प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गुरुवार को कश्मीरी नेताओं के साथ होने वाली बैठक जम्मू-कश्मीर के लिए अरसे से बंद दरवाजों को खोलने में मदद कर सकती है. पीएम मोदी जम्मू-कश्मीर के 8 दलों के 14 नेताओं के साथ सीधे संवाद करेंगे. इस बैठक में मुख्य रूप से जम्मू-कश्मीर के उन्हीं नेताओं को आमंत्रित किया है, जिनको काफी समय तक नजरबंद रखा गया था. ऐसे में केंद्र की मोदी सरकार और कश्मीरी नेताओं के रिश्तों में जमी बर्फ पीएम आवास पर होने वाली बैठक के बाद पिघलेगी?
बता दें कि पांच अगस्त, 2019 को केंद्र की मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 को हटाने के साथ ही जम्मू-कश्मीर को राज्य से केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया और लद्दाख को अलग करने का फैसला किया. तब से 707 दिन का वक्त गुजर चुका है. जम्मू-कश्मीर उस समय कमोबेश बंद की गिरफ्त में रहा. इतना ही नहीं सभी बड़े नेताओं को पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया था और वो सभी लंबे समय तक बंद रहे थे.
370 के बाद सलाखों के पीछे गुजरे दिन
पीडीपी की मुखिया महबूबा मुफ्ती करीब 14 महीने के बाद रिहा हुई थीं. नेशनल कॉफ्रेंस के नेता व पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला 232 दिन यानी करीब पौने आठ महीने के बाद रिहा हुए हुए. जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री व नेशनल कॉफ्रेंस के नेता फारुख अब्दुल्ला करीब 6 महीनों तक नजरबंद रहे जबकि सज्जाद लोन एक साल तक गिरफ्त में रहने के बाद रिहा होकर बाहर आए हैं. इसी के बाद इन सभी नेताओं ने जम्मू-कश्मीर की पहचान, स्वायत्ता और विशेष दर्जे के लिए लड़ाई जारी रखने के लिए डॉ. फारूख अब्दुल्ला की अगुवाई में पीपुल्स अलांयस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन का गठन किया.
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के समाप्त किए जाने के बाद श्रीनगर की गुपकार रोड से दिल्ली के लोक कल्याण मार्ग तक के सफर को मंजिल तक पहुंचने में करीब दो साल का वक्त लग गया. कश्मीर के लोगों के आवाज को सुनने के लिए पीएम मोदी ने उन्हें दिल्ली आवास पर बुलाया है. पांच अगस्त 2019 के बाद केंद्र की कश्मीरी नेताओं से यह पहली अहम बातचीत होगी.
पीएम मोदी के आवास पर शामिल होंगे नेता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, पीएमओ मंत्री जितेंद्र सिंह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और उप राज्यपाल मनोज सिन्हा की मौजूदगी में कश्मीर के नेताओं की बैठक होगी. इस बैठक में गुपकार गुट के मुखिया डॉ. फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती, कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद और सज्जाद लोन तो होंगे ही, इनके अलावा अपनी पार्टी के मुखिया अलताफ बुखारी, सीपीएम लीडर मोहम्मद युसूफ तारिगामी, कांग्रेस के जम्मू कश्मीर के अध्यक्ष जी ए मीर, बीजेपी के रवीन्द्र रैना और पैंथर पार्टी के भीम सिंह समेत कई नेता शामिल होंगे.
पीएम आवास पर पर होने वाली बैठक को लेकर किसी एजेंडे का औपचारिक एलान नहीं हुआ है, लेकिन माना जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक प्रक्रिया पर मंथन होगा. इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने, राज्य का परिसीमन और विधानसभा चुनाव करवाने पर भी बात हो सकती है. हालांकि, इस वक्त जम्मू-कश्मीर में विधानसभा और लोकसभा सीटों के परिसीमन काम काम चल रहा है जो मार्च 2022 में पूरा होगा, हो सकता है कि उसके बाद चुनाव कराए जाएं.
केंद्र और कश्मीर नेताओं के बीच सुधरेंगे रिश्ते
केंद्र की मोदी सरकार ने अपनी तैयारी पूरी कर ली है तो कश्मीर के नेताओं ने भी मन बना लिया होगा. इसीलिए दिल्ली उतरते ही महबूबा मुफ्ती ने कह दिया था कि खुले मन से बातचीत करने आई हूं. ऐसे में केंद्र सरकार को इस बात का अहसास कश्मीर के नेता दिला सकें कि वो हिन्दुस्तान के संविधान के दायरे में ही आगे बढ़ना चाहते हैं. वहीं, मोदी सरकार को भी यह भरोसा देना होगा कि कश्मीर में चुनाव प्रक्रिया समेत राजनीतिक स्थिरता की बहाली के लिए वह सभी कदम उठाने के तैयार है.
हालांकि, केंद्र सरकार पिछले काफी समय से जम्मू-कश्मीर के नेताओं से संपर्क में थी. उन नेताओं की रिहाई से ही इस बात का अंदेशा तो हो गया था कि सरकार कुछ कदम आगे बढ़ाने के बारे में सोच रही है और कई बार आगे बढ़ने के लिए यू टर्न भी लेना पड़ता है. ऐसे में सवाल उठता है कि कई महीनों तक हाउस अरेस्ट और तमाम कानूनी धाराओं में उलझे नेताओं को लोक कल्याण मार्ग पर प्रधानमंत्री आवास की खुली हवा रास आएगी या नहीं?