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लाल किले की प्राचीर से PM मोदी ने दिए तीन बड़े राजनीतिक संदेश, 2024 का एजेंडा सेट?

स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से नौवीं बार राष्ट्रीय ध्वज फहराया. इस दौरान पीएम मोदी ने भ्रष्टाचार और परिवारवाद के मुद्दे पर चोट किया और इसी के साथ उन्होंने 2024 के चुनाव में अपनी पार्टी का सियासी एजेंडा भी सेट कर दिया. इसके साथ ही पीएम मोदी ने देश के फेडरल स्ट्रक्चर पर अपना फॉर्मूला रखा.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की जनता को संबोधित करते हुए अगले 25 साल के ब्लू प्रिंट के रूप में पांच प्रण तो बताए ही, कई बड़े राजनीतिक संदेश भी दिए. खासकर भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद को उन्होंने जिस तरह देश की सबसे बड़ी कुरीति करार देते हुए उसके खिलाफ जंग में देशवासियों का साथ मांगा वो पूरी तरह से बीजेपी की ही लाइन है, जिसे लेकर पार्टी विपक्षी दलों पर हमले करती रही है. इसके अलावा पीएम मोदी ने देश के फेडरल स्ट्रक्चर पर अपनी सोच भी जनता के सामने रखी. इसे राज्य में विपक्षी दलों की सरकारों के उन आरोपों का जवाब माना जा रहा है जो केंद्रीय एजेंसियों खासकर ईडी की सक्रियता के बाद केंद्र सरकार पर लगाए जा रहे हैं.

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भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद के खिलाफ लड़ाई के अपने संकल्प को दोहराया. उन्होंने कहा कि लोगों में भ्रष्टाचार के प्रति नफरत दिखती है, लेकिन भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कोई चेतना नहीं दिखती. देश को लूटने वालों को अदालत ने दोषी भी माना है, ऐसे भ्रष्टाचारियों का महिमामंडन नहीं किया जाना चाहिए. पीएम मोदी ने भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद के खिलाफ जनता का साथ मांगा. पीएम ने कहा कि भ्रष्टाचार को खत्म करने में देश के 130 करोड़ लोग मेरा साथ दें ताकि यह देश जीत पाए.  

मोदी के निशाने पर कौन? 
भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद का मुद्दा उठाते हुए पीएम मोदी ने भले ही किसी दल और नेता का नाम न लिया हो, लेकिन उनका इशारा साफ तौर पर विपक्षी नेताओं पर रहा. बता दें कि आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाला मामले में सजा हो चुकी है, फिलहाल वो जमानत पर जेल से बाहर आए हुए हैं. उनके जेल से बाहर आते ही बिहार में बड़ा राजनीतिक परिवर्तन देखने को मिला और जेडीयू ने बीजेपी से नाता तोड़कर आरजेडी के साथ मिलकर सरकार बना ली. 

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वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से पिछले दिनों प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नेशनल हेराल्ड से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूछताछ की थी. कांग्रेस इसके खिलाफ सड़कों पर उतरकर आ गई और सरकार के खिलाफ हल्ला बोल की मुद्रा में है. शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत पात्रा चॉल जमीन घोटाला मामले में गिरफ्तार हैं. पश्चिम बंगाल में टीएमसी नेता पार्था चटर्जी भ्रष्टाचार मामले में जेल में हैं, अनुब्रत मंडल की भी गिरफ्तारी हो चुकी है. विपक्ष इसे लेकर ईडी के बहाने उस पर अंकुश लगाने का आरोप लगा रहा है लेकिन पीएम मोदी के आज के रुख से साफ है कि सरकार पीछे हटने वाली नहीं है. 

मोदी ने सेट किया चुनावी 2024 का एजेंडा
वरिष्ठ पत्रकार विनोद अग्निहोत्री कहते हैं कि भ्रष्टाचार के खिलाफ देश में ईडी की कार्रवाई चल रही है, पीएम मोदी उससे पीछे नहीं हटेंगे और इस लड़ाई को मुखर होकर लड़ेंगे. पीएम मोदी ने बीजेपी के लिए 2024 का एजेंडा सेट कर दिया है और साफ संदेश दिया है कि भ्रष्टाचार और परिवारवाद के खिलाफ ही आगे चुनाव लड़ना है. भ्रष्टाचार एक ऐसा मुद्दा है, जो कांग्रेस को परेशान करता है. इसके अलावा विपक्ष की वो क्षेत्रीय पार्टियां, जो एनडीए के साथ नहीं हैं, उनके लिए भी ये चिंता का सबब है. मोदी ने भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए जनता से आशीर्वाद मांगकर अपना राजनीतिक एजेंडा सेट कर दिया है.   

