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कांग्रेस में एंट्री की चर्चा के बीच राहुल पर निशाना, क्यों बदल गया प्रशांत किशोर का मन? 

राहुल गांधी से लेकर प्रियंका गांधी और सोनिया गांधी तक के साथ पीके कई मुलाकातें हुई और बैठकें हुई. कांग्रेस में एक बड़े ताकतवर धड़े का विरोध होने के बावजूद पीके को कांग्रेस में 'बड़े पद' पर पीके के बैठाए जाने के कयास भी लगाए जा रहे थे. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर पीके का अब कांग्रेस से क्या मोहभंग हो गया और उनका मन क्यों बदल गया, जो बीजेपी के गुणगान करने लगे हैं? 

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प्रशांत किशोर
प्रशांत किशोर
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पीके का कांग्रेस से क्या मोहभंग हो गया है
  • कांग्रेस में पीके के शामिल होने की चर्चा थी
  • राहुल-सोनिया-प्रियंका से पीके की बैठक हुईं

उत्तर प्रदेश और पंजाब सहित देश के पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर की भविष्यवाणी कांग्रेस के मनोबल तोड़ने वाली और बीजेपी का हौसला बढ़ाने वाली है. पीके ने गोवा में एक कार्यक्रम के दौरान कहा, 'बीजेपी कई दशकों तक कहीं नहीं जाने वाली है. बीजेपी का रुतबा देश में उसी तरह से जैसे आजादी के शुरुआती 40 सालों में कांग्रेस का था. कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ समस्या यह है कि उन्हें लगता है कि लोगों द्वारा बीजेपी को उखाड़ फेंका जाएगा.' 

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प्रशांत किशोर का सार्वजनिक रूप से राहुल गांधी की अलोचना और बीजेपी के हौसला बढ़ाने वाला यह बयान ऐसे समय आया है जब हाल ही में कांग्रेस में उनकी एंट्री की चर्चाएं जोरों पर थी. राहुल गांधी से लेकर प्रियंका गांधी और सोनिया गांधी तक के साथ पीके कई मुलाकातें हुई और बैठकें हुई. कांग्रेस में एक बड़े ताकतवर धड़े का विरोध होने के बावजूद वो गांधी परिवार के लगातार संपर्क में थी. कांग्रेस में 'बड़े पद' पर पीके के बैठाए जाने के कयास भी लगाए जा रहे थे. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर पीके का अब कांग्रेस से क्या मोहभंग हो गया और उनका मन क्यों बदल गया, जो बीजेपी के गुणगान करने लगे हैं? 

सियासी संकट से जूझ रही कांग्रेस

सौ साल पुरानी पार्टी कांग्रेस एक के बाद एक सियासी संकट से जूझ रही है. कांग्रेस के नेता पार्टी छोड़ रहे हैं और सहयोगी साथ छोड़ते जा रहे हैं. वहीं, भारतीय राजनीति में चुनावी रणनीतिकार का दर्जा पा चुके प्रशांत किशोर पश्चिम बंगाल चुनाव के बाद ही चुनावी रणनीतिकार से आगे अपनी सियासी महत्वाकांक्षाओं के संकेत खुलकर दे दिए थे. सक्रिय राजनीति में आने को तैयार पीके की इच्छा कांग्रेस का झंडा थामने की थी तो राहुल-प्रियंका भी उन्हें पार्टी में लेने के लिए आतुर थे. 
 
सियासी गलियारों में कांग्रेस में पीके के महासचिव बन कर आने की चर्चाएं थी, जिसके पास चुनावी रणनीति और संगठन का अधिकार हो. पीके की कांग्रेस में एंट्री से पहले सोनिया गांधी ने अपने सबसे विश्वस्तों एके एंटनी और अंबिका सोनी को वरिष्ठ नेताओं के रायशुमारी का जिम्मा सौंपा था. खासतौर पर कांग्रेस के जी-23 नेता पीके को पार्टी में लेने के कतायी पक्ष में नही थे. इतना ही नहीं कई और दूसरे वरिष्ठ कांग्रेस भी पीके को लेकर मन नहीं बना पा रहे थे. ऐसे में पीके के लिए कांग्रेस में शामिल होने की रास्ता नहीं बन पा रहा था. 

