आंध्र प्रदेश में इस साल होने वाले विधानसभा चुनावों में बीजेपी और टीडीपी के दोबारा साथ आने की संभावना जताई जा रही है. सूत्रों की मानें तो बीजेपी की सहयोगी पवन कल्याण की जन सेना पार्टी दोनों को साथ लाना चाहती है. पिछला विधानसभा चुनाव में टीडीपी, जन सेना और बीजेपी ने अलग-अलग लड़ा था. तब टीडीपी को 39.17, जन सेना को 5.53 और बीजेपी को 0.84 प्रतिशत वोट मिले थे. टीडीपी को राज्य की 175 में से 23 और जन सेना को एक सीट पर जीत मिली थी. वहीं बीजेपी अपना खाता नहीं खोल पाई थी.
लोकसभा चुनाव की बात करें तो टीडीपी को 40.19 प्रतिशत वोट और 25 में से तीन सीटों पर जीत मिली थी. वहीं जन सेना को 5.87 और बीजेपी को 0.98 प्रतिशत वोट मिले थे. ये दोनों ही दल लोकसभा में कोई भी सीट नहीं जीत पाए थे. आंकड़े बताते हैं कि बीजेपी के पास आंध्र प्रदेश में खोने को कुछ नहीं है. बीजेपी गठबंधन में 7 लोकसभा सीटे और विधानसभा में 25 विधानसभा सीटो पर चाहती हैं.
बीजेपी 2014 का लोकसभा चुनाव गठबंधन में 5 सीटों पर लड़ी थी और 2 सीटों पर जीत दर्ज की थी.
सूत्रों की मानें तो बीजेपी को 5 सीटे देने पर सहमति बन सकती हैं. उधर, प्रदेश में कांग्रेस दोबारा जिंदा होने के लिए हाथ-पैर मार रही है जबकि सत्तारूढ़ वायएसआरसीपी पिछले पांच साल से कई महत्वपूर्ण बिलों पर केंद्र में एनडीए सरकार का समर्थन करती आ रही है. टीडीपी के प्रमुख चंद्रबाबू नायडू बीजेपी के खिलाफ केंद्र में बन रहे इंडिया गठबंधन से दूर हैं जबकि इससे पहले वे तीसरे मोर्चे को मजबूत करने में कई बार भूमिका निभा चुके हैं. टीडीपी नेताओं का कहना है कि आंध्र में जमीन पर कमजोर बीजेपी से गठबंधन करने से उन्हें चाहे चुनावी फायदा न हो, लेकिन चुनाव प्रबंधन की दृष्टि से बड़ी मदद मिल जाएगी. इससे केंद्र सरकार का उसके साथ रहने का संदेश भी चला जाएगा.
बता दें कि कुछ महीने पहले चंद्रबाबू नायडू दिल्ली आकर गृह मंत्री अमित शाह से मिल चुके हैं. दक्षिण भारत के अन्य राज्यों में भी बीजेपी गठबंधन के लिए सहयोगी दलों की तलाश में है. कर्नाटक में जेडीएस के साथ बीजेपी का गठबंधन हो चुका है जबकि तमिलनाडु में एआईएडीएमके से रिश्ता टूटने के बाद अब बीजेपी वहां छोटे दलों को साथ लाना चाह रही है. केरल में भी बीजेपी की नजरें कई छोटे दलों पर हैं जिनमें से कुछ के साथ उसका विधानसभा चुनाव में गठबंधन हो चुका है.