देश में जनसंख्या नियंत्रण (Population control) को लेकर बहस चल रही है. उत्तर प्रदेश सरकार दो बच्चों की नीति (Two child policy) को प्रोत्साहन देने के लिए कानून बनाने पर विचार कर रही है. इस बाबत यूपी सरकार ने इस बिल का मसौदा भी तैयार कर लिया है. लेकिन जनसंख्या नियंत्रण के इस शोर के बीच भारत सरकार ने स्पष्ट कहा है कि उसकी टू चाइल्ड पॉलिसी लाने की कोई मंशा नहीं है.
शुक्रवार को होशंगाबाद से बीजेपी सांसद उदय प्रताप सिंह द्वारा पूछे गए एक लिखित सवाल कि क्या सरकार दो बच्चों की नीति लाने पर विचार कर रही है, के जवाब में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्यमंत्री डॉ भारती पवार ने कहा कि ऐसा कोई विचार केंद्र सरकार का नहीं है.
एक परिवार औसतन 1.8 बच्चे चाहता है
अपने जवाब को विस्तार से बताते हुए डॉ भारती ने कहा कि नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-IV के अनुसार भारत में प्रजनन दर गिरकर 1.8 फीसदी हो गया है. इसका ये अर्थ है कि भारत में औसतन एक पति-पत्नी 1.8 बच्चे ही चाहते हैं. इसके अलावा डॉ भारती पवार ने कहा कि भारत परिवार नियोजन में किसी भी तरह के दबाव के बिल्कुल पक्ष में नहीं है.
परिवार नियोजन के लिए दबाव का विपरित असर
फिलहाल टू चाइल्ड पॉलिसी न लागू करने के पीछे का तर्क देते हुए डॉ पवार ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय अनुभवों से पता चलता है कि परिवार नियोजन में किसी तरह का दबाव या सीमित संख्या में बच्चे पैदा करने का आदेश हानिकारक सिद्ध हुआ है और इससे लिंग के आधार पर गर्भपात, बच्चियों को लावारिश छोड़ देने की घटनाएं, नवजात कन्याओं की हत्या जैसी घटनाएं बढ़ी है. क्योंकि हमारे समाज में बेटों को लेकर जबर्दस्त पूर्वाग्रह है. इन सभी वजहों का असर ये होता है समाज में सेक्स अनुपात बिगड़ जाता है.
केंद्रीय मंत्री डॉ भारती पवार ने कहा कि केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश जैसे राज्य और दूसरे केंद्र शासित प्रदेश सफलतापूर्वक प्रजनन दर को कम करने में सफल रहे है. इन राज्यों ने परिवार नियोजन के लिए समग्र दृष्टिकोण अपनाया और जनसंख्या नियंत्रण के लिए परिवारों पर किसी तरह का दबाव नहीं डाला.