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2029 की पटकथा या कोई नया सियासी संदेश... क्या हैं पीएम मोदी के संघ मुख्यालय पहुंचने के मायने?

संघ से पीएम मोदी का दिलों का रिश्ता है, ये दशकों पुराना है. ये सफर 1972 में शुरू हुआ था. 1972 में नरेंद्र मोदी RSS में शामिल हुए थे. प्रचारक बने. फिर RSS के जरिए बीजेपी में एंट्री हुई. गुजरात में संगठन की जिम्मेदारी मिली. 2001 में गुजरात के CM बने. RSS का मजबूत समर्थन मिला.

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पीएम मोदी और मोहन भागवत
पीएम मोदी और मोहन भागवत

विचारों के जिस आंगन में पीएम मोदी ने रविवार को कदम रखा, उसी ने जीने की कला सिखाई.  उसी संस्कार से राजनीति की सीख मिली. दिल में राष्ट्रभक्ति की ज्योति जली. देश की खातिर जीने की राह मिली. हिंदू नववर्ष और चैत्र नवरात्रि के पहले दिन बतौर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नागपुर में संघ मुख्यालय का ये पहला दौरा था. इससे पहले जुलाई 2013 में वह लोकसभा चुनाव के सिलसिले में हुई बैठक में शामिल होने नागपुर आए थे.

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सबसे पहले पीएम मोदी ने संघ के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार और दूसरे सरसंघचालक माधव सदाशिव गोलवलकर के स्मारक स्मृति मंदिर पहुंचकर श्रद्धांजलि दी. RSS सिर्फ एक संगठन नहीं, बल्कि पीएम मोदी की राजनीति की आत्मा है. पीएम ने माधव नेत्रालय की नई बिल्डिंग की आधारशिला रखते हुए संघ के कामों की जमकर तारीफ की.

इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि राष्ट्रीय चेतना के लिए जो विचार 100 साल पहले संघ के रूप में बोया गया, वो आज महान वट वृक्ष के रूप में दुनिया के सामने हैं. ये आज भारतीय संस्कृति और राष्ट्रीय चेतना को लगातार ऊर्जावान बना रहा है. स्वयंसेवक के लिए सेवा ही जीवन है. हम देव से देश, राम से राष्ट्र का मंत्र लेकर चल रहे हैं.

दशकों पुराना है संघ से पीएम मोदी का रिश्ता

संघ से पीएम मोदी का दिलों का रिश्ता है, ये दशकों पुराना है. ये सफर 1972 में शुरू हुआ था. 1972 में नरेंद्र मोदी RSS में शामिल हुए थे. प्रचारक बने. फिर RSS के जरिए बीजेपी में एंट्री हुई. गुजरात में संगठन की जिम्मेदारी मिली. 2001 में गुजरात के CM बने. RSS का मजबूत समर्थन मिला.

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नागपुर दौरे के कई मायने निकाले जा रहे

पीएम मोदी जब नागपुर पहुंचे तो सियासत का बाजार भी गरम हो गया. इसके कई मायने निकाले जा रहे हैं. जैसे- क्या ये संघ और बीजेपी के बीच समन्वय बढ़ाने की रणनीति है, क्या 2029 में पीएम मोदी की भूमिका पर संघ की मुहर लगी? हिंदुत्व की सियासत को और धार देने की योजना है? इस मुलाकात का असर क्या दिल्ली की सत्ता में दिखेगा?

'संघ की रणनीति काम आई'

वहीं, महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि पीएम मोदी के साथ बीजेपी ही नहीं, संघ भी चट्टान की तरह हमेशा खड़ा रहा है. संघ की रणनीति लोकसभा चुनाव 2014, 2019 और 2024 में भी काम आई. जिसमें पीएम मोदी ने भारतीय राजनीति के फलक पर नया इतिहास रच दिया.

विपक्ष ने साधा निशाना

हालांकि विपक्ष ने पीएम मोदी के नागपुर दौरे पर निशाना साधा है. पीएम मोदी के इस दौरे को विपक्ष अपने हिसाब से ट्वस्टि दे रहा है. समाजवादी पार्टी के सांसद रामगोपाल यादव ने कहा कि RSS उनका माई बाप है, वहां नहीं जाएंगे तो सुरक्षित नहीं रह सकते. इसलिए जाना जरूरी है. 

संजय राउत ने उठाए सवाल

उद्धव गुट के नेता और सांसद संजय राउत ने पूछा कि पीएम मोदी आरएसएस मुख्यालय क्यों गए? आज ही उन्हें ये एहसास क्यों हुआ? पीएम मोदी लोगों से केवल सत्ता के लिए जुड़ते हैं. उन्होंने कहा कि RSS अपनी पसंद के व्यक्ति को भाजपा का नया अध्यक्ष बनवाना चाहता है. भाजपा और RSS एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. पीएम मोदी ने खुद को आरएसएस को बहुत कुछ दिया है. आरएसएस ने लोकसभा चुनाव में योगदान नहीं दिया, इसलिए भाजपा की सीटों की संख्या कम हुई हैं.

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AAP सांसद संजय सिंह बोले- RSS का इतिहास सवालों के घेरे में

आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि 100 साल में आरएसएस का जो इतिहास है, वह सवालों के घेरे में है. प्रधानमंत्री मोदी को और RSS प्रमुख को ये जवाब देना चाहिए कि पिछले 100 साल में आरएसएस का कोई भी प्रमुख दलित, पिछड़ा और आदिवासी क्यों नहीं बना? 100 साल में आधी आबादी की कोई एक महिला RSS की प्रमुख क्यों नहीं बनी?

नागपुर से निकला संदेश दिल्ली तक गूंजा

नागपुर दौरे पर पीएम मोदी दीक्षा भूमि भी गए. दीक्षा भूमि पहुंचकर पीएम मोदी ने महात्मा बुद्ध की पूजा की.  हालांकि सबसे ज्यादा चर्चा पीएम मोदी के संघ के दरवाजे जाने की है. इसमें कोई शक नहीं कि नागपुर से निकला संदेश दिल्ली तक गूंज रहा है. संघ की छत्रछाया, मोदी की सत्ता यात्रा, क्या ये 2029 की नई पटकथा है? जब संघ और मोदी साथ हों, तो राजनीति की धारा बदलती है,ये इतिहास में कई बार देखा गया है. अब सबकी निगाहें भविष्य पर है तो क्या आने वाले दिनों में पीएम मोदी और संघ मिलकर भारतीय राजनीति की नई तस्वीर तय करेंगे.

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