्रमुख मुद्दा महापुरुषों की विरासत से जुड़ा हुआ भी है. बंगाल में चुनाव लड़ रहीं बड़ी पार्टियां बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस, दोनों ही बंगाली अस्मिता और संस्कृति से जुड़ाव दिखाने की मुहिम में महापुरुषों से खुद को जोड़कर दिखाने की कवायद में जुटी हुई है. इसी कड़ी में अब श्यामा प्रसाद मुखर्जी का नाम भी जुड़ रहा है. मंगलवार के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आईआईटी खड़गपुर में श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर एक रिसर्च इंस्टीट्यूट की घोषणा की है.
पीएम मोदी की इस घोषणा के विरोध में वाम मोर्चा ने आईआईटी खड़गपुर के सामने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है. वाम मोर्चा का कहना है कि प्रधानमंत्री शिक्षण संस्थानों का राजनीतिकरण कर रहे हैं.
विवेकानंद-बोस को लेकर भी है खींचतान
पश्चिम बंगाल चुनाव में एक के बाद एक महापुरुषों की विरासत को लेकर लड़ाई देखने को मिल रही है. चुनाव से पहले बोलपुर में रविंद्र नाथ ठाकुर की विरासत से शुरू हुई लड़ाई, अब बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय से खुद को जोड़ने की पर पहुंच चुकी है. इस राजनीतिक लड़ाई में स्वामी विवेकानंद और नेताजी सुभाष चंद्र बोस को लेकर दोनों पार्टियों में खींचतान पहले ही शुरू हो चुकी है और दोनों ने ही साबित करने की कोशिश की है कि हम इनके ज्यादा करीब हैं और जुड़े हुए हैं.
बता दें कि सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आरोप लगाया था कि ममता सरकार ने हुगली में बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय के वंदे मातरम भवन का रखरखाव ठीक से नहीं किया है. गौरतलब है कि हुगली के वंदे मातरम भवन में रहने के दौरान ही बंकिम चंद्र ने वंदे मातरम की रचना की थी.
ये है महापुरुषों को याद करने की असल वजह
बीजेपी ये मुद्दा आसानी से छोड़ने वाली भी नहीं है. अब 25 फरवरी को चुनाव प्रचार पर आ रहे बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, उत्तर 24 परगना में बंकिम चंद्र के घर जाएंगे और मंगल पांडे को भी नमन करेगें. दरअसल, महापुरुषों की विरासत से खुद को जोड़ने के पीछे बंगाल के वोटर्स से जुड़ना है. इस बार के चुनाव में बंगाली अस्मिता, बंगाली संस्कृति, बंगाली भाषा मुख्य मुद्दा है. यही वजह है कि हर पार्टी बंगाल के महापुरुषों से खुद को जोड़ कर दिखाने के प्रयास में जुटी हुई है.