राष्ट्रपति पद के लिए 18 जुलाई को होने वाले चुनाव के लिए बुधवार से अधिसूचना जारी हो रही है. राष्ट्रपति पद के नामांकन की प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही सत्तापक्ष और विपक्ष सक्रिय हो गए हैं. टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने विपक्षी दलों की दिल्ली में बैठक बुलाई है. वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मल्लिकार्जुन खड़गे को राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्षी दलों के बीच सहमति बनाने का जिम्मा दे रखा है. इसके बावजूद कांग्रेस नेता ममता की बैठक में शामिल होंगे, लेकिन राष्ट्रपति चुनाव के शह-मात के खेल में असल किंगमेकर बीजेडी, वाईएसआर कांग्रेस और टीआरएस हैं. ऐसे में देखना है कि ममता की बैठक में कौन से दल शामिल होते हैं और कौन नहीं?
राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के सामने सबसे बड़ी चुनौती साझा उम्मीदवार उतारने की है. सोनिया गांधी इसी के मद्देनजर डीएमके प्रमुख एम के स्टालिन, एनसीपी के मुखिया शरद पवार, सीपीएम के नेता सीताराम येचुरी से बातचीत किया तो ममता बनर्जी ने विपक्षी दलों को पत्र लिखकर राष्ट्रपति चुनाव के संबंध में 15 जून को दिल्ली में बुलाई गई बैठक में आने की अपील की थी.
ममता ने इन नेताओं को भेजा न्योता
ममता बनर्जी ने बैठक में शामिल होने के लिए 22 विपक्षी राजनीतिक दलों के नेताओं को निमंत्रण भेजा था. इनमें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के अलावा, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक, तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर, केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन, आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव, सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी आदि शामिल हैं.
ममता की बैठक में कांग्रेस की ओर से वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, जयराम रमेश और रणदीप सिंह सुरजेवाला शामिल होंगे. समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल के नेता भी इस बैठक में शिरकत करेंगे. झारखंड में कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार चला रही झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता भी इस बैठक में शामिल होंगे तो शिवसेना की ओर से संजय राउत शिरकत करेंगे. वहीं, एनसीपी की ओर से शरद पवार और प्रफुल पटेल बैठक में भाग लेंगे, लेकिन बीजेडी और वाईएसआर कांग्रेस की ओर से अभी तस्वीर साफ नहीं हो सकी है.
राष्ट्रपति चुनाव में जीत का आंकड़ा
राष्ट्रपति चुनाव में राज्यसभा, लोकसभा और विधानसभा के सदस्य वोट करते हैं. राज्यसभा में 233, लोकसभा में 543 और सभी राज्यों की विधानसभा में 4033 सीट हैं. कुल मिलाकर इनकी संख्या 4809 हुई. विधायक और सांसद के वोटों की वैल्यू अलग-अलग होती है. राष्ट्रपति चुनाव 2022 के लिए मतदाताओं के वोट की कुल वैल्यू 10,86,431 है. इस तरह राष्ट्रपति चुनाव में जीत के लिए आधे से एक वोट ज्यादा की जरूरत होगी, जिसके लिहाज से कम से कम 5,43,216 वोट चाहिए होंगे.
राष्ट्रपति चुनाव में भले ही बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए का पल्ला भारी हो, लेकिन अपने उम्मीदवार को जीत दिलाने के लिए अन्य दलों के सहयोग की जरूरत होगी. बीजेपी और उसके सहयोगियों के पास कुल वोट का करीब 48 फीसदी वोट है. कुल वोट 10.86 लाख हैं तो उसमें बीजेपी प्लस के पास 5.26 लाख वोट हैं. बहुमत का आंकड़ा 5.43 लाख है.
KCR, बीजेडी और वाईएसआर की भूमिका अहम
वहीं, कांग्रेस, डीएमके, शिवसेना, आरजेडी और एनसीपी के वोटों की वैल्यू 2.59 लाख है. इसके अलावा टीएमसी, सपा, आम आदमी पार्टी, केरल की लेफ्ट पार्टी, केसीरआर, बीजेडी, वाईएसआर कांग्रेस सहित बाकी विपक्षी दलों के कुल वोट 292894 वोट हैं. इस तरह से सारे विपक्ष के वोट मिला दें तो 51 फीसदी से ज्यादा हो रहा है. इस तरह से एनडीए से करीब 2 फीसदी वोट ज्यादा है, जिसके चलते विपक्षा साझा उम्मीदवार उतारने के लिए मशक्कत कर रहा है. इस सूरत में केसीआर, बीजेडी और वाईएसआर की भूमिका अहम होगी.
बता दें कि 2017 के राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए को केसीआर की टीआरएस के साथ ही वाईएसआर कांग्रेस और बीजेडी का भी समर्थन मिला था. इस बार केसीआर विपक्षी दलों का गठबंधन बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं. ऐसे में ये माना जा रहा है कि वे एनडीए का समर्थन नहीं करेंगे, लेकिन बीजेडी और वाईएसआर कांग्रेस ने अपने पत्ता नहीं खोले हैं. इस लिहाज से राष्ट्रपति चुनाव में ये दोनों ही दल किंगमेकर माने जा रहे हैं.
बैठक में आए तो बन सकती है बात
ममता बनर्जी ने बीजेडी के प्रमुख नवीन पटनायक और वाईएसआर कांग्रेस के चीफ जगन मोहन रेड्डी को भी निमंत्रण भेजा है. ऐसे में अगर ये दोनों ही दलों के नेता ममता बनर्जी द्वारा बुलाई बैठक में शामिल होते हैं तो राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष साझा उम्मीदवार उतारने की दिशा में अपने कदम बढ़ा सकता है. ऐसे में सभी की निगाहें बीजेडी और वाईएसआर कांग्रेस पर है कि वो क्या रुख अपनाते हैं?
दरअसल, राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए बहुमत के आंकड़े से करीब 13,000 वोट दूर है. ऐसे में फोकस वाईएसआर कांग्रेस बीजेडी पर आ गया है. ऐसे में अगर वाईएसआर कांग्रेस या बीजेडी का समर्थन एनडीए हासिल कर लेता है तो उम्मीदवार की जीत का रास्ता साफ हो जाएगा. पिछले दिनों वाईएसआर कांग्रेस चीफ जगन मोहन रेड्डी और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने दिल्ली में मोदी से मुलाकात की थी. हालांकि, यह साफ नहीं हो सका कि इन मुलाकातों के दौरान क्या बात हुई है.
नवीन पटनायक, जगन मोहन रेड्डी और केसीआर शुरू से ही कांग्रेस से दूरी बनाए रखे हुए हैं, जिसके चलते ममता बनर्जी अब उन्हें साधने की कवायद कर रही हैं. केसीआर के ममता के साथ आने की तो संभावना दिख रही है, लेकिन जगन रेड्डी और नवीन पटनायक को लेकर तस्वीर साफ नहीं है. हालांकि, ममता बनर्जी के संबंध दोनों ही दलों के नेताओं से हैं. ऐसे में दोनों ही दलों को ममता बनर्जी ने न्योता दिया है. अब देखना है कि वाईएसआर और बीजेडी राष्ट्रपति चुनाव में क्या स्टैंड लेते हैं?