एक के बाद एक राज्य में लगातार मिल रही चुनावी हार से कांग्रेस हताश दिख रही है. कांग्रेस को सियासी संजीवनी देकर दोबारा से खड़ा करने का फॉर्मूला चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को दिया है. पीके ने कांग्रेस के खोये मुकाम को दोबारा से वापस दिलाने के लिए एक रोडमैप तैयार किया है, जिसे पार्टी का 'हाथ' थामकर वो जमीन पर उतारने का काम करेंगे. 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर उन्होंने बाकायदा एक प्रेजेंटेशन भी दिया है. ऐसे में समझें कि कैसे प्रशांत किशोर ने अपने फॉर्मूले और रोडमैप के जरिए कांग्रेस को फिर से स्थापित करने की रणनीति बनाई है.
बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के घर 10 जनपथ पर शनिवार को राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, दिग्विजय सिंह, केसी वेणुगोपाल, अंबिका सोनी और मल्लिकार्जुन खड़गे की मौजूदगी में प्रशांत किशोर ने कांग्रेस के लिए 2024 के आम चुनाव का एक्शन प्लान पेश किया है. पीके ने इस दौरान कांग्रेस को मीडिया रणनीति में बदलाव करने, संगठन को मजबूत करने और उन राज्यों पर ज्यादा ध्यान देने को कहा, जहां बीजेपी से सीधा मुकाबला है. पीके का प्लान और फॉर्मूले के लिए कांग्रेस नेताओं का एक ग्रुप बनाया गया है, जो एक हफ्ते के भीतर सोनिया गांधी को रिपोर्ट देगा. इसके बाद ही पीके की कांग्रेस में एंट्री और उनके फॉर्मूले को जमीन पर उतारने का काम शुरू होगा.
370 सीटों पर फोकस
प्रशांत किशोर ने कांग्रेस नेतृत्व को जो फॉर्मूला दिया है, उसमें देश की सभी 543 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने के बजाय कांग्रेस को चुनिंदा सीटों पर अपना फोकस करने की बात है. खासकर कांग्रेस को सिर्फ उन सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी करनी चाहिए, जहां पर उसकी स्थिति पहले से मजबूत है. पीके लिए लिहाज से कुल 543 लोकसभा सीटों में से 365 से 370 सीटों का चयन कर अपने उम्मीदवार उतारने चाहिए, ऐसी स्थिति पार्टी के लिहाज से फायदेमंद रहेगी. इसके अलावा बाकी बची सीटों पर कांग्रेस 173 से 180 सीटें सहयोगी दलों के लिए छोड़ देनी चाहिए. पीके ने कांग्रेस के लिए उन सीटों का चयन किया है, जहां पर पार्टी की सीधी लड़ाई बीजेपी से है या फिर एनडीए के अन्य सहयोगी दल से है.
यूपी-बिहार-ओडिशा में एकला चलो प्लान
प्रशांत किशोर मानते हैं कि देश के जिन राज्यों में कांग्रेस की स्थिति पहले से खासी मजबूत है, वहीं पर कांग्रेस को अपना ज्यादा ध्यान लगाना चाहिए और उन राज्यों में गठबंधन के बजाय एकला चलो की राह पर कदम बढ़ाने का फॉर्मूला दिया है. इसमें गुजरात, हिमाचल, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड में कांग्रेस को अपने दम पर अकेले चुनाव लड़ने की दिशा में कदम उठाना चाहिए. इसके अलावा बिहार, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और ओडिशा जैसे राज्यों में भी कांग्रेस को अकेले चुनाव लड़ने के पक्ष में है ताकि पार्टी दोबारा से इन राज्यों में अपने खोए हुए सियासी जनाधार को वापस लाने आत्मनिर्भर बनाने की रणनीति है.
बंगाल-महाराष्ट्र-तमिलनाडु में गठबंधन
प्रशांत किशोर ने कांग्रेस को उन राज्यों में गठबंधन कर चुनाव लड़ने की सलाह दी है, जहां पर क्षेत्रीय दल मजबूत स्थिति में है. महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु जैसे राज्यों में कांग्रेस को गठबंधन के साथ उतरने की सलाह पीके ने दी है. महाराष्ट्र में शिवसेना और एनसीपी के साथ कांग्रेस सरकार में है तो तमिलनाडु में डीएमके साथ गठबंधन है. महाराष्ट्र में कांग्रेस ने चुनाव नतीजे के बाद शिवसेना के साथ गठबंधन किया जबकि तमिलनाडु में गठबंधन पहले से है. पश्चिम बंगाल में कांग्रेस को लेफ्ट के बजाय टीएमसी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने के पक्ष में पीके हैं, क्योंकि लेफ्ट से मजबूत ममता बनर्जी हैं.