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पीके की एंट्री से मतभेद...

रायशुमारी के बाद शीर्ष नेतृत्ल को एहसास हो गया था कि पार्टी में पीके की एंट्री से मतभेद हो सकते हैं. पुराने कांग्रेसियों को प्रशांत किशोर का कांग्रेस में आना रास नहीं आ रहा था. पीके ने करीब सभी सियासी दलों के साथ काम कर चुके हैं. 2014 में नरेंद्र मोदी के कैंपेन से लेकर 2015 में बिहार में नीतीश कुमार, 2017 में पंजाब में अमरिंदर सिंह, 2019 में आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी और 2021 में ममता बनर्जी तक के साथ काम किया. 

पीके ज्‍यादातर कैंपेन स्‍थानीय दलों से जुड़े थे, जिन्हें जिताने में उनसे कहीं ज्यादा पार्टी काडर की भी बड़ी भूमिका थी. उदाहरण के लिए जनता को जोड़ने के लिए आंध्र में जगन रेड्डी ने पदयात्रा की थी तो ममता बनर्जी पहले से ही बंगाल में बेहद लोकप्रिय रही हैं. ममता बनर्जी पीके की सेवाएं लेने से पहले ही वह दो बार बड़े बहुमत से चुनाव जीत चुकी थी. 

2017 में यूपी चुनाव में किशोर कांग्रेस को उबार पाने में फेल साबित हो चुके हैं. राहुल गांधी और अखिलेश यादव के लिए उनका कैंपेन 'यूपी के लड़के' बुरी तरह फ्लॉप साबित हुआ था. पीके यूपी में कांग्रेस के लिए फायदा नहीं दिला सके, जिसे लेकर पार्टी के दिग्गज नेता सवाल खड़े कर रहे थे. इसी बात को लेकर पार्टी के तमाम दिग्गज पीके के एंट्री के विरोध में थे, जिससे देखते हुए शीर्ष नेतृत्व ने पीके के एंट्री को टाल दिया. 

प्रशांत किशोर की भूमिका

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पीके इसकी के बाद से कांग्रेस को निशाने पर ले रहे हैं. कांग्रेस के ललितेशपति त्रिपाठी से लेकर शुष्मिता देव की टीएमसी में एंट्री कराने के पीछे प्रशांत किशोर की अहम भूमिका रही है. इतना ही नहीं गोवा में लुइजिन्हो फलेरियो जैसे दिग्गज नेता को भी कांग्रेस से टीएमसी लाने में पीके की अहम रोल बताया गया था. वहीं, अब पीके खुलकर कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया दिया और राहुल गांधी को भी निशाने पर ले लिया है. 

पीके ने गोवा में कहा कि भारतीय राजनीति में आज बीजेपी रुतबा वही है जो आजादी के बाद के शुरुआती 40 सालों तक कांग्रेस का था. बीजेपी चाहे हारे या जीते, राजनीति के केंद्र में रहेगी. बीजेपी कहीं नहीं जाने वाली. उन्होंने कहा कि इस झांसे में कभी मत पड़ना कि लोग नाराज हो रहे हैं और वे मोदी को बाहर कर देंगे. शायद वे मोदी को बाहर कर देंगे, पर बीजेपी कहीं जाने वाली नहीं है. 

कांग्रेस नेता राहुल गांधी को लेकर पीके ने कहा कि वह शायद इस भ्रम में हैं कि मोदी के सत्ता में रहने तक ही बीजेपी मजबूत है. यही समस्या राहुल गांधी के साथ है. शायद, उन्हें लगता है कि यह बस समय की बात है जब लोग उन्हें (नरेंद्र मोदी) सत्ता से बाहर कर देंगे. मोदी की ताकत को समझे बिना नहीं हरा पाएंगे. ऐसे में साफ जाहिर है कि राहुल और पीके के बीच तालमेल नहीं बन पा रहे हैं. ऐसे में अब पीके खुलकर राहुल को निशाने पर ले लिया है बीजेपी को लंबे समय तक राज करने की भविष्यवाणी कर दी है. 
 

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