मोदी सरकार 3.0 की कैबिनेट में पीएम मोदी समेत 72 सदस्य हैं. मोदी मंत्रिमंडल में बर्थ के प्रबल दावेदार माने जा रहे कुछ नेता कैबिनेट से बाहर हैं तो कुछ चेहरे चुनावी बाजी हारकर भी मंत्री पद तक पहुंचने में सफल रहे हैं. पीएम मोदी की अगुवाई वाली सरकार के इस जंबो कैबिनेट में राजनाथ सिंह, अमित शाह, नितिन गडकरी जैसे भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के कद्दावर नेता हैं तो वहीं दूसरे दलों से पार्टी में आए नेताओं को भी तरजीह दी गई है. रवनीत सिंह बिट्टू से लेकर कीर्तिवर्धन सिंह और रविभूषण चौधरी तक..., आइए जानते हैं मोदी सरकार 3.0 के ऐसे मंत्रियों को, जो दूसरे दलों से बीजेपी में आए थे.
रवनीत बिट्टू
रवनीत सिंह बिट्टू पंजाब की लुधियाना सीट से दो बार कांग्रेस के टिकट पर सांसद निर्वाचित हुए. एक बार वह आनंदपुर साहिब सीट से भी सांसद रहे हैं. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बिट्टू ने हाथ का साथ छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था. बिट्टू बीजेपी के टिकट पर लुधियाना सीट से ही चुनाव मैदान में उतरे थे लेकिन जीत का चौका नहीं लगा सके. बिट्टू पंजाब के दादा बेअंत सिंह पंजाब के सीएम रहे. बेअंत सिंह की सीएम पद पर रहते हुए हत्या हो गई थी. कांग्रेस से जुड़े परिवार से आने वाले बिट्टू खुद भी राहुल गांधी से मुलाकात के बाद सियासत में आए थे.
जितिन प्रसाद
साल 2001 में कांग्रेस की यूथ विंग में बतौर राष्ट्रीय महासचिव अपना करियर शुरू करने वाले जितिन प्रसाद 2004 में शाहजहांपुर सीट से हाथ के सिंबल पर पहली बार संसद पहुंचे थे. जितिन 2009 में लखीमपुर खीरी की धौरहरा सीट से संसद पहुंचे. वह डॉक्टर मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की सरकार में मंत्री भी रहे. 2014 चुनाव में उन्हें मात मिली थी. 2022 के यूपी चुनाव से ठीक पहले जितिन ने कांग्रेस छोड़ बीजेपी की सदस्यता ले ली थी. जितिन केंद्रीय राजनीति में मंत्री पद के साथ वापसी तक यूपी सरकार में मंत्री रहे. लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने वरुण गांधी का टिकट काट पीलीभीत से जितिन को उम्मीदवार बनाया था. जितिन पीलीभीत से सांसद निर्वाचित हुए हैं.
ज्योतिरादित्य सिंधिया
ग्वालियर राजघराने से नाता रखने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम भी मोदी सरकार 3.0 के उन मंत्रियों की लिस्ट में है जो किसी दूसरे दल से बीजेपी में आए हैं. सिंधिया यूपीए की दोनों सरकारों में मंत्री रहे हैं. अपने पिता माधवराव सिंधिया का हेलिकॉप्टर दुर्घटना में निधन होने के बाद 2002 में गुना सीट से उपचुनाव लड़कर सियासी सफर का आगाज करने वाले सिंधिया यूपीए 1.0 और2.0, दोनों सरकारों में मंत्री रहे. 2014 की मोदी लहर में गुना सीट से सिंधिया को शिकस्त मिली. सिंधिया ने बाद में कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए थे. सिंधिया समर्थक विधायकों की बगावत से कमलनाथ की अगुवाई वाली कांग्रेस की एमपी सरकार गिर गई थी और 15 महीने बाद ही शिवराज की अगुवाई में बीजेपी ने सरकार बना ली थी. सिंधिया को पीएम मोदी की अगुवाई वाली पिछली सरकार में भी मंत्री बनाया गया था. इस बार सिंधिया गुना से जीतकर भी आए हैं और मंत्री भी बनाए गए हैं.
राव इंद्रजीत सिंह
अहीरवाल क्षेत्र के राजा राव तुला राम के वंशज और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री राव बीरेंद्र सिंह के पुत्र राव इंद्रजीत सिंह छह बार के सांसद और चार बार के विधायक हैं. राव इंद्रजीत यूपीए सरकार में भी मंत्री रहे हैं. वह 2014 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए थे. वह पीएम मोदी की अगुवाई वाली दोनों सरकारों में भी मंत्री रहे हैं और इस बार तीसरी सरकार में भी उन्हें मंत्री बनाया गया है. राव इंद्रजीत सिंह गुरुग्राम सीट से संसद पहुंचे हैं.
एसपी सिंह बघेल
मोदी सरकार के नए मंत्रियों में एसपी सिंह बघेल भी हैं. आगरा से सांसद निर्वाचित हुए बघेल पीएम मोदी की अगुवाई वाली पिछली सरकार में भी मंत्री थे. एसपी सिंह बघेल की गिनती कभी मुलायम सिंह यादव के करीबियों में होती थी. बघेल 1989 में सियासत में आए थे. वह सपा से सांसद भी रहे और बाद में बसपा जॉइन कर ली थी. बीजेपी ने 2014 चुनाव में बघेल को फिरोजाबाद सीट से उम्मीदवार बनाया था लेकिन वह हार गए थे. 2019 में वह आगरा सीट से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे.
कीर्तिवर्धन सिंह
गोंडा के सांसद कीर्तिवर्धन सिंह ने अपने सियासी सफर का आगाज साल 1998 में सपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़कर किया था. कीर्तिवर्धन ने तब बीजेपी उम्मीदवार बृजभूषण शरण सिंह को हराया था. कीर्तिवर्धन के पिता आनंद सिंह गोंडा से चार बार सांसद रहे.आनंद को बीजेपी के टिकट पर बृजभूषण ने 1991 में हरा दिया था. 1996 में आनंद सपा के टिकट पर मैदान में उतरे लेकिन तब भी सफलता नहीं मिल सकी.लगातार दो हार के बाद आनंद ने चुनावी राजनीति से दूरी बना ली. आनंद की सीट से कीर्तिवर्धन सिंह सपा के टिकट पर उतरे और जीते. 2014 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कीर्तिवर्धन बीजेपी में शामिल हो गए थे. 2014 और 2019 के बाद 2024 में भी कीर्तिवर्धन गोंडा सीट से संसद पहुंचे हैं.
राजभूषण चौधरी
बिहार की मुजफ्फरपुर सीट से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे राजभूषण चौधरी भी मोदी मंत्रिमंडल में जगह बनाने में सफल रहे हैं. पेशे से चिकित्सक राजभूषण 2019 के चुनाव में मुकेश सहनी की अगुवाई वाली विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के उम्मीदवार थे. तब उन्हें बीजेपी के अजय निषाद ने हरा दिया था. इस बार राजभूषण बीजेपी अजय निषाद कांग्रेस के टिकट पर मैदान में थे और बाजी बीजेपी उम्मीदवार के हाथ आई.