विपक्षी दलों के साथ आपसी तालमेल
प्रशांत किशोर की प्लांनिग के लिहाज से कांग्रेस को सभी विपक्षी दलों के साथ बेहतर तालमेल बनाने का सुझाव दिया गया है. उनका मानना है कि जरूरी नहीं है कि कांग्रेस सभी विपक्षी दलों के साथ चुनाव लड़े बल्कि नतीजे के बाद का विकल्प खुला रखना चाहिए. प्रशांत किशोर लगातार इस बात पर जोर दे रहे हैं कि बीजेपी को हराने के लिए विपक्षी एकता करे और इस एकता के केंद्र में कांग्रेस रहे है. कांग्रेस ख़ुद को मज़बूत करके की केंद्र की सत्ता के लिए दावेदारी पेश कर सकती है। मज़बूत कांग्रेस के साथ ही क्षेत्रीय दल आ सकते हैं. क्षेत्रीय दलों को अपने पीछे लाने के लिए कांग्रेस को अगले लोकसभा चुनाव से पहले होने वाले छह राज्यों के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ़ बेहतर प्रदर्शन करना होगा. पीके ने इंडिया टुडे को दिए अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि कांग्रेस को विपक्ष दलों के साथ तालमेल रखने के साथ-साथ अपनी सीटों को एक राज्य तक सीमित नहीं रखने की जरूरत है. जो दल एनडीए का हिस्सा नहीं हैं उनसे तालमेल बनाने पर खास जोर दिया गया है. इस फेहरिश्त में केसीआर, जगन मोहन रेड्डी, बीजेडी जैसे दल शामिल हैं.
राष्ट्रवाद के मुद्दे पर बीजेपी के खिलाफ काउंटर विचाराधारा
बीजेपी राष्ट्रवाद के मुद्दे पर सबसे आक्रामक रहती है, जिसे काउंटर करने की रूपरेखा प्रशांत किशोर ने कांग्रेस नेतृत्व को दी है. पीके ने एक इंटरव्यू में कहा था कि भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस की एक मजबूत विचारधारा होनी चाहिए जो कि बीजेपी की अति राष्ट्रवादी विचारधारा को काउंटर कर सके. 2024 के रोडमैप को रखते हुए पीके ने कहा कि राष्ट्रवाद के मुद्दे पर बीजेपी पर सवाल खड़े करने के बजाय राष्ट्रवाद की अपनी परिभाषा पेश करने की जररूत है ताकि बीजेपी घेर न सके.
ऐसे ही बीजेपी के हिंदुत्व के मुद्दे पर भी कांग्रेस को काउंटर प्लान बनाने की जरूरत है. पीके का मानना है कि हिंदुत्व के नाम पर सिर्फ 50 फीसदी हिंदू बीजेपी के साथ हैं, लेकिन 50 फीसदी ऐसे हिंदू हैं, जो बीजेपी के हिंदुत्व के साथ नहीं हैं. इन्हें साथ जोड़ने के लिए कवायद करनी चाहिए. कांग्रेस के प्रति जिस तरह हिंदू विरोधी पार्टी का नेरेटिव गढ़ा गया है, उसके तोड़ने की जरूरत है. पीके चाहते हैं कि देश में बीजेपी के मुकाबले एक लोकतांत्रिक धर्मनिरपेक्ष ताकत मजबूती से खड़ी हो और वह ताकत सिर्फ कांग्रेस ही हो सकती है क्योंकि कांग्रेस एक ऐसी पार्टी है जो अपनी तमाम कमजोरियों और पराजयों के बावजूद आज भी राष्ट्रीय स्तर यानी पेन इंडिया सिर्फ मौजूद है बल्कि अपनी लंबी राजनीतिक परंपरा समृद्ध वैचारिक विरासत के साथ जनता को भाजपा का लोकतांत्रिक विकल्प दे सकती है.