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वहीं कांग्रेस प्रवक्ता आलोक शर्मा ने कहा कि मोदी सरकार पिछले 8 साल से भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने की सिर्फ बातें करती है. विपक्षी दलों के जिन भी नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे, वो बीजेपी में शामिल हो गए तो उनके खिलाफ सारी जांच बंद हो गईं. ऐसे ही कल पार्था चटर्जी भी बीजेपी में शामिल हो सकते हैं तो वो भी पाक साफ हो जाएंगे. इसी से जाहिर होता है कि बीजेपी ईडी और सीबीआई का सिर्फ विपक्षी दलों के खिलाफ इस्तेमाल करती है. 

जवाब में बीजेपी के प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि आठ सालों में हमारी सरकार में एक भी भ्रष्टाचार का मामला सामना नहीं आया. मोदी सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही है. पीएम मोदी ने लाल किले की प्राचीर से भ्रष्टाचार ही नहीं बल्कि भ्रष्टाचारियों के खिलाफ भी सख्त कदम उठाने का ऐलान कर दिया है, उससे कांग्रेस और उनके साथी दल आखिर क्यों बेचैन हो रहे हैं. 

परिवारवाद पर बीजेपी क्यों आक्रामक

पीएम मोदी ने दरअसल बीजेपी के उस एजेंडे को देश का एजेंडा बनाने की पहल की है, जिसके जरिए उनकी पार्टी लगातार वंशवादी राजनीति और करप्शन को लेकर कांग्रेस और कई क्षेत्रीय दलों पर सवाल खड़े करती रही है. पीएम मोदी ने कहा कि परिवारवादी राजनीति सिर्फ अपने परिवार के हित के लिए सोचती है और देश से उसका कोई सरोकार नहीं है. इस तरह उन्होंने वंशवादी राजनीति को देश विरोधी करार दिया. भाई-भतीजावाद को मोदी ने सिर्फ राजनीति से ही नहीं बल्कि हर क्षेत्र में यह बुराई घोषित किया है और कहा है इससे देश के टैलेंट को नुकसान होता है. हिंदुस्तान की राजनीति की शुद्धिकरण, हिंदुस्तान की सभी संस्थाओं के शुद्धिकरण के लिए योग्यता के आधार पर देश को बढ़ाने में पीएम ने सहयोग मांगा. 

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वरिष्ठ पत्रकार प्रभु चावला ने कहा कि पीएम मोदी ने लाल किले से राष्ट्रवाद का पाठ पढ़ाने से लेकर विपक्ष के खिलाफ राजनीतिक एजेंडा सेट करने की कोशिश की है. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने जिस तरह वंशवाद और भ्रष्टचार के मुद्दे को उठाया और जनता का साथ मांगा है, उससे साफ जाहिर होता है कि उस लड़ाई को बीजेपी 2024 के चुनाव में लड़ने का पूरा मन बना चुकी है. इस तरह से उन्होंने ये भी बताने की कोशिश की है कि जिन नेताओं को खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप हैं, उन्हें किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा. 

दिलचस्प बात यह है कि बीजेपी ने अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भ्रष्टाचार और परिवारवादी राजनीति के खिलाफ मोर्चा खोलने की रणनीति बनाई थी. बीजेपी इन दोनों ही मुद्दों पर कांग्रेस ही नहीं बल्कि उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत तक अपना सियासी आधार बढ़ाने का मौका देख रही है. पीएम मोदी ने 2019 के चुनाव के बाद से ही परिवारवादी राजनीति के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. बीजेपी में भी यह संदेश वे दे चुके हैं. इतना ही नहीं बीजेपी तमाम परिवारवादी राजनीतिक दलों से साथ नाता भी तोड़ चुकी है, चाहे फिर अकाली दल को या फिर उद्धव ठाकरे की शिवसेना. बीजेपी को अब खुलकर इस मुद्दे पर खेलने का मौका दिख रहा है.

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फेडरल स्ट्रक्चर पर मोदी ने रखा फॉर्मूला
मोदी सरकार के दौरान विपक्ष लगातार संघीय ढांचे को खत्म करने का आरोप लगाता रहा है. राहुल गांधी से लेकर केसीआर और स्टालिन तक मोदी सरकार पर ये आरोप लगा चुके हैं. ऐसे में मोदी ने आजादी के 75वीं वर्षगांठ पर कहा कि भारत का विकास हम सबके मन मस्तिष्क में रहना चाहिए. देश के कई राज्य हैं जिन्होंने देश को आगे बढ़ाने में योगदान दिया है. हमें कोऑपरेटिव फेडरलिज्म के साथ-साथ आगे बढ़ने की जरूरत है. अब कोऑपरेटिव कंपटिटिव फेडरलिज्म की जरूरत है, जो हमें विकास की नई ऊंचाई पर ले जाए. 

 

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