
राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ समेत पांच राज्यों के चुनाव चल रहे हैं. मिजोरम, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में वोटिंग हो भी चुकी है. राजस्थान में 25 और तेलंगाना में 30 नवंबर को मतदान होना है. 2024 का सेमीफाइनल माने जा रहे इन चुनावों में भारतीय जनता पार्टी यानी बीजेपी की रणनीति अलग नजर आ रही है.
बीजेपी का जोर केंद्र सरकार की उपलब्धियों पर है. पार्टी प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस को यूपीए सरकार के समय भ्रष्टाचार के आरोप को लेकर घेर रही है, साथ ही मोदी सरकार की उपलब्धियां गिना रही है. सवाल उठता है कि राज्यों के चुनाव में यूपीए सरकार के भ्रष्टाचार और केंद्र सरकार की उपलब्धियों का क्या काम है? खासकर, मध्य प्रदेश में इसकी क्या जरूरत थी जहां पहले से ही बीजेपी की सरकार है. बीजेपी शिवराज सरकार की उपलब्धियों को लेकर भी जनता के बीच जा सकती थी जिसे प्रचार के शुरुआती चरण में पार्टी ने किनारे रख दिया था.
इसे बीजेपी की रणनीति बताया जा रहा है. मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर भ्रमजाल बुनना या चुनाव मैदान में उतारे गए बड़े नेताओं में सीएम बनने की उम्मीद जगाए रखना या शिवराज सिंह चौहान से आगे देखने का संदेश देना, बीजेपी का मकसद क्या था? ये बहस का विषय हो सकता है लेकिन ये भी एक फैक्ट है कि पीएम मोदी जहां शुरुआत में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान या उनकी सरकार की योजनाओं के जिक्र से बचते नजर आए. वहीं, चुनाव प्रचार के अंतिम चरण में शिवराज का नाम और काम ही बीजेपी की प्रचार रणनीति के केंद्र में नजर आए.
राजस्थान के चुनाव में भी कमोबेश यही तस्वीर है. बीजेपी के प्रचार में 2013 से 2018 तक की वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली सरकार की उपलब्धियों से अधिक मोदी सरकार की योजनाओं का शोर है. छत्तीसगढ़ में भी बीजेपी ने प्रचार की यही रणनीति अपनाई और तेलंगाना में भी पार्टी का जोर केंद्र सरकार की उपलब्धियों पर ही है. दूसरी तरफ, बिरसा मुंडा की जयंती के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झारखंड के खूंटी से विकसित भारत संकल्प यात्रा की शुरुआत की. इस यात्रा का उद्देश्य केंद्र की कल्याणकारी योजनाओं को लेकर जनता को जागरूक करना है.
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एक तरफ बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में कई सांसदों को चुनाव मैदान में उतार दिया तो दूसरी तरफ राज्यों के चुनाव में पार्टी का जोर केंद्र की उपलब्धियां गिनाने पर रहा. अब विकसित भारत संकल्प यात्रा की शुरुआत के बाद चर्चा इस बात को लेकर हो रही है कि क्या राज्यों के चुनाव के जरिए 2024 के लिए बीजेपी अपनी बुनियाद पक्की कर रही है?
2024 चुनाव के लिए साफ हो गई बीजेपी की प्रचार रणनीति?
राज्यों के चुनाव के कुछ ही महीने बाद आम चुनाव होने हैं. आम चुनाव के लिए बीजेपी की प्रचार रणनीति क्या होगी, इसके संकेत तो संसद के मॉनसून सत्र के दौरान आए अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिए जवाब से ही मिलने लगे थे. अब राज्यों के चुनाव प्रचार और इस नई यात्रा से तस्वीर और साफ हो गई है.
दरअसल, अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान बीजेपी सांसदों के संबोधन में मोदी सरकार की उपलब्धियां छाई रही थीं. गृह मंत्री अमित शाह ने मोदी सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए कांग्रेस की पिछली सरकारों के कामकाज का जिक्र करते हुए विपक्ष को घेरा था. अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी 10 साल की सरकार और पूर्ववर्ती मनमोहन सरकार के काम की तुलना की थी.
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बीजेपी ने राज्यों के चुनाव में भी अचीवमेंट और कम्पेरिजन पर जोर बरकरार रखा. साथ ही अब पार्टी ने जनता के सामने 2047 तक विकसित भारत बनाने, देश की अर्थव्यवस्था को दुनिया की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्था में शामिल कराने का विजन भी रख दिया है.
मध्य प्रदेश चुनाव में भी अपनाया था प्रचार का ACV फॉर्मूला
पीएम मोदी ने इसके बाद विजन भी क्लियर कर दिया था. प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी ने अब 2047 तक विकसित भारत बनाने का विजन भी रख दिया है. 2018 के मध्य प्रदेश चुनाव में बीजेपी की प्रचार रणनीति देखें तो वह तीन बिंदुओं के इर्द-गिर्द नजर आती है- अचीवमेंट यानी उपलब्धियां, कम्पेरिजन यानी कांग्रेस की सरकारों से अपनी सरकार की तुलना और विजन यानी भविष्य की योजना.
तब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जन आशीर्वाद यात्रा पर निकले थे. इस यात्रा के दौरान सीएम शिवराज ने अपने हर संबोधन में अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाई थीं. जन आशीर्वाद यात्रा के बाद प्रचार का दूसरा चरण तुलना का था. बीजेपी ने एक कैंपेन चलाया था- 'सरकार-सरकार में फर्क है'.
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सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से चलाए गए इस अभियान का फोकस दिग्विजय सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस की 10 साल की सरकार और बीजेपी के 15 साल के काम की तुलना कर पार्टी का जोर ये बताने पर था कि हमारी सरकार पुरानी सरकार से कैसे बेहतर है. तीसरे और अंतिम चरण में शिवराज ने समृद्ध मध्य प्रदेश का विजन भी पेश किया था.