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क्या प्रशांत किशोर और कांग्रेस की पटकथा का ये अंत है?

प्रशांत किशोर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत कई बड़े नेताओं के साथ बैठक कर चुके थे. उनके प्रेजेंटेशन के बाद पार्टी आलाकमान सोनिया गांधी ने एक समिति बनाई थी. इस समिति ने अपनी रिपोर्ट भी सौंप दी थी और सोनिया गांधी को इस पर अंतिम फैसला करना था, लेकिन उससे पहले ये सरप्राइज करने वाला फैसला आ गया. 

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Poll strategist Prashant Kishor
Poll strategist Prashant Kishor
स्टोरी हाइलाइट्स
  • अटकलों पर विराम, प्रशांत किशोर कांग्रेस में नहीं शामिल होंगे
  • पीके ने गठबंधन को लेकर 3 स्थितियों का जिक्र किया था

Prashant Kishor declines Congress offer: चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) के कांग्रेस में शामिल होने की अटकलों पर विराम लग गया है. मंगलवार को उन्होंने खुद इसकी जानकारी एक ट्वीट के जरिए दी. वहीं, कांग्रेस ने भी बताया कि प्रशांत किशोर ने कांग्रेस के ऑफर को ठुकरा दिया है और वो पार्टी में नहीं शामिल हो रहे हैं. कांग्रेस ने उन्‍हें अपने 'एम्‍पावर्ड एक्‍शन ग्रुप' (EAG) में शामिल होने की पेशकश की थी. हालांकि, पीके को ये ऑफर पसंद नहीं आया. अब इस बड़ी सियासी हलचल के बाद से सवाल उठ रहा है कि क्या प्रशांत किशोर और कांग्रेस की पटकथा का अंत है? 

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हाल ही में प्रशांत किशोर ने 2024 के आम चुनाव को लेकर कांग्रेस के समक्ष एक प्रेजेंटेशन पेश किया था. उनके प्रेजेंटेशन को लेकर पार्टी के कई नेता समर्थन में थे, लेकिन अचानक से इस तरह फैसला वाकई सरप्राइज करने वाला है. हालांकि प्रशांत किशोर की एंट्री को लेकर तरह-तरह की अटकलें भी थीं क्योंकि सीधे उनके एंट्री पर पार्टी के कई दिग्गजों को ऐतराज था.  

प्रशांत किशोर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत कई बड़े नेताओं के साथ बैठक कर चुके थे. उनके प्रेजेंटेशन के बाद पार्टी आलाकमान सोनिया गांधी ने एक समिति बनाई थी. इस समिति ने अपनी रिपोर्ट भी सौंप दी थी और सोनिया गांधी को इस पर अंतिम फैसला करना था, लेकिन उससे पहले ये सरप्राइज करने वाला फैसला आ गया. 

वहीं,  प्रशांत किशोर के ट्वीट से अंदाजा लगाया जा सकता है कि पार्टी ईएजी का हिस्‍सा बनाकर उन पर चुनावों की पूरी जिम्‍मेदारी डालना चाहती थी. शायद यही बात उन्‍हें रास ना आई हो. दरअसल, प्रशांत किशोर पार्टी में फ्री हैंड चाहते थे, जिस पर अब तक असमंजस की स्थिति बनी रही. 

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इसके अलावा कांग्रेस के साथ चर्चा के बीच तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव से मुलाकात का मुद्दा भी पार्टी में उनके विश्वास को नहीं जमा पाया. वो ममता बनर्जी के साथ भी जुड़े रहे. इन तमाम पहलुओं को उनके इस फैसले से अब जोड़कर देखा जा रहा है. हालांकि भविष्य में वो कांग्रेस पार्टी में शामिल होंगे या नहीं, ये अभी नहीं कहा जा सकता है. इसे ऐसे समझ सकते हैं कि कांग्रेस से पीके का संबंध not divorce, now pause button वाला है. 

पीके ने बताया था- कांग्रेस को ये 5 रणनीतिक कदम उठाने होंगे 

1- नेतृत्व के मुद्दे को हल करना होगा
2- गठबंधन से जुड़े मुद्दे को सुलझाना होगा
3- पार्टी के पुराने सिद्धांतों पर लौटना होगा
4- जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं और नेताओं की फौज बनानी होगी
5 -कांग्रेस के कम्युनिकेशन सिस्टम में बदलाव करने की जरूरत 

गठबंधन को लेकर क्या था पीके का प्लान?

पीके ने गठबंधन को लेकर 3 स्थितियों का जिक्र किया था. पहली स्थिति में कांग्रेस पूरे देश में सिर्फ अकेले चुनाव लड़े. दूसरी स्थिति में कांग्रेस बीजेपी और मोदी को हराने के लिए सभी पार्टियों के साथ आए और यूपीए को मजबूत किया जाए. तीसरी स्थिति ये कि कुछ जगहों पर कांग्रेस अकेले चुनाव लड़े और कुछ जगहों पर सहयोगियों के साथ मिलकर लड़े. इस दौरान कांग्रेस राष्ट्रीय पार्टी की छवि को भी बरकरार रखे. 

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