मोदी की कल्याणकारी स्कीम के विकल्प में नेरेटिव
पीके ने कांग्रेस को फॉर्मूला दिया है कि पीएम मोदी की कल्याणकारी स्कीम के विकल्प में अपना एक अलग नेरेटिव बनाने की जरूरत है. पिछले कुछ चुनाव में देखा गया है कि बीजेपी की जीत में मोदी सरकार की स्कीमों के लाभार्थी वोटरों की अहम भूमिका रही है, जिनमें पीएम आवास, उज्जवला योजना, शौचालय, जनधन, मुद्रा योजना, किसान सम्मान निधि, फ्री राशन का लाभ बीजेपी को मिला है. बीजेपी के इस नेरेटिव के विकल्प में अपना एक नेरेटिव गढ़ने की जरूरत है, जिसके लिए ऐसी ही योजना को सामने रखने की जरूरत है ताकि जनमानस को जोड़ा जा सके. मोदी सरकार जो कल्याणकारी स्कीम चलाती है उसी के विकल्प के तौर पर कांग्रेस को कोई बड़ी स्कीम देनी होगी तभी बीजेपी से मुकाबला किया जा सकता है. कां
कांग्रेस के स्ट्रक्चर में बदलाव का प्लान
प्रशांत किशोर की रणनीति के मुताबिक कांग्रेस को अपना स्ट्रक्चर बदलना चाहिए. कांग्रेस को फुलटाइम प्रेसिडेंट, जमीनी स्तर पर संगठन को खड़ा करने के साथ-साथ सक्रिय करने की जरूरत है. खासकर उन राज्यों में जहां पर पार्टी का सीधा मुकाबला बीजेपी से है. जमीनी स्तर पर नए सिरे के पार्टी को खड़ा करने और उन्हें कैडर में तब्दील करने की रणनीति पर काम करने का प्रारूप रखा गया है. कांग्रेस के इतिहास में पहली बार किसी एक व्यक्ति को लेकर ऐसी कवायद हो रही है, इससे साफ पता चलता है कि कांग्रेस नेतृत्व अब पुराने ढर्रे से पार्टी को निकालकर उसके तौर तरीकों संगठनात्मक ढांचे और रणनीति में आमूलचूल बदलाव करना चाहता है. बताया जाता है कि इस बैठक में एक बात और साफ हुई कि प्रशांत किशोर सिर्फ गुजरात या हिमाचल प्रदेश के लिए नहीं बल्कि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों में पार्टी को मजबूती से मैदान में उतारने के लिए काम करेंगे। इस बीच जिन राज्यों के विधानसभा चुनाव होंगे वह उन पर भी रणनीति बनाएंगे लेकिन उनका मुख्य फोकस 2024 लोकसभा चुनाव और उसके बाद की कांग्रेस राजनीति पर होगा.
कम्युनिकेशन ढांचा बदलने की जरूरत
प्रशांत किशोर ने कांग्रेस को उसके कम्यूनिकेशन डिपार्टमेंट को पूरी तरह से बदलने की राय दी है. पीके इस बात पर काफी पहले से जोर देते रहे हैं कि कांग्रेस नेता हमेशा यह दर्द बयां करते हैं कि वो अपनी बात को लोगों को तक प्रभावी ढंग से नहीं पहुंचा पाए हैं, जिसके चलते चुनाव हार जाते हैं. ऐसे में पीके ने अपने रोडमैप के जरिए कांग्रेस को अपनी बातों को बेहतर तरीके से लोगों तक पहुंचाने के लिए कम्यूनिकेशन डिपोर्टमेंट में पूर्णरूप से सुधार की जरूरत की बात की है. कम्यूनिकेशन स्ट्रैटजी को पूरी तरह से बदलने की जरूरत है. जनता तक अपनी बातों को ले जाने के लिए उनसे जुड़े हुए मुद्दों को प्रभावी ढंग से उठाने की रणनीति पेश की है और कैसे कांग्रेस के कम्यूनिकेशन डिपार्टमेंट को बेहतर करेंगे और सोशल मीडिया से लेकर तमाम मीडिया प्लेटफॉर्मों पर कांग्रेस की उपस्थिति को बनाए रखने का फॉर्मूला भी पीके ने रखा है. विस्तृत ब्यौरा देते हुए पीके बताया कि कैसे मुख्यधारा के मीडिया की परवाह किए बिना कांग्रेस कैसे अपनी बात रोजाना कम से कम 50 करोड़ लोगों तक सफलता पूर्वक पहुंचा सकती है.