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राम मंदिर, अनुच्छेद 370, लाभार्थी, मोदी की गारंटी... क्या बीजेपी के लिए सेट हो गया है 2024 का एजेंडा?

पांच राज्यों के चुनाव के बाद अब चर्चा लोकसभा चुनाव को लेकर शुरू हो गई है. हालिया सियासी घटनाक्रमों, राज्यों के चुनाव नतीजों के बाद चर्चा ये शुरू हो गई है कि क्या बीजेपी के लिए 2024 चुनाव के लिए एजेंडा सेट हो गया है?

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटोः पीटीआई)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटोः पीटीआई)

पांच राज्यों के चुनाव नतीजों के बाद सरकार गठन की कवायद जारी है. हिंदी बेल्ट के तीन राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को जीत मिली थी. इन तीन में से दो राज्यों मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने सरकार की बागडोर नए चेहरों को सौंप दी है. पार्टी ने छत्तीसगढ़ में आदिवासी तो मध्य प्रदेश में ओबीसी कार्ड चल दिया है. राजस्थान का सीएम कौन होगा? इसे लेकर भी कुछ ही घंटे में तस्वीर साफ हो जाएगी. राज्यों की सरकार के साथ ही चर्चा लोकसभा चुनाव की भी होने लगी है. बात इसे लेकर भी हो रही है कि क्या राम मंदिर, अनुच्छेद 370 के साथ ही मोदी की गारंटी बीजेपी के चुनावी एजेंडे में टॉप पर होगी?

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ऐसा इसलिए भी है क्योंकि हिंदी पट्टी के तीनों ही राज्यों में मोदी की गारंटी वाला दांव काफी सफल रहा. वहीं, जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी आ चुका है. सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले को वैध ठहराया है. संसद के चालू शीतकालीन सत्र में भी ओबीसी आरक्षण के बहाने ही सही, जम्मू कश्मीर चर्चा में है. हाल के विधानसभा चुनाव नतीजे, हाल के सियासी घटनाक्रमों से चर्चा ये भी चलने लगी है कि क्या बीजेपी के लिए 2024 का एजेंडा सेट हो गया है?

2024 चुनाव में क्या हो सकता है बीजेपी का एजेंडा

1. राम मंदिर- बीजेपी की सियासत का आधार रहा है राम मंदिर. अपनी स्थापना के बाद से ही बीजेपी लगभग हर चुनाव में राम मंदिर निर्माण को अपने घोषणा पत्र शामिल करती रही है. बीजेपी के एक नारे की चर्चा भी हर चुनाव में होती रही है- रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे. विरोधी दल इसी नारे के आधार पर 'मंदिर वहीं बनाएंगे, तारीख नहीं बताएंगे' नारे के साथ बीजेपी पर हमला बोलते रहे हैं.

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रामलला जनवरी महीने से विराजेंगे राम मंदिर में (फाइल फोटो)
रामलला जनवरी महीने से विराजेंगे राम मंदिर में (फाइल फोटो)

अब रामलला के मंदिर में विराजमान होने की तारीख भी आ गई है. 22 जनवरी को राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है. लोकसभा चुनाव तब और करीब आ चुके होंगे. राज्यों के चुनाव में बीजेपी ने जिस तरह से राम मंदिर का मुद्दा उठाया है, उससे संकेत यही हैं कि पार्टी इसे लेकर पूरे देश में माहौल बनाने की रणनीति पर काम करेगी.

2. अनुच्छेद 370- लंबे समय से जम्मू और कश्मीर को लेकर `एक विधान-एक निशान-एक प्रधान ` के नारे पर चलती रही बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र की मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 और 35 ए हटा दिया था. केंद्र सरकार के फैसला संवैधानिक था या नहीं, इसे लेकर अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी आ चुका है.

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सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र सरकार के जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले पर मुहर लगा दी है. अब बीजेपी की रणनीति सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बेस बनाकर अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले को कैश कराने की होगी. बीजेपी की कोशिश होगी कि वादे पूरी करने वाली पार्टी की इमेज को और मजबूत किया जाए.

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3. ओबीसी/महिलाएं/युवा वोटर पर फोकस- ओबीसी जीत की चाबी होंगे. कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियां बीजेपी को जातिगत जनगणना के मुद्दे पर घेर रही हैं. विपक्ष की रणनीति को काउंटर करने के लिए अब बीजेपी की रणनीति ओबीसी चेहरों पर फोकस के साथ ही इनसे जुड़े मुद्दों पर जोर देने की होगी.

बीजेपी के बड़े नेताओं का लगातार ओबीसी आयोग को वैधानिक दर्जा देने का कदम गिनाया जाना हो या ओबीसी मंत्री-विधायक-सांसदों की संख्या गिनाना, पार्टी की इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. महिला आरक्षण से लेकर उज्ज्वला योजना और जनधन खाते के सहारे महिला मतदाताओं को साधने की रणनीति होगी तो वहीं युवाओं को साधने के लिए पार्टी सोशल मीडिया का सहारा लेगी.

4. योजनाओं के लाभार्थियों पर फोकस- बीजेपी ने अलग-अलग योजनाओं के लाभार्थियों का एक वोट बैंक खड़ा कर लिया है. बीजेपी केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से चलाई जा रही योजनाओं के लाभार्थियों पर फोकस कर रही है और विकसित भारत संकल्प यात्रा जैसी यात्राओं को इसी रणनीति का हिस्सा बताया जा रहा है.

बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा (फाइल फोटोः पीटीआई)
बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा (फाइल फोटोः पीटीआई)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हों या बीजेपी के दूसरे नेता, सभी फ्री राशन समेत सरकार की ऐसी योजनाओं को लेकर बार-बार बात कर रहे हैं जिनका एक बड़े वर्ग को लाभ मिल रहा है. कई योजनाओं में डायरेक्ट कैश ट्रांसफर हो रहा है. इनके लाभार्थियों तक लगातार यह बात पहुंचाई जाएगी. हाल ही में मप्र के चुनाव में लाड़ली बहना योजना की सफलता ने डायरेक्ट कैश ट्रांसफर का महत्व एक बार फिर से स्थापित किया है.
 
5. मोदी की गारंटी- हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में गारंटी का दांव सफल होने के बाद कांग्रेस ने राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और अन्य राज्यों में भी गारंटी का दांव चल दिया. कांग्रेस ने इसे अपनी चुनाव रणनीति का अभिन्न अंग बना लिया तो वहीं बीजेपी ने इसे काउंटर करने के लिए अपने सबसे बड़े चेहरे को आगे कर दिया.

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खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी चुनावी रैलियों में मोदी की गारंटी पर जोर रहा. लोकसभा चुनाव में खुद बात मोदी की हो होती है और पिछले वोटिंग पैटर्न भी यह बताते हैं कि लोग मोदी के चेहर पर वोट करते हैं. ऐसे में इस बार पीएम मोदी के चेहरे के साथ मोदी की गारंटी का दांव ट्रंप कार्ड साबित हो सकता है.

6. हिदुत्व पर जोर- बीजेपी ने सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास का नारा दिया है लेकिन राज्यों के चुनाव से भी ये साफ हो गया है कि पार्टी हिंदुत्व की लाइन पर ही आगे बढ़ेगी. बीजेपी ने राजस्थान में तुष्टिकरण से लेकर कन्हैयालाल हत्याकांड तक को जोर-शोर के साथ उठाया. छत्तीसगढ़ में भी हिंदुत्व को धार देने की रणनीति बीजेपी के काम आई. ऐसे में बीजेपी की रणनीति हिंदुत्व को धार देने की होगी. कहा ये भी जा रहा है कि इससे पोलराइजेशन होगा और इसका बीजेपी को लाभ मिल सकता है.